आजादी की 78वीं वर्षगांठ आज, PM मोदी लाल किले पर 11वीं बार फहराएंगे तिरंगा
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लगातार 11वीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। इस अवसर पर लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में में जहां वह अपनी सरकार का एजेंडा रखते हैं, रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते हैं, महत्वपूर्ण नीति और कार्यक्रम की घोषणा करते हैं वहीं देश के समक्ष ज्वलंत मुद्दों के बारे में बात भी करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर अपने तीसरे कार्यकाल के पहले संबोधन में वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पीछे छोड़ देंगे। मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 के दौरान लाल किले की प्राचीर से 10 बार तिरंगा फहराया था। इस मामले में मोदी जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गए हैं। नेहरू को यह सम्मान 17 और इंदिरा को 16 बार मिला था। ‘विकसित भारत’ का विषय उनके संबोधन में प्रमुखता से छाया रह सकता है।
माना जा रहा है कि वह अपने संबोधन में बांग्लादेश में संकट की स्थिति, विशेष रूप से अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाए जाने का उल्लेख भी कर सकते हैं। ऐसा इसलिए हो सकता कि कई हिन्दू संगठनों ने इस मुद्दे को मजबूती से उठाया है और उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा की घटनाओं का विरोध सड़क पर उतर कर किया है। मोदी कम बहुमत के साथ लगातार तीसरी बार अपनी सरकार को मिले जनादेश के बारे में भी बोल सकते हैं और इस बात पर विस्तार से चर्चा कर सकते हैं कि पिछले 10 वर्षों में शुरू किए गए सुधारों, विकास कार्यक्रमों और कल्याणकारी उपायों ने लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित किया है।
प्रधानमंत्री के संबोधन में लोगों की नजर इस बात पर भी रहेगी कि क्या वह किसी नई पहल की घोषणा करते हैं या वर्तमान में लागू किए जा रहे कल्याणकारी कार्यक्रमों के दायरे का क्या विस्तार करते हैं। उनके 15 अगस्त के भाषणों में अक्सर जम्मू एवं कश्मीर का जिक्र आता रहा है क्योंकि सरकार ने 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को खत्म करने के बाद से पूर्ववर्ती राज्य में सुरक्षा और विकास प्रतिमानों को स्थापित करने के लिए लगातार काम किया है। हाल ही में इस क्षेत्र, विशेष रूप से जम्मू संभाग में कई आतंकी घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं। उच्चतम न्यायालय ने राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर की समय सीमा तय की है।
ऐसी भी संभावना है कि तीसरे कार्यकाल के लिए मोदी के पद संभालने के बाद से सरकार द्वारा लिए गए कुछ प्रमुख निर्णयों को वह अपने संबोधन में रेखांकित कर सकते हैं इस तरह के फैसलों में गरीबों के लिए आवास योजना का विस्तार, सड़क और रेल बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना और वक्फ बोर्डों और संपत्तियों को विनियमित करने वाले कानून में प्रस्तावित बदलाव शामिल हैं, जिसकी विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है।