MP: एक्टर रणदीप हुडा को HC से झटका, राजस्व विभाग का नोटिस रद्द करने के किया इनकार
भोपाल : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के नजदीक स्थित जमीन पर कथित अवैध निर्माण के लिए फिल्म अभिनेता रणदीप हुडा के खिलाफ जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द करने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अधिकारियों द्वारा कानून का उल्लंघन नहीं किया जाए और वे हुडा के खिलाफ कार्यवाही में उचित प्रक्रिया का पालन करें।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने माना कि कारण बताओ नोटिस के खिलाफ हुडा की रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि हुडा को जांच रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई थी। इसलिए कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने निर्देश जारी किए कि इस मामले में उचित प्रक्रिया का पालन किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि यदि हुडा जांच रिपोर्ट की प्रति के लिए आवेदन करते हैं तो उन्हें तीन दिन में यह जारी की जानी चाहिए। यदि वह अपनी उपस्थिति में स्पॉट निरीक्षण का अनुरोध करते हैं तो राजस्व विभाग के एसडीओ को उन्हें निर्धारित तिथि बताना चाहिए। यदि हुडा निरीक्षण के दौरान मौजूद नहीं रहते हैं तो वह यह दावा नहीं कर सकते कि निरीक्षण उसकी अनुपस्थिति में किया गया था। उन्हें निरीक्षण के तीन दिनों के भीतर स्पॉट निरीक्षण रिपोर्ट पर आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति है। एसडीओ (राजस्व) को मौका निरीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर हुडा को सुनने के बाद कारण बताओ नोटिस पर निर्णय लेना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि 15 दिनों के भीतर स्पॉट जांच के लिए आवेदन नहीं किया जाता है तो आदेश में की गई टिप्पणियां प्रभावहीन हो जाएंगी।
दरअसल, 18 जून को बालाघाट जिले के बैहर के राजस्व विभाग के एसडीओ ने कान्हा नेशनल पार्क के पास कथित अवैध निर्माण के लिए रणदीप हुडा को नोटिस जारी किया था। कारण बताओ नोटिस को रद्द करने की मांग को लेकर हुडा ने हाई कोर्ट का रुख किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्यवाही ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने के लिए शुरू की गई है। हुडा की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील सिद्धार्थ शर्मा ने कोर्ट को सूचित किया कि हुडा को उस जांच रिपोर्ट की प्रति नहीं दी गई, जिसके आधार पर नोटिस जारी किया गया था। साथ ही दावा किया कि उन्होंने जमीन पर कोई निर्माण नहीं किया है।
दूसरी ओर, मध्य प्रदेश सरकार के वकील मोहन सौसरकर ने कहा कि भारत संघ और अन्य बनाम कुनीसेट्टी सत्यनारायण मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए कारण बताओ नोटिस के खिलाफ रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। उन्होंने दलील दी कि याचिका समय से पहले दायर की गई थी, क्योंकि हुडा को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया था।
कोर्ट ने माना कि रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। इसके अलावा यह देखा गया कि निर्माण रोकने का निर्देश अंतिम आदेश नहीं था बल्कि हुडा और छह अन्य के खिलाफ एक अस्थायी निषेधाज्ञा आदेश था। यह देखते हुए कि हुडा को जांच रिपोर्ट की प्रति नहीं दी गई थी, कोर्ट ने उचित प्रक्रिया का पालन करने के निर्देश जारी किए। कोर्ट ने हुडा को पूरक जवाब दाखिल करने की भी अनुमति दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने मामले की योग्यता पर विचार नहीं किया है। कार्यवाही का निर्णय एसडीओ द्वारा दायर किए गए सबूतों के अनुसार किया जाएगा।