राहुल गांधी अब मेच्योर हो गए, एक परीक्षा तो अब भी बाकी : अमर्त्य सेन
बोलपुर : नोबेल पुरपुस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी समय के साथ काफी परिपक्व हो गए हैं। लेकिन उनकी असल परीक्षा यह होगी कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की मौजूदा सरकार में संसद में विपक्ष का नेतृत्व कैसे करते हैं। 90 वर्षीय सेन ने कहा कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने न केवल उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित किया बल्कि देश के राजनीतिक परिदृश्य को भी समृद्ध किया है। उन्होंने बताया कि कैसे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में छात्र के रूप में राहुल इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि जीवन में वह क्या करना चाहते हैं क्योंकि उस समय राजनीति उन्हें आकर्षित नहीं करती थी।
उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि वह (राहुल) अब काफी परिपक्व व्यक्ति हैं। मैं उन्हें तब से जानता हूं जब वह ट्रिनिटी कॉलेज के छात्र थे। वह कॉलेज जहां मैंने पढ़ाई की और बाद में उसमें मास्टर बन गया। वह (राहुल) उस समय मुझ से मिलने आए थे और वह उस समय ऐसे व्यक्ति थे जो इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं थे कि वह क्या करना चाहते हैं। ऐसा लगता था कि उस समय उन्हें राजनीति पसंद नहीं थी। भारत रत्न से सम्मानित अमर्त्य सेन ने कहा कि कांग्रेस नेता को राजनीति में अपने शुरूआती दिनों में भले ही कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनमें काफी बदलाव आया है और उनका हालिया प्रदर्शन असाधारण रूप से अच्छा रहा है।
नोबेल अर्थशास्त्री ने कहा कि राहुल गांधी ने राजनीति में कदम रखा और मुझे लगता है कि शुरूआत में उन्हें अपने पैर जमाने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन उनका हालिया प्रदर्शन बहुत असाधारण रहा है और मैं इसकी बहुत सराहना करता हूं। बेशक, आप केवल अपने गुणों के आधार पर चुनाव नहीं लड़ सकते, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपका देश कैसा है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह राहुल गांधी में भारत के अगले प्रधानमंत्री को देखते हैं, सेन ने कहा कि ऐसी संभावनाओं का अनुमान लगाना कठिन है।
उन्होंने कहा, मैं इस बात का जवाब नहीं दूंगा। यह समझना बहुत मुश्किल है कि लोग प्रधानमंत्री कैसे बनते हैं। सेन ने मुस्कुराते हुए कहा, जब मैं दिल्ली में छात्र था, तब अगर कोई मुझ से पूछता कि मेरे सहपाठियों में से किसके प्रधानमंत्री बनने की संभावना सबसे कम है तो मैं मनमोहन सिंह का नाम लेता क्योंकि उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन फिर वह प्रधानमंत्री बने और मुझे लगता है कि वह एक बेहतरीन प्रधानमंत्री बने। इसलिए, इन चीजों की भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा पहल का जिक्र करते हुए सेन ने कहा, राहुल ने अच्छा काम किया है। मुझे ेलगता है कि यह यात्रा भारत और उनके लिए अच्छी रही। मुझे लगता है कि उन्होंने अपनी अभिव्यक्ति की क्षमता में उल्लेखनीय सुधार किया है, खासकर वह राजनीति पर अपने विचारों को पहले की तुलना में कहीं अधिक स्पष्टता से व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा, जब वह (राहुल) ट्रिनिटी आए थे, तब वह शायद एक विकास विशेषज्ञ बनने की कोशिश कर रहे थे और हमने इस बारे में बात की कि उन्हें क्या पढ़ना चाहिए। वह उस समय बहुत वाकपटु थे, लेकिन राजनीति के संदर्भ में वह ऐसे नहीं थे। मगर अब वह राजनीति के मामलों में भी बहुत स्पष्ट तरीके से बात रखते हैं।