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कौन है इस्माइल हानिया, जिसकी ईरान में हुई हत्या; इस्राइल-हमास संघर्ष से रही अहम भूमिका

नई दिल्ली : हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या कर दी गई है। इस्माइल हानिया की हत्या का आरोप इस्राइल पर लगा है। हालांकि अभी तक इस्राइल ने इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। इस्माइल हानिया का साल 2018 में अमेरिका ने आतंकवादी घोषित किया था। इस्माइल हानिया, हमास की राजनीतिक शाखा का प्रमुख था। साल 2006 में फलस्तीन के आम चुनावों में हमास की जीत के बाद से ही संगठन में हनिया का दबदबा बढ़ने लगा था। उसे गाजा पट्टी में फलस्तीनी प्राधिकरण का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। इस दौरान मिस्र से गाजा पट्टी में आयातित वस्तुओं पर भारी कर लगाकर हनिया ने अपनी संपत्ति कई गुना बढ़ा ली। 2014 में हमास द्वारा सभी व्यापार पर 20 प्रतिशत कर लगाए जाने की घोषणा की गई थी। एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि इन करों की वजह से हमास के 1,700 टॉप कमांडर करोड़पति बन गए।

इस्राइल पर बीते साल 7 अक्तूबर को हुए हमले के पीछे भी इस्माइल हानिया की अहम भूमिका थी और यही वजह थी कि इस्माइल हानिया इस्राइली सुरक्षा बलों के निशाने पर था। इस्माइल हानिया कतर में रह रहा था और बताया जाता है कि वहां वह ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहा था। इस्राइल पर हुए 7 अक्तूबर के हमले को उसने अपने ऑफिस में टीवी पर देखा था और हमले का समर्थन किया था।

इस्माइल हानिया का जन्म 29 जनवरी 1962 को गाजा पट्टी के शाती शरणार्थी शिविर में हुआ था। इस्राइल और फलस्तीन के बीच गाजा पट्टी हमेशा से विवाद का कारण रहा है। ऐसे में गाजा पट्टी में रहने के दौरान इस्माइल हानिया के मन में फलस्तीन को एक अलग देश बनाने की इच्छा पनपी। इस्माइल हानिया का बड़ा परिवार है और उसके 13 बच्चे बताए जाते हैं। हालांकि बीते दिनों एक इस्राइली हमले में उसके तीन बेटों समेत परिवार के कई सदस्य मारे गए थे।

इस्माइल हानिया ने गाजा की इस्लामिक यूनिवर्सिटी से अरब साहित्य में स्नातक किया था और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही वह हमास के संपर्क में आया। इस्माइल हानिया, मुस्लिम ब्रदरहुड से भी जुड़ा और यूनिवर्सिटी में वह मुस्लिम ब्रदरहुड की छात्र परिषद का प्रमुख भी रहा था। इस्माइल हानिया 90 के दशक में हमास से जुड़ा और शुरुआत में वह हमास की चैरिटेबल गतिविधियों से जुड़ा और बाद में हमास की राजनीतिक शाखा से जुड़ गया। समय के साथ हमास में हानिया की अहमियत बढ़ती गई और दूसरे इंतेफदा के दौरान वह हमास के शीर्ष नेतृत्व की नजरों में आ गया। साल 2006 में गाजा में हुए चुनाव में हमास को जीत मिली और इस्माइल हानिया को फलस्तीनी अथॉरिटी की प्रधानमंत्री बनाया गया।

हानिया के प्रधानमंत्री बनने के बाद गाजा में अपने प्रतिद्वंदी संगठन फतह के साथ हमास के मतभेद बढ़े और साल 2007 में हुए हिंसक संघर्ष के बाद फतह को गाजा पट्टी का इलाका छोड़ना पड़ा और फतह वेस्ट बैंक में ही सीमित हो गया। फतह के गाजा छोड़ने के बाद गाजा में हमास को कोई चुनौती देने वाला नहीं बचा। इसके बाद हमास और इस्राइल में संघर्ष बढ़े। इस्माइल हानिया बीते कुछ वर्षों से हमास और फतह के बीच सुलह कराने की कोशिश में जुटा था। अब इस्माइल हानिया की मौत से हमास को बड़ा झटका लगा है और यकीनन यह इस्राइल के सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी है।

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