दस्तक-विशेष

भारत और रूस संबंधों को नई मजबूती

विवेक ओझा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया रूस यात्रा भारत की विदेश नीति के यथार्थवादी दृष्टिकोण से ऐतिहासिक रही। एक ऐसे समय में जब यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को लेकर पश्चिमी राष्ट्र अमेरिका के नेतृत्व में ध्रुवीकृत हो गए हैं, ऐसे में रूस के साथ संबंधों को निडरता के साथ विस्तार देना एक साहसिक कदम है। रूस यात्रा के दौरान मोदी और पुतिन के बीच शिखर वार्ता करीब दो घंटे तक चली। दोनों देश द्विपक्षीय आर्थिक संबंध और व्यापार बढ़ाने के लिए तत्पर दिखाई दिए। इस बैठक में दोनों देशों के नेताओं ने 2030 तक 100 बिलियन डॉलर के कारोबार का लक्ष्य रखा। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने रूस की सेना में भर्ती भारतीयों का भी मुद्दा उठाया जिस पर रूस की तरफ से जल्द से जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया गया है। भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने भी इस यात्रा के हवाले से स्पष्ट किया है कि रूस की सेना में भर्ती भारतीयों की सही-सही संख्या के बारे में जानकारी नहीं है। हमें लगता है कि ऐसे लोगों की संख्या 35 से 50 थी जिसमें से 10 लोग देश लौट चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद उम्मीद है कि इस मामले का समाधान जल्द होगा। एक तरफ भारत और रूस के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ यह सब देखकर अमेरिका परेशान है। मोदी और पुतिन की मुलाकात से पहले अमेरिका की तरफ से यूक्रेन को केंद्र में रखते हुए बयान दिया गया लेकिन पीएम मोदी ने दिखा दिया कि भारत रूस से अपनी दोस्ती नहीं छोड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस दो दिवसीय हाई-प्रोफाइल मॉस्को यात्रा के दौरान व्यापार, जलवायु और अनुसंधान सहित कई क्षेत्रों में नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए है।

  1. भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित गैर-टैरिफ व्यापार बाधाओं को खत्म करने की उम्मीद जताई गई। संतुलित द्विपक्षीय व्यापार को जारी रखने के लिए भारत से माल की आपूर्ति में बढ़ोतरी सहित, 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के आपसी व्यापार की उपलब्धि हासिल करना भी दोनों देशों का लक्ष्य है।
  2. राष्ट्रीय मुद्राओं का इस्तेमाल करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली का विकास करना और आपसी निपटान में डिजिटल वित्तीय उपकरणों को बढ़ोतरी देने पर भी इस वार्ता का मुख्य मुद्दा रहा।
  3. उत्तर-दक्षिण अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारे, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री लाइन के नए मार्गों की शुरुआत के जरिए भारत के साथ कार्गो कारोबार में बढ़ोतरी पर भी दो देशों में सहमति बनी है।
  4. कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरकों में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा में बढ़ोतरी, पशु चिकित्सा, स्वच्छता और पादप स्वच्छता प्रतिबंधों और निषेधों को हटाने के उद्देश्य से एक गहन संवाद का रखरखाव जारी रखना भी इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य रहा।
  5. परमाणु ऊर्जा, तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल सहित प्रमुख ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग का विकास और ऊर्जा बुनियादी ढांचे, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी के विस्तारित रूप को बढ़ावा देना पर सहमति बनी।
  6. बुनियादी ढांचे के विकास, परिवहन इंजीनिर्यंरग, ऑटोमोबाइल उत्पादन और जहाज निर्माण, अंतरिक्ष और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बातचीत को मजबूत करना। सहायक कंपनियों और औद्योगिक समूहों का निर्माण करके भारतीय और रूसी कंपनियों को एक-दूसरे के बाजारों में प्रवेश की सुविधा प्रदान करने पर सहमति बनी।
  7. डिजिटल अर्थव्यवस्था, विज्ञान और अनुसंधान, शैक्षिक आदान-प्रदान और उच्च तकनीक कंपनियों के कर्मचारियों के लिए इंटर्नशिप के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देना। अनुकूल राजकोषीय व्यवस्थाएं प्रदान करके नई सहायक कंपनियों के निर्माण की सुविधा देने पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी।
  8. दवाओं और उन्नत चिकित्सा उपकरणों के विकास और आपूर्ति में व्यवस्थित सहयोग को बढ़ावा देने, रूस में भारतीय चिकित्सा संस्थानों की शाखाएं खोलने और योग्य चिकित्सा कर्मियों की भर्ती के साथ-साथ चिकित्सा और जैविक सुरक्षा के क्षेत्र में समन्वय को मजबूत करने की संभावना का अध्ययन करने पर सहमति बनी।
  9. मानवीय सहयोग का विकास, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति, पर्यटन, खेल, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य क्षेत्रों में बातचीत का लगातार विस्तार करने भी दोनों देशों के बीच बात बनी।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजा है। पुतिन ने पीएम मोदी को ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ से नवाजा, जो कि रूस का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। तीसरी बार पीएम पद संभालने के बाद मोदी ने अपने पहले विदेश दौरे के लिए रूस जाने का फैसला किया। गौरतलब है कि जिस वक्त मोदी रूस के दौरे पर थे उस वक्त पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन, नेटो की बैठक की तैयारी हो रही थी। अमेरिका में होने वाली नेटो की इस बैठक में यूक्रेन के लिए सहयोग और नेटो की उसकी सदस्यता अहम मुद्दा था। जानकार मानते हैं कि मोदी का रूस दौरा पश्चिमी देशों को इशारा है कि वह अपनी रक्षा और अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह पश्चिमी देशों पर निर्भर नहीं कर सकता। बीते साल भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर यूरोपीय युनियन के विदेश नीति प्रमुख जुसेप बोरेल की टिप्पणी का जवाब दिया था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है और ये सामान्य है। भारत रूस के साथ अपने पुराने संबंधों को मज़बूत करने की बात दोहराता रहा है, और यही अमेरिका के लिए चिंता की बात है।

भारत और रूस असैन्य परमाणु सहयोग संबंध में विस्तार
भारत और रूस के बीच नागरिक परमाणु समझौता जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत भारत की ऊर्जा सुरक्षा और इसकी प्रतिबद्धताओं के लिए रणनीतिक साझेदारी का एक अहम भाग है। दोनों पक्षों ने कुडनकुलम नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र में शेष छह विद्युत इकाइयों के निर्माण में हुई प्रगति और इनके पुर्जों की निर्माण के लिए की जा रही कोशिशों को गति देने का निर्णय किया है। दोनों पक्षों ने भारत में रूस की डिजाइन की हुई नई नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र और परमाणु उपकरणों के संयुक्त निर्माण सहित तीसरे देशों में सहयोग पर वार्ता संपन्न की है। भारत और रूस ने बांग्लादेश के रूपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के क्रियान्वयन में त्रिपक्षीय सहयोग पर समझौता ज्ञापन में किए गए समझौते को पूरा करने में हुई प्रगति का आकलन भी हाल के समय में किया है। दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को कम करने सहित हॉइडेल और अक्षय ऊर्जा स्रोतों, ऊर्जा क्षमता पर सहयोग को आगे और बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने का निर्णय लिया है।

भारत-रूस के मध्य अवसंरचना विकास हेतु साझेदारी
भारत और रूस ने अवसंरचनात्मक विकास के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने का निर्णय किया है। भारत में औद्योगिक गलियारे के विकास के लिए रूसी कंपनियों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें सड़क एवं रेल अवसंरचना का विकास, स्मार्ट सिटी, वैगन निर्माण तथा संयुक्त यातायात लॉजिस्टिक्स कंपनी का गठन शामिल है। रूस ने औद्योगिक गलियारे की रूपरेखा को अपनी संयुक्त परियोजनाओं में शामिल करते हुए भारत में संयुक्त परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए उपग्रह आधारित प्रौद्योगिकियों की मदद से कर-संकलन में विशेषज्ञता की पेशकश की है। भारत और रूस ने अंतर्राष्ट्रीय यातायात गलियारों के कार्यान्वयन के लिए यातायात शिक्षा, कार्मिक प्रशिक्षण तथा वैज्ञानिक समर्थन के क्षेत्र में सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। इस उद्देश्य के लिए दोनों पक्षों ने राष्ट्रीय रेल एवं यातायात संस्थान (वडोदरा) और रूसी यातायात विश्वविद्यालय (एमआईआईटी) के बीच सहयोग कायम रखने पर बल दिया।

भारत और रूस ने क्षेत्रीय और वैश्विक अंतरसंपर्क बढ़ाने के महत्व को हाल के समय में रेखांकित किया। दोनों देशों ने द्विपक्षीय और अन्य भागीदार देशों के साथ यथाशीघ्र चर्चाओं के जरिए वित्तीय सुविधा, सड़क एवं रेल अवसंरचना विकास तथा सीमा शुल्क संबंधी लंबित मुद्दों को तय करने के लिए प्रयासों में तेजी लाकर अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण यातायात गलियारा (आईएनएसटीसी) के विकास का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने ईरान होते हुए रूस जाने वाले भारतीय माल यातायात के मुद्दे पर मॉस्को में आयोजित हुए ‘यातायात सप्ताह-2018’ के उपलक्ष्य में भारत, रूसी संघ और ईरान के बीच प्रस्तावित तीन पक्षीय बैठक का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने टीआईआर कारनेट के तहत अंतर्राष्ट्रीय माल यातायात सीमा शुल्क सम्मेलन में अपने नेतृत्व के बारे में रूसी पक्ष को सूचित किया। उल्लेखनीय है कि अन्तर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण यातायात गलियारा एक मल्टी मॉडल यातायात परियोजना है जिसके तहत लगभग 7600 किलोमीटर लंबा वैकल्पिक अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक मार्ग विकसित किया जाना है। इसे विकसित करने का विचार वर्ष 2000 में भारत, रूस और ईरान ने दिया था। इसे भारत के बंदरगाह से सेंट पीटर्सबर्ग तक विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना में कुल 13 देश शामिल हैं। यह परियोजना भारत और रूस दोनों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह ऊर्जा समृद्ध मध्य एशिया के देशों को भी जोड़ रही है।

भारत और रूस ने हरित गलियारा परियोजना (ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट) को जल्द शुरू किए जाने का समर्थन किया है। इसका उद्देश्य भारत और रूस के बीच माल यातायात के संबंध में सीमा शुल्क गतिविधियों को सरल बनाना है। इस प्रोजेक्ट के तहत दोनों देश अपनी-अपनी कंपनियों और उद्यमियों की एक सूची तैयार करेंगे जिनके वस्तुओं का कोई सीमा शुल्क निरीक्षण नहीं किया जाएगा। दोनों पक्षों ने इसे आपसी व्यापार बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। परियोजना शुरू हो जाने के बाद दोनों देशों का सीमा शुल्क प्रशासन इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएगा। इस हरित गलियारे के गठन का विचार रूस के फेडरल कस्टम्स सर्विस ने दिया था। रूस फिनलैंड और टर्की के साथ भी ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन कर रहा है। चीन और इटली के साथ भी ऐसे प्रोजेक्ट पर रूस ने हस्ताक्षर किए हैं। रूस पारस्परिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए इसे आवश्यक उपकरण समझता है। भारत और रूस ने भारत के राज्यों और रूस के क्षेत्रों के बीच सहयोग को मजबूत करने और उन्हें संस्थागत रूप देने के प्रयास भी शुरू किए हैं। भारत के राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों तथा रूसी संघ के क्षेत्रों के बीच सहयोग की गति को आगे ले जाने के लिए दोनों पक्षों ने निर्देश दिया है कि दोनों देशों के व्यापार, उद्यमों और सरकारी निकायों के बीच सीधे संपर्क में और तेजी लाई जाए।

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