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केरल में 72 प्रतिशत न्यायिक अधिकारी महिलाएं, CJI ने सम्मेलन में जानें क्या कुछ कहा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर जिला न्यायपालिका (District Judiciary) के राष्ट्रीय सम्मेलन में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, केरल (Kerala) न्यायपालिका में 72 प्रतिशत न्यायिक अधिकारी महिलाएं (Women) हैं. उन्होंने कहा, केरल आशाजनक तस्वीर पेश करता है. दिल्ली के भारत मंडपम में शनिवार को इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. डीवाई चंद्रचूड़ इस सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे हैं, साथ ही इस सम्मेलन में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में जिला अदालतों में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, केरल इसमें सबसे आगे रहा है, जहां 72 प्रतिशत न्यायाधीश महिलाएं हैं. महिलाओं की न्यायपालिका में बढ़ती भागीदारी को सीजेआई ने भविष्य की एक आशाजनक न्यायपालिका की तस्वीर करार दिया. उन्होंने कहा, साल 2023 में राजस्थान में सिविल जजों की कुल भर्ती में 58% महिलाएं थीं. राजधानी दिल्ली में नियुक्त न्यायिक अधिकारियों में 66% महिलाएं थीं, उत्तर प्रदेश में साल 2022 में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के लिए नियुक्तियों में 54% महिलाएं थीं, केरल में न्यायिक अधिकारियों की कुल संख्या में से 72% है.

सीजेआई ने कहा कि ग्रामीण अदालत की एक युवा महिला जिला न्यायाधीश ने हाल ही में उनसे अपने अनुभव साझा किए, महिला जज ने सीजेआई को बताया कि बार के बाकी सारे जज को जितना सम्मान दिया जाता हैं उतना युवा महिला जज को नहीं दिया जाता. इस बात को सामने रखते हुए सीजेआई ने कहा, ऐसा लगता है कि महिला जज को जो सम्मान नहीं दिया जा रहा है उसकी वजह उनकी उम्र और जेंडर है, जोकि गलत है. ऐसे उदाहरण निराशाजनक हो सकते हैं. ऐसे समय में अपने युवा सहयोगियों को आपको समर्थन करना चाहिए जोकि न्यायिक संस्थान के ढांचे को मजबूत करेगा.

जिला अदालतों की जिम्मेदारी पर सीजेआई ने कहा कि कई नागरिक वकीलों का खर्च उठाने में असमर्थ हैं. उनमें वैधानिक अधिकारों के बारे में जागरूकता की कमी है और अदालतों तक पहुंचने में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं. ऐसे में जिला अदालत के न्यायधीश इन लोगों की मदद करते हैं, इनके अधिकारों की रक्षा करते हैं. सीजेआई ने कहा, हमारे काम की कामयाबी इसी में है कि नागरिक क्या सोचते हैं, वहीं तय करते हैं कि उन्हें हम पर भरोसा है या नहीं और समाज के प्रति हमारी अपनी जवाबदेही की यहीं परीक्षा होती है.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, जिला न्यायपालिका को एक जबरदस्त जिम्मेदारी निभाने के लिए गठित किया गया था और इसे ‘न्यायपालिका की रीढ़’ माना जाता है. साथ ही उन्होंने जोर दिया कि जिला न्यायपालिका का काफी महत्व है और इन्हें सुबोर्डिनटे जूडिशीएरी (Subordinate Judiciary) नहीं कहा जाना चाहिए. सीजेआई ने न्यायपालिका के महत्व को सामने रखते हुए कहा, जिला अदालत कानून के बुनियादी ढांचे के विकास की देखरेख करते हैं, वे अपने काम के दौरान पैरालीगल, कानूनी सहायता समितियों और लोक अदालतों के साथ काम करते हैं. सीजेआई ने जिला अदालतों के जजों से कहा कि युवा वकील, जो सीधे यूनिवर्सिटी से कोर्ट में आते हैं और अपने सफर की शुरुआत करते हैं उन्हें जिला अदालतों के जज गाइड करें.

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