डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स को वैश्विक आपात स्थिति घोषित किया, विश्व समुदाय को किया अलर्ट :
देहरादून ( विवेक ओझा) : मध्य पूर्व और पूर्वी अफ्रीका में संक्रामक मंकीपॉक्स ( Monkeypox) बीमारी तेजी से अपने पांव पसार रहा है। अफ्रीका से बाहर भी इसके मामले दर्ज होने के बाद अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ( Global public health emergency) घोषित कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को वैश्विक आपात स्थिति घोषित करने के साथ ही विश्व समुदाय से इसके प्रति अलर्ट रहने का आग्रह किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अफ्रीकी देश कांगो में इसका प्रसार चिंताजनक है। WHO ने यह घोषणा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में वायरल संक्रमण के प्रकोप के बाद की गई है जो पड़ोसी देशों में भी फैल गया है। कांगो से इतर स्वीडन और अब भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी इसके मामले पाए गए हैं। पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के तीन मामले पाए गए हैं। ये इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि इस वर्ष मंकीपॉक्स के 17000 से अधिक मामले देखे गए हैं और 500 से अधिक मौतें हुईं जिनमें अधिकतर कांगो में हैं। यह बीमारी कांगो सहित 13 अफ्रीकी देशों में फैल रही है। कांगो से यह बीमारी बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा सहित पड़ोसी देशों में फैल गई है।
WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस ए. घेब्रेयसस ने वैश्विक स्वास्थ्य संगठन की ‘इमरजेंसी कमेटी’ के सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के बावजूद भी 2022 में भी ऐसी ही घोषणा की थी । उस समय WHO ने माना था कि 70 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का प्रसार होना एक ‘असाधारण’ हालात है । इससे पहले, डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19, इबोला, जीका वायरस के लिए आपात स्थिति की घोषणा की थी। इस रोग को वैश्विक आपात स्थिति घोषित करने का यह मतलब है कि मंकीपॉक्स का प्रकोप एक असाधारण घटना है और यह रोग कई अन्य देशों में भी फैल सकता है तथा एक समन्वित वैश्विक प्रतिक्रिया की जरूरत है। वहीं भारत में भी मंकीपॉक्स के मामले पाए गए हैं।
क्या है मंकीपॉक्स :
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है।
मंकी पॉक्स के लक्षण क्या हैं :
इस वायरस के शुरुआती लक्षण बुखार, सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द और मांसपेशियों में दर्द है। बुखार उतरने पर शरीर पर चकत्ते आ जाते हैं, जो कि अक्सर चेहरे से शुरू होते हैं और शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल जाते हैं। इन चकत्तों में अधिक खुजली या दर्द हो सकता है। मंकीपॉक्स संक्रमण आम तौर पर अपने आप ठीक हो जाता है और 14 से 21 दिनों के बीच रहता है। गंभीर मामलों में घाव पूरे शरीर और विशेष रूप से मुंह, आंखों और गुप्तांगों पर होते हैं।
मंकीपॉक्स कैसे फैलता है : मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में आने से फैलता है। इसमें यौन संबंध और चमड़ी से त्वचा का संपर्क और संक्रमित शख्स से करीब से बात करना शामिल है। शरीर में यह वायरस क्षतिग्रस्त त्वचा के माध्यम से आंख, श्वसन तंत्र, नाक या मुंह में प्रवेश कर सकता है। साथ ही मंकी पॉक्स उन वस्तुओं को छूने से भी फैल सकता है जिसका कि संक्रमित शख़्स ने इस्तेमाल किया हो, जैसे कि बिस्तर, कपड़े और तौलिया।
वायरस संक्रमित जानवर जैसे कि बंदर, चूहे और गिलहरी के संपर्क में आने से यह भी हो सकता है। साल 2022 में मंकी पॉक्स वायरस यौन संपर्क से अधिक फैला था। डीआर कांगो में इस बार मंकी पॉक्स वायरस फैलने का कारण ज़्यादातर यौन संपर्क है, लेकिन यह अन्य समुदायों में भी पाया गया है।
मंकी पॉक्स के फैलने को संक्रमण पर रोक लगाकर ही काबू किया जा सकता है और सबसे अच्छा तो ये है कि वैक्सीन लगवाई जाए। इस बीमारी की वैक्सीन होती हैं लेकिन ये इसकी पहुंच उन्हीं लोगों तक होती है जो या तो ख़तरे में हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के क़रीबी होते हैं। डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में दवा निर्माताओं से कहा है कि वे वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आगे आएं, और जिन देशों में ज़रूरत है लेकिन औपचारिक रूप से मंज़ूरी नहीं मिली है, वहां भी इन वैक्सीन को लेकर जाएं।