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छत्तीसगढ़: शहीद भरत का 2 वर्षीय पुत्र अपने पिता के इंतजार में, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

रायपुरः छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एसटीएफ के शहीद जवान भरत लाल साहू का दो वर्षीय पुत्र अपने पिता के इंतजार में है, उसे पता नहीं है कि उसके पिता ने देश के लिए अपनी जान दे दी। बृहस्पतिवार को लगभग दो बजे भरत के बड़े भाई मनसाराम साहू को एक फोन आया और उनके घर का माहौल गमगीन हो गया। फोन करने वाले ने जानकारी दी कि उनके छोटे भाई और एसटीएफ जवान भरत लाल साहू छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हुए विस्फोट में शहीद हो गए।

खबर सुनकर मनसाराम सदमे में आ गए, किसी तरह हिम्मत जुटाकर उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों को इसकी जानकारी दी, लेकिन भरत की पत्नी को बता पाने की हिम्मत किसी में नहीं हुई। जब सुबह शहर के मोवा इलाके में जवान के घर के बाहर शोक व्यक्त करने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए, तब भरत लाल की पत्नी को घटना के बारे में जानकारी मिली। भरत विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के उन दो आरक्षकों में से एक थे जिन्होंने बुधवार देर रात बीजापुर जिले के तर्रेम इलाके में नक्सलियों द्वारा लगाए गए बारूदी सुरंग में विस्फोट में अपनी जान दी। एसटीएफ छत्तीसगढ़ पुलिस की माओवाद से निपटने के लिए विशेष इकाई है।

भरत (38) के परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी और तीन नाबालिग बच्चे- 11 और आठ साल की दो बेटियां तथा दो साल का एक बेटा है। भरत के पांच भाई और दो बहनें हैं और वह परिवार में अकेले ऐसे व्यक्ति थे जो पुलिस में थे। उनके पिता रामा साहू (75) रेलवे से सेवानिवृत्त हुए हैं। भरत के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है। जवान के पुत्र को अभी भी पिता का इंतजार है। छोटे भाई भरत की मृत्यु से गमगीन 51 वर्षीय मंसाराम ने कहा, ‘‘वह पिछले महीने घर पर था। वह एक-दो जुलाई को ड्यूटी पर गया था। हमें नहीं पता था कि यह घर पर उसकी आखिरी यात्रा होगी। हम सभी सदमे में हैं।”

मंशाराम ने कहा, ‘‘मैंने उससे आखिरी बार मंगलवार शाम को बात की थी। भरत ने बताया था कि वह अभियान के लिए जा रहा है, लौटने के बाद फोन करेगा… कहा जाता है कि शहीद कभी नहीं मरते, वे लोगों के दिलों में रहते हैं।” मंशाराम ने बताया, ‘‘मोवा के एक सरकारी स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, भरत ने आईटीआई और बीए किया। वह 2007 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में शामिल हुआ और बाद में 2009 में एसटीएफ में चला गया। तब से वह बस्तर के विभिन्न इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ लड़ रहा था। वह एसटीएफ में अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान नक्सलियों के खिलाफ कई अभियान और मुठभेड़ों में शामिल रहा।”

उन्होंने बताया, ‘‘भरत अपने मोबाइल फोन पर परिवार के सदस्यों को पुलिस शिविरों, जंगल और बस्तर की तस्वीरें दिखाता था, लेकिन कभी चुनौतियों को साझा नहीं करता था।” मंशाराम ने कहा कि नक्सल विरोधी अभियानों में शामिल सुरक्षा बलों के सामने आने वाली कठिनाइयां बहुत बड़ी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को नक्सल समस्या से इस तरह निपटना चाहिए कि यह हमेशा के लिए खत्म हो जाए।

रायपुर जिले के अधिकारियों ने बताया कि जवान का पार्थिव शरीर बृहस्पतिवार शाम जगदलपुर से सड़क मार्ग से रायपुर लाया गया और शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। विस्फोट में एसटीएफ के चार जवान भी घायल हुए हैं, जिन्हें हवाई मार्ग से रायपुर लाया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने घटना पर दुख जताया और कहा कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा और नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक यह समस्या खत्म नहीं हो जाती।

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