अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश ने जमात-ए-इस्लामी पार्टी व उसकी छात्र शाखा पर लगाया प्रतिबंध

ढाका: बांग्लादेश ने देशव्यापी अशांति के चलते जन सुरक्षा के लिए उत्पन्न खतरे का हवाला देते हुए आतंकवाद रोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र शाखा ‘इस्लामी छात्र शिबिर’ पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगा दिया। गृह मंत्रालय के सार्वजनिक सुरक्षा प्रभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में इस्लामिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई। यह पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख सहयोगी है। जमात, छात्र शिबिर और अन्य संबद्ध समूहों पर प्रतिबंध आतंकवाद रोधी कानून की धारा 18(1) के तहत एक आदेश के माध्यम से लगाया गया।

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘उन्होंने (जमात-शिबिर और BNP) छात्रों को अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल किया।” प्रधानमंत्री हसीना ने यह बात तब कही जब इतालवी राजदूत एंटोनियो एलेसांद्रो ने यहां उनके सरकारी आवास गणभवन में उनसे मुलाकात की। बांग्लादेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर देशभर में हुए छात्रों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद मंगलवार को जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। सरकार ने आरोप लगाया कि जमात-ए-इस्लामी उस आंदोलन का फायदा उठा रही है, जिसमें कम से कम 150 लोग मारे गए। यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग के नेतृत्व वाले 14-दलों गठबंधन की बैठक के बाद हुआ है। इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि जमात को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

जमात पर प्रतिबंध लगाने का हालिया निर्णय 1972 में ‘‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का दुरुपयोग” करने के कारण लगाए गए प्रारंभिक प्रतिबंध के 50 वर्ष बाद आया है। सत्तारूढ़ अवामी लीग के शीर्ष नेताओं ने मुक्ति संग्राम में जमात की भूमिका के कारण इस पर प्रतिबंध का समर्थन किया है। जमात का पंजीकरण रद्द होने और अदालती फैसलों के कारण चुनावों में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित होने के बावजूद यह सक्रिय रही। सरकार ने प्रतिबंध लगाने का कारण हालिया प्रदर्शनों में पार्टी की संलिप्तता का उल्लेख किया है। कानून मंत्री अनीसुल हक ने मंगलवार को कहा था कि यह प्रतिबंध कोटा सुधार आंदोलन से जुड़ी हालिया हिंसा के कारण लगाया जा रहा है और इसे एक कार्यकारी आदेश के जरिए लागू किया जाएगा।

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