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बांग्लादेश में हिंसा के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारो हिंदू, नई सरकार से मांग रहे इंसाफ

ढाकाः पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद और देश छोड़ने के बाद हिंदुओं पर हिंसा लगातार बढ़ गई है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है। लेकिन अभी भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। राजधानी ढाका की सड़कों से पुलिस गायब है और सेना ने पूरी तरह मोर्चा संभाल रखा है। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय मंदिरों पर हमलों के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है। देशभर में शनिवार को हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के विरोध में हिंदू समुदाय ने मार्च किया।

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि यह सभी का है, इसपर किसी एक समुदाय का अधिकार नहीं है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की मांग की। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने जमकर नारेबाजी भी की। लोगों ने कहा- ‘यह देश किसी के बाप का नहीं है, इसके लिए हमने खून दिया है, जरूरत पड़ी तो फिर से खून देंगे। बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे।’ उन्होंने हिंदुओं पर हो रही हिंसा के दौरान मूकदर्शक बने रहने को लेकर सिविल सोसाइटी के सदस्यों पर नाराजगी जताई। इस प्रदर्शन में भाग लेने वाले कनु कुमार के हवाले से बताया कि बांग्लादेश के हिंदू अपने घरों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा चाहते हैं।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सरकार उन लोगों को मुआवजा दे जिन्होंने अपनी संपत्ति खो दी है और जिन मंदिरों को तोड़ दिया गया है उनका पुनर्निर्माण किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे देश छोड़ने वाले नहीं हैं, अपना अधिकार पाने के लिए सड़कों पर रहेंगे। उन्होंने जमात-ए-इस्लामी, बीएनपी और हिंदुओं पर हमले की निंदा करने वालों को धन्यवाद दिया।बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने कहा कि वह नस्लीय आधार पर किसी भी हमले या हिंसा के खिलाफ हैं। महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने गुरुवार को कहा, ‘हमने स्पष्ट किया है, हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हाल के हफ्तों में बांग्लादेश में होने वाली हिंसा को शांत किया जाए। निश्चित रूप से, हम किसी भी नस्लीय आधारित हमले या नस्लीय आधार पर हिंसा भड़काने के खिलाफ हैं।’

बांग्लादेश में हिंसा भड़कने के बाद कई हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायों को निशाना बनाया गया है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेता हिंसा में मारे गए हैं। बांग्लादेश में जॉब कोटा को लेकर शुरू हुआ छात्रों का विरोध प्रदर्शन शेख हसीना सरकार के पतन के का कारण बना. उन्हें देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। हसीना के देश छोड़ने के बाद देशव्यापी हिंसा में कम से कम 232 लोग मारे गए। उपद्रवियों ने हिंदुओं, उनके धार्मिक स्थलों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। कई पुलिस थाने आग के हवाले कर दिए गए, पुलिस वालों पर जानलेवा हमले हुए। इसके विरोध में बांग्लादेश पुलिस के कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। अब जबकि बांग्लादेश में नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है, देश में सामान्य स्थिति बहाल करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

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