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पाकिस्तान : जमात-ए-इस्लामी के 35 सदस्यों को छोड़ेगी पाक सरकार, जानें क्या है मामला

इस्लामाबाद : पाकिस्तान सरकार ने रविवार को जमात-ए-इस्लामी के हिरासत में लिए गए 35 सदस्यों को रिहा करने की घोषणा की. सरकार के इस फैसले के पीछे का मकसद दक्षिणपंथी इस्लामी पार्टी को आसमान छूते बिजली बिलों और बढ़ते टैक्स (Tex) के खिलाफ अपना विरोध खत्म करने के लिए मनाना है. सरकार ने जमात-ए-इस्लामी की मांगों पर गौर करने के लिए एक तकनीकी समिति का भी गठन किया है.

जमात-ए-इस्लामी बिजली और टैक्स वृद्धि के मुद्दों पर रावलपिंडी के गैरीसन शहर में मरी रोड स्थित लियाकत बाग इलाके में धरना दे रही है. सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने कहा कि जेआई के साथ पहले दौर की बातचीत के बाद, सरकार पार्टी की मांग के अनुसार उसके 35 समर्थकों को रिहा कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही जेआई प्रतिनिधिमंडल द्वारा प्रस्तुत मांगों से सहमत है क्योंकि वह जनता पर बोझ कम करने के लिए प्रतिबद्ध है.

तरार ने उप प्रमुख लियाकत बलूच के नेतृत्व वाले जेआई प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद ये घोषणाएं कीं. जमात-ए-इस्लामी से वार्ता के लिए सरकार प्रतिनिधिमंडल में अताउल्लाह तरार, कश्मीर मामलों के मंत्री इंजीनियर अमीर मकाम, वरिष्ठ पीएमएल-एन नेता तारिक फजल चौधरी और प्रधानमंत्री के मीडिया समन्वयक बद्र शाहबाज शामिल थे. तरार ने कहा कि जेआई ने दस मांगों की एक सूची प्रस्तुत की, जिनमें से अधिकांश बिजली से संबंधित मुद्दों से संबंधित हैं.

उन्होंने कहा कि एक तकनीकी समिति का गठन किया गया है, जिसमें जल और बिजली मंत्रालय, ऊर्जा सचिव, एफबीआर और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल हैं. यह समिति जनता को राहत कैसे प्रदान की जाए इसे लेकर जरूरी सुझाव सरकार को देगी. इससे पहले धरने को संबोधित करते हुए जेआई प्रमुख हाफिज नईम ने कहा कि कोई भी अपना घर छोड़कर सड़क पर बैठना नहीं चाहता. हम देश के भविष्य के लिए निकले हैं और तब तक धरना देते रहेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.

उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPPs) के साथ समझौतों को छिपाकर रखा गया था और जांच करने पर पता चला कि इसमें शासक वर्ग शामिल था. बिजली पर कैपेसिटी चार्ज का बजट रक्षा बजट से अधिक है. हाफिज नईम ने दोहराया कि धरना और वार्ता दोनों एक साथ जारी रहेंगे. उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि दिखावटी बातों से काम नहीं चलेगा और प्रदर्शनकारी तब तक वापस नहीं जाएंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.

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