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बहराइच में आदमखोर भेड़ियों का आतंक जारी, मासूम बच्ची को बनाया शिकार

लखनऊः उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की महसी तहसील में आतंक का पर्याय बने भेड़ियों के हमले जारी हैं। रविवार रात संदिग्ध रूप से इन भेड़ियों के अलग-अलग हमलों में ढाई साल की एक बच्ची की मौत हो गई जबकि एक बुजुर्ग महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। इसके अलावा पड़ोसी सीतापुर जिले में भी भेड़ियों के हमले की आशंका है। खास बात यह है कि भेड़िये अब नये इलाकों में हमले कर रहे हैं। बहराइच की जिलाधिकारी मोनिका रानी ने सोमवार को मौके पर पहुंचकर संवाददाताओं को बताया कि भेड़िये के हमले में ढाई वर्षीय अंजलि की मौत हो गई तथा एक महिला घायल हो गई। जुलाई से अब तक इस हिंसक वन्य जीव के हमलों के कारण अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है।

भेड़िया बच्ची के दोनों हाथ खा गया
ग्रामीणों ने बताया कि महसी तहसील क्षेत्र के हरदी थाना इलाके में गरेठी गुरुदत्त सिंह के नव्वन गरेठी मजरे में एक/दो सितंबर की रात घर में मां के साथ सो रही ढाई साल की बच्ची अंजलि को भेड़िया उठा ले गया। चीख सुनने पर परिजन उसके पीछे भागे, लेकिन कोई पता नहीं चल सका। तलाश करने पर गांव से एक किलोमीटर की दूरी पर अंजलि का क्षत-विक्षत शव पाया गया। भेड़िया बच्ची के दोनों हाथ खा गया। दूसरी घटना हरदी थाना क्षेत्र के बाराबिगहा के मौजा कोटिया में हुई। यहां कमला देवी (70) सोमवार सुबह घर में लेटी थी, तभी दरवाजे की रस्सी तोड़कर भेड़िया भीतर घुसा और हमला कर उन्हें घायल कर दिया। परिजनों के शोर मचाने पर भेड़िया कमला देवी को छोड़कर भाग गया। गंभीर रूप से घायल कमला देवी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। महिला की गर्दन, मुंह और कान पर चोटें आई हैं। उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ल ने अस्पताल पहुंच कर घायल महिला के इलाज का जायजा लिया है।

जिलाधिकारी मोनिका रानी ने बताया कि महसी तहसील के गरेठी गांव में भेड़िये के हमले की यह पहली घटना है। उन्होंने बताया कि हमलावर भेड़िये अब नए गांवों में हमले कर रहे हैं। चार पांच दिन के अंतराल पर यह घटनाएं हो रही हैं। मोनिका रानी के अनुसार जिन गांवों में पहले घटना हुई है वहां और आसपास के गांवों में बड़ी संख्या में पुलिस, प्रशासन, पीएसी, वन विभाग के कर्मियों को तैनात किया गया है। चार भेड़िये पकड़े भी गए हैं।

जिलाधिकारी ने कहा कि इस संबंध में लोगों को लगातार जागरुक किया जा रहा है कि वह दरवाजे बंद करके या घरों की छतों पर सोएं, खुले में ना सोएं तथा विशेष रूप से सचेत रहें। मोनिका रानी ने कहा, “अभी तक दो भेड़ियों के हमलावर होने की बात सामने आ रही है। लेकिन संख्या को लेकर भी वन विभाग विशेष रूप से अपनी जानकारी एकत्र कर रहा है। जांच पूरी होने पर सही संख्या बताई जा सकती है।”

100 के करीब टोलियां रात भर जागकर गश्त करती हैं
गौरतलब है कि बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में मार्च से ही इंसानों पर भेड़ियों के हमले हो रहे हैं। बरसात के मौसम में 17 जुलाई से हमले बढ़े हैं और हमलों में सात बच्चों सहित आठ लोगों की मौत हो चुकी है तथा 30 से अधिक लोग हमलों में घायल हुए हैं। इस क्षेत्र में विभिन्न विभागों, गैर-सरकारी संगठनों और ग्रामीणों की 100 के करीब टोलियां रात भर जागकर गश्त करती हैं। पीएसी के 200 जवान, पुलिस व वन विभाग के कई जवान भेड़िये पकड़ने व ग्रामीणों की सुरक्षा में जुटे हैं। सीतापुर के हरगांव थाना क्षेत्र के परसेहरा शरीकपुर गांव में कथित भेड़िये के हमले से दहशत फैल गई। एक सितंबर की देर रात हुए कथित हमले में महिला और तीन अन्य लोग घायल हो गए। सोमवार को वन विभाग की टीम ने हमला करने वाले जानवर के नमूने और पैरों के निशान एकत्र किए।

स्थानीय लोगों का दावा है कि हमला भेड़ियों ने किया है, जबकि वन विभाग के अधिकारियों को शक है कि हमला सियार ने किया है। रोजिडा (30) नामक महिला अपने तीन बच्चों के साथ घर के अंदर सो रही थी। रोजिडा पर जानवर ने हमला कर दिया और उसने अपने बच्चों को बचाने की कोशिश की, इस दौरान वह घायल हो गई और उसके हाथ पर पंजे के निशान आ गए। इसके अलावा 500 मीटर दूर स्थित मजरा कासिमपुर में दो और महिलाओं पर हमला किया गया। इन महिलाओं में 60 वर्षीय रामश्री और 65 वर्षीय कैलाशा शामिल हैं, जो हमले में घायल हो गईं। ग्रामीणों ने तत्काल वन विभाग को सूचना दी और आरोप लगाया कि हमला भेड़िये ने किया है। वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और पैरों के निशान और चोट के निशानों की जांच की।

सीतापुर के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) नवीन खंडेलवाल ने मीडिया को बताया कि टीम को भेड़िया, बाघ, तेंदुआ या पैंथर जैसे किसी जंगली जानवर के पैरों के निशान नहीं मिले और न ही किसी बड़े जानवर के होने के सबूत मिले। डीएफओ ने बताया कि सियार के पैरों के निशान मिले हैं और फोटो दिखाने के बाद वन विभाग की टीम और ग्रामीणों ने इसकी पुष्टि की है। डीएफओ ने लोगों से अपील की है कि वे जानवरों के हमले के बारे में अफवाहों को फैलाने से बचें और लोगों में दहशत पैदा करने से बचें। अगर कोई जानवर दिखाई दे तो लोग तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना दें ताकि प्रशासन समय रहते उनकी मदद कर सके।

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