दस्तक-विशेष

भ्रष्टाचार और अपराध को ध्वस्त करेगा धाकड़ धामी का बुल्डोजर

सौरव मैमगईं, देहरादून

आपराधिक दृष्टि से सॉफ्ट स्टेट के रूप में पहचान बना चुके उत्तराखंड में अब अपराधियों की खैर नहीं, क्योंकि कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन रहे अपराधियों पर अब सीएम पुष्कर सिंह धामी का बुल्डोजर चलने लगा है। पहले नैनीताल के हल्द्वानी में बनभुलपुरा कांड में समुदाय विशेष र्के हिंसक अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई ने प्रदेश व देश में सराहना बटोरी, अब राजधानी देहरादून में पिछले दिनों रवि बडोला हत्याकांड में शामिल अपराधियों के खिलाफ बुल्डोजर कार्रवाई से एक बार फिर धामी चर्चा में हैं। 16 जून की रात राजधानी देहरादून में घटित रवि बडोला हत्याकांड, जिसमें अपनी कार को कब्जे से मुक्त कराने गए रवि बडोला व उनके दो साथियों पर कब्जाधारियों ने गोलियां चला दीं, जिसमें रवि बडोला की मौत हो गई और अन्य दो साथी गंभीर रूप से घायल हो गये। इस आपराधिक घटना से देहरादून सहित प्रदेशवासियों की भावनाएं उत्तेजनापूर्ण नजर आईं। गोली चलाकर दबंगई का परिचय देने वाले अपराधियों को क्या पता था कि यह दबंगई उनके जीवन के लिए काल बनने वाली हैं।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए पीड़ित परिवार को यह आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ न सिर्फ कड़ी कार्रवाई होगी, बल्कि यह नजीर भी बनेगी। इसी का नतीजा रहा कि घटना के अगले ही दिन आरोपित सोनू भारद्वाज, मोनू भारद्वाज व शंभू यादव को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि मुख्य आरोपित रामवीर को राजस्थान में तथा मनीष, योगेश कुमार को हरिद्वार के बहादराबाद में मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सीएम धामी ने अपराधियों के घर व अन्य संपत्तियों की पैमाइश करवा दी, जिसमें कई अवैध कब्जे उजागर हुए। फिर क्या था, सीएम धामी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर अपराधियों के घर पर बुल्डोजर चलाने का आदेश दे दिया। धामी के इस रुख के बाद एक बार फिर उत्तराखंड में अपराधियों में खलबली नजर आने लगी है। एक तरफ धामी सरकार कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत अपराधियों को न्यायिक स्तर पर कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर सरकार अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाकर यह स्पष्ट संदेश दे रही है कि कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाले हर असामाजिक तत्वों से ऐसे ही सख्ती से निपटा जाएगा। वहीं, धामी सरकार ने सुशासन के प्रति अपने संकल्प को एक बार पुन: साबित किया है कि बात भ्रष्टाचारमुक्त शासन की हो या फिर नागरिक सुरक्षा व जवाबदेह एवं पारदर्शी शासन की, सरकार सुशासन के मूल पथ पर गतिमान रहेगी।

भ्रष्टाचार के खिलाफ धामी की जीरो टोलरेंस नीति

सीएम धामी जीरो टॉलरेंस नीति के तहत भ्रष्टाचारियों पर ऐसा डंडा चला रहे हैं, जो न आईएएस, आईएफएस को बख्श रहा, न नेताओं को। बेहद शांत स्वभाव के दिखने वाले सीएम पुष्कर सिंह धामी के इस एक्शनभरे अंदाज को खासा सराहा जा रहा है। दरअसल, 2022 में राज्य में भाजपा की लगातार दूसरी सरकार गठित होने पर सीएम धामी ने जीरो टॉलरेंस की नीति को सख्ती से लागू करना प्राथमिकता बताया था। उन्होंने कहा था कि सरकारी तंत्र को आम जनता की सेवा के लिए समर्पित बनाया जाएगा, जहां जनता की सुनवाई हो, न कि शोषण। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि राजनीतिक द्वेष की भावना से परे रहकर निष्पक्ष रूप से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद प्रदेश में सरकारी भर्ती में घोटाला सहित भ्रष्टाचार के अनेक मामले सामने आए, जिस पर विपक्ष ने सरकार की जीरो टोलरेंस पर सवाल उठाने शुरू किए थे।

इसके बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी भर्ती गड़बड़ी मामले में ऐसा कड़ा ऐक्शन लिया, जिससे विपक्ष भी निरुत्तर हो गया। इस मामले में सीएम ने न आयोग के अधिकारी, परीक्षा एजेंसी मालिक को बख्शा, न भाजपा के बड़े नेता को, जिनका भी नाम आया, हर कोई सलाखों के अंदर है। इसके बाद सरकारी भर्ती, वन विभाग, उद्यान, तहसील, परिवहन विभाग में भी भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए, जिनमें बड़े अधिकारियों पर आरोप लगे। आमतौर पर बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई देखने को नहीं मिलती, लेकिन सीएम धामी ने इस परिपाटी को बदलते हुए अब तक एक दर्जन से ज्यादा बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की। सीएम धामी ने सरकारी भर्ती मामले में आरोपी भाजापा नेता को भी सलाखों के पीछे डालकर जीरो टॉलरेंस नीति की निष्पक्षता को साबित किया है और खुद को आदर्श जनसेवक के रूप में स्थापित भी किया है। वहीं, धामी सरकार ने टोल फ्री नंबर 1064 भी जारी किया है। आज अनेक राज्यों में सरकारें भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी नजर आती हैं। वहीं उत्तराखंड की धामी सरकार जनता को निष्पक्ष एवं पारदर्शी शासन दे रही है। सोशल मीडिया में भी कई राज्यों के लोग पुष्कर सिंह धामी की सराहना करते दिख रहे हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के मुख्य उदाहरण

उदाहरण नंबर 1-
बीती 25 जून 2024 को धामी सरकार ने राज्य के सहायक कर आयुक्त के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। विजिलेंस ने सहायक कर आयुक्त को 75 हजार रुपये घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा है। इससे पूर्व धामी सरकार में लर्घु ंसचाई, ऊर्जा, वन व खाद्य आपूर्ति विभागों में भी कई अधिकारी-कर्मचारियों को गुप्त आपरेशन के दौरान रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा जा चुका है।

उदाहरण 2-
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग व उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग की अनेक भर्ती में भ्रष्टाचार का मामला बेहद चर्चित रहा। इसमें आयोग के भीतर के अधिकारी व बाहरी गिरोह की संलिप्तता सामने आयी। एक भाजपा नेता की साठगांठ के साक्ष्य भी मिले। सीएम ने यूकेपीएससी के गोपनीय अनुभाग के अधिकारी, यूकेएसएसएसी परीक्षा कराने वाली एजेंसी के मालिक व भाजपा नेता के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया, साथ ही सभी को जेल भी भेजा। सरकारी भर्ती में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता लाने के लिए नकलरोधी कानून-2023 लागू किया है। इसमें नकल माफिया के खिलाफ 10 साल या आजीवन जेल, 10 करोड़ रुपये का जुर्माना व संपत्ति की कुर्की जैसी बड़ी कार्रवाई की जाएगी। कानून में नकल करने वाले अभ्यर्थी को भी बख्शा नहीं गया है।

उदाहरण नंबर 3-
शासन में लंबे समय से डटे रहे पूर्व आईएएस रामविलास यादव को आय से अधिक संपत्ति के आरोप में सीएम पुष्कर्र ंसह धामी ने सस्पेंड कर दिया था। उन्हें जेल भी भेजा गया था।

उदाहरण नंबर 4-
उत्तरकाशी में वन विभाग पर पेड़ों के अवैध कटान के गंभीर आरोप लगे। यह मामला कई साल पुराना बताया जा रहा है, लेकिन सीएम धामी मामले की निष्पक्ष जांच करा रहे हैं। इसमें आरोपी रेंजर स्तर के अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जा रहा है।

उदाहरण नंबर 5 –
देहरादून तहसील में फर्जी रजिस्ट्री से जुड़ा प्रकरण सामने आने के बाद विभाग से लेकर सरकार हैरान थी। यह फर्जीवाड़ा कई सालों से चला आ रहा था, लेकिन तब विभागीय व सरकार की उदासीनता के चलते शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब शिकायत मिलने पर सीएम धामी ने न सिर्फ देहरादून तहसील, बल्कि प्रदेश की अन्य तहसीलों में भी जांच शुरू करा दी है, ताकि किसी भी भूमाफिया व संलिप्त अधिकारी को बख्शा न जाए। साथ ही आम जनता को धोखे का शिकार होने से बचाया जा सके।

उदाहरण नंबर 6-
उत्तराखंड परिवहन निगम के उप महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी पर निजी बस मालिकों के साथ सांठ-गांठ के आरोप लगे, जिस पर सीएम धामी ने विभागीय सचिव को विभागीय कार्रवाई करने के सख्त निर्देश दिए।

उदाहरण नंबर 7-
सीएम धामी के कार्यकाल में विजिलेंस सरकारी विभागों में छापेमारी व आपरेशन चलाती रहती है, जिसमें कई विभागों में रिश्वत लेते अधिकारी व कर्मचारियों को रंगेहाथों पकड़ा गया है। तहसील में कई लेखपाल व तहसील कर्मियों को रंगेहाथ पकड़ा जा चुका है।

उदाहरण नंबर 8 –
उद्यान घोटाले में आरोपित निदेशक बवेजा के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल किया गया। बता दें कि उन पर एक कंपनी विशेष को अवैधानिक रूप से लाभ पहुंचाने सहित अनेक आरोप लगाए गए थे।

गैर-जिम्मेदार अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई

बीती 23 जून रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अवकाश के दिन बंद सचिवालय को खुलवाकर अनियमितताओं में संलिप्त एक शीर्ष अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी किए। दरअसल, प्रभारी मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक शशि मोहन श्रीवास्तव पर गड़बड़ी, लापरवाही सहित कई गंभीर आरोप लगे थे, जिसे गंभीरता से लेते हुए सीएम धामी ने तुरंत आरोपित अधिकारी को जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया। एगत जून माह में कुमाऊं में वनाग्नि घटना में हुई कई मौतों पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बेहद कड़ा रुख अपनाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों चिह्नित किया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए। गौर करने वाली बात यह कि गाज गिरने वाले अधिकारियों में कई आईएफएस भी हैं।

हालांकि, सीएम की कार्रवाई से आईएफएस एसोसिएशन के कई सदस्यों ने एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर आईएफएस के खिलाफ हुई कार्रवाई का विरोध नहीं करने पर रोष प्रकट किया और एसोसिएशन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, सीएम की इस कार्रवाई के बाद आइएफएस व वन विभाग के अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति नजर आ रही है। अब सभी अधिकारी वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम एवं नियंत्रण की दिशा में बेहद सक्रिय नजर आ रहे हैं। एसीएम धामी ने सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने हेतु सरकारी व्यवस्था को आनलाइन करने की दिशा में भी निर्णायक कदम उठाए हैं। इस कड़ी में उत्तराखंड में सूचना का अधिकार-2005 सेवा को आनलाइन करना, सीएम हेल्पलाइन व सीएम पोर्टल अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। विशेष यह भी कि सीएम धामी निरंतर सीएम पोर्टल व सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के समाधान प्रगति का भी औचक निरीक्षण करते हैं। इस दौरान उदासीन अधिकारियों को भी समय-समय पर चिन्हित कर विभागीय कार्रवाई की जाती रही है।

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