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राजीव गांधी की जयंती पर उनकी कुछ ख़ास भूमिकाओं का अवलोकन

देहरादून ( विवेक ओझा) : आज देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती है। भारत के एक प्रधानमंत्रियों ने अपनी अपनी सोच, विजन, कार्यशैली के जरिए देश को नेतृत्व प्रदान किया है। देश की संसदीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री का पद भारत की संप्रभुता का प्रतीक होता है। इस देश ने अब तक हमें 19 प्रधानमंत्री दिए। उन्हीं में से एक राजीव गांधी जी की आज जयंती है। नेतृत्व(leadership)भारत की विदेश नीति के प्रमुख निर्धारक तत्वों (Determinant factor) में से एक है और विदेश नीति के संदर्भ में नेतृत्व का मतलब होता है प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और अन्य भारतीय राजनयिक। राजीव गांधी ने कुछ ऐसी परंपराएं डालीं, कुछ ऐसी पहल की, जिनके चलते उनके योगदान को सराहा जाना चाहिए।

1989 में बेनज़ीर भुट्टो के साथ समझौता जिसके तहत तब से लेकर आज तक ( प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति के दौरान भी) हर साल 1 जनवरी को भारत पाकिस्तान विश्वास निर्माण बहाली ( CBM) के प्रयास के रूप में अपने नाभिकीय हथियारों के भंडार से जुड़ी सूचना एक दूसरे को साझा करते हैं और हर साल 1 जनवरी को ही भारतीय जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों को भारत और पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय कैदियों को रिहा किया जाता है और ऐसा तब भी हो रहा है जब 7 अगस्त 2019 को भारत पाकिस्तान के आर्थिक और कूटनीतिक सम्बंध आधिकारिक तौर पर ख़त्म हो गए हैं।

राजीव गांधी ने 1987 में फिजी में सैन्य तख्ता पलट की घटना के दौरान प्रवासी भारतीयों के साथ हुए बुरे बर्ताव के लिए फिजी को कॉमनवेल्थ से सस्पेंड कराने का काम किया, प्रवासी भारतीयों की नागरिकता पर फिजी में प्रहार के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया और फिजी के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने तक की घोषणा कर डाली थी। आज प्रवासी भारतीय भारत की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधार स्तंभ हैं।

1962 से 1988 के बीच भारत और चीन के विवादास्पद रिश्ते सामान्य नहीं हो पा रहे थे और 1988 में राजीव गांधी ने चीन की ऐतिहासिक यात्रा की ( भारत के विदेश मंत्रालय के वर्तमान दस्तावेज में ऐतिहासिक यात्रा करार दिया गया है) और दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों को नॉर्मल बनाने के प्रयास शुरू हुए। परिणाम 1993 के LAC से जुड़े समझौते में मिला लेकिन तब तक प्रधानमंत्री राजीव गांधी आतंकी हमले में दिवंगत हो चुके थे।

देश में कंप्यूटर क्रांति लाकर डिजिटल इंडिया की नींव रखने में राजीव गांधी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। भारत में कंप्यूटर एवं मोबाइल राजीव गांधी की आधुनिक सोच की ही देन हैं। राजीव गांधी ने देश में शिक्षा, चिकित्सा और विज्ञान सहित कई क्षेत्रों में नई पहल की, जिनमें संचार क्रांति और कम्प्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रचार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण, 73वें एवं 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से पंचायती राज का सुदृढ़ीकरण, स्वतंत्र निर्वाचन एवं वित्त आयोग का गठन महत्वपूर्ण है। जब कम्प्यूटर क्रांति का राजीव गांधी ने सूत्रपात किया, तब तत्कालीन विपक्षी पार्टियों ने उनका विरोध किया, मगर उन्होंने अपने मन में भारत को मजबूत, आत्मनिर्भर और तकनीकी विकास के मार्ग के माध्यम से तेज रफ्तार से दौड़ता मुल्क बनाए रखने का सपना संजोए रखा, जिसके दम पर आज भारत के टेक्नोक्रेट्स विश्व में अपना परचम फहरा रहे हैं।

राजीव गांधी की पहल पर अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना हुई थी। इस पहल से शहर से लेकर गांवों तक दूरसंचार जाल बिछना शुरू हुआ था, जगह-जगह पीसीओ खुलने लगे थे जिससे गांव की जनता भी संचार के मामले में देश-दुनिया से जुड़ सकी । 1986 में राजीव गांधी की पहल से ही एमटीएनएल की स्थापना हुई, जिससे दूरसंचार क्षेत्र में और प्रगति हुई। मौजूदा समय में देश में खुले 551 नवोदय विद्यालयों में 1.80 लाख से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। गांवों के बच्चों को भी उत्कृष्ट शिक्षा मिले, इस सोच के साथ राजीव गांधी ने जवाहर नवोदय विद्यालयों की नींव डाली थी।

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