दौसा : प्रदेश में गुर्जर आरक्षण पर फिर तलवार लटक सकती है। गुर्जरों को एक बार फिर से आरक्षण फिसलने का खतरा है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से 2017 के बाद की नियुक्तियों की सूचना मांगी है। इसलिए 5 फीसदी एमबीसी आरक्षण विधेयक रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की अनुपालन में कार्मिक विभाग ने अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) को दी गई नियुक्तियों की सूचना जल्द भेजने के निर्देश देने पर समस्त अतिरिक्त मुख्य सचिव सहित अधिकारियों को आदेश दिया।
इस मामले में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के हिम्मत सिंह गुर्जर ने बीजेपी सरकार पर एमबीसी आरक्षण को लटकाने का आरोप लगाया है। हिम्मतसिंह ने कहा कि राजस्थान सरकार ने फरवरी माह में सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिका लगाकर गुर्जर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का आग्रह किया था। सुप्रीम कोर्ट ने एमबीसी आरक्षण विधेयक 2019 को चैलेंज करने वाली याचिका पर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति मुझे और दिवंगत कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला को नोटिस देकर जवाब देने को कहा था।
5 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकर से एमबीसी को आरक्षण विधेयक अधिसूचना 17 नवंबर 2017 और 13 फरवरी 2019 के बाद उक्त वर्ग के लोगों को दी गई नियुक्तियों की सूचना विभागवार देने के लिए निर्देशित किया था। संविधान की नवीं अनुसूची की मांग गुर्जर समाज पिछले छह साल से कर रहा है और भाजपा के जनप्रतिनिधियों को केन्द्र सरकार से संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करा कर इस पांच फीसदी आरक्षण को सुरक्षा चक्र प्रदान करने का अनुरोध करता आ रहा है। दुर्भाग्य है कि हमारे युवाओं की बड़ी शहादत और देश के बड़े आंदोलनकारी कौम को भाजपा सरकार ने वोट बैंक समझा। उन्होंने भाजपा सरकार को चेतावनी दी है कि भविष्य में यदि गुर्जर आरक्षण पर आंच आती है और बच्चों का भविष्य खराब होता है तो गुर्जर समाज को सड़कों पर आने में देर नहीं लगेगी। हम फिर से वही आंदोलन करने को विवश होंगे।