अन्तर्राष्ट्रीय

रूस के नार्थ सी रूट से भारत को कितना होगा फायदा, जानिए

मॉस्को : यमन के हूती विद्रोहियों के हमलों ने स्वेज नहर से होने वाले व्यापार को लेकर टेंशन बढ़ा दी है। ये विद्रोही इजरायल-हमास युद्ध (Israel–Hamas War) का नाम लेकर किसी भी कार्गो शिप पर हमला कर दे रहे हैं। इन हमलों में कई जहाज डूब भी चुके हैं। ऐसे में स्वेज नहर का इस्तेमाल कर व्यापार करने वाले देश टेंशन में हैं। यही कारण है कि भारत (India) अब नए-नए विकल्पों की तलाश कर रहा है, जिससे वह स्वेज नहर को बाइपास कर सके और उसके व्यापार पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव न हो। यही कारण है कि भारत इन दिनों रूस के साथ मिलकर नॉर्थ सी रूट (उत्तरी समुद्री गलियारा) पर काम कर रहा है। यह गलियारा भारत के चेन्नई को रूस के व्लादिवोस्तोक से कनेक्ट करेगा।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) को बताया कि रूस पश्चिम से पूर्व की ओर कार्गो के ट्रांसपोर्ट, तटीय और रेलवे बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और ट्रांसशिपमेंट सुविधाओं को विकसित करके नॉर्थ सी रूट (एनएसआर) को और विकसित करेगा। पिछले साल, नॉर्थ सी रूट के जरिए 36 मिलियन टन के रिकॉर्ड कार्गो को ट्रांसपोर्ट किया गया था। व्लादिवोस्तोक में नौवें पूर्वी आर्थिक मंच में शामिल एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि नॉर्थ सी रूट आने वाले वर्षों में भारतीय हितों की अच्छी तरह से साध सकता है।

मॉस्को में भारतीय दूतावास में नौसेना अताशे कमोडोर ब्रिजिंदर सिंह सोढ़ी ने ‘उत्तरी समुद्री मार्ग (नॉर्थ सी रूट) और इसकी लॉजिस्टिक क्षमताएं’ नामक एक पैनल को बताया, “भारत इस विकास की कहानी का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक है और हम अपने संयुक्त दृष्टिकोण को साकार करने के लिए रूसी एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।” सोढ़ी ने इस बात पर जोर दिया कि नई दिल्ली ने संपर्क मार्ग की क्षमता को अधिकतम करने के लिए ऊर्जा, बुनियादी ढांचे और जहाज निर्माण परियोजनाओं के विकास में विदेशी निवेशकों की भागीदारी की परिकल्पना की है।

उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में नॉर्थ सी रूट से ट्रांसपोर्ट किए गए कुल 36 मिलियन टन माल में से लगभग 5 मिलियन टन का माल भारत से आया था। उन्होंने कहा कि इस विकास में “भू-आर्थिक शक्ति संतुलन को पूर्व की ओर स्थानांतरित करने की क्षमता” है। भारतीय अधिकारी ने कहा, “यूरोप और एशिया को जोड़ने में स्वेज नहर मार्ग के विकल्प के रूप में नॉर्थ सी रूट की संभावनाएं आज अधिक प्रासंगिक लगती हैं। लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर हमले हो रहे हैं। ऐसे में नॉर्थ सी रूट यूरोप और एशिया के बीच प्रमुख समुद्री मार्गों को प्रतिस्थापित नहीं भी कर सके तो पूरक तो जरूर बन सकता है।”

रूस में नौसेना अताशे कमोडोर ब्रिजिंदर सिंह सोढ़ी ने नॉर्थ सी रूट को “21वीं सदी का प्रमुख परिवहन गलियारा” बताया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि नॉर्थ सी रूट को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) से जोड़ने की संभावना भारत के लिए लाभदायक अवसर प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि रूस के नदी परिवहन और रेलवे बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से दोनों गलियारों को जोड़ना संभव होगा। सिंह ने कहा, “नॉर्थ सी रूट को संभावित चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर के साथ पूर्व से जोड़ा जा सकता है, जिस पर हमारे दोनों देशों के बीच चर्चा एक उन्नत चरण में पहुंच गई है… यह सर्कुलर रूट को पूरा कर सकता है जो एशिया, यूरेशिया और आर्कटिक क्षेत्रों को कवर करेगा।”

नॉर्थ सी रूट (NSR) को उत्तरी समुद्री मार्ग के नाम से भी जाना जाता है। यह 5,600 किलोमीटर (3,500 मील) लंबा एक शिपिंग मार्ग है। उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) यूरेशिया के पश्चिमी भाग और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बीच सबसे छोटा शिपिंग मार्ग है। प्रशासनिक रूप से, उत्तरी समुद्री मार्ग बैरेंट्स और कारा समुद्र (कारा जलडमरूमध्य) के बीच की सीमा से शुरू होता है और बेरिंग जलडमरूमध्य (केप देझनेव) में समाप्त होता है। NSR आर्कटिक महासागर (कारा, लाप्टेव, पूर्वी साइबेरियाई और चुकची समुद्र) के समुद्रों में फैला हुआ है। पूरा मार्ग आर्कटिक जल में और रूस के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के भीतर स्थित है, और इसे नॉर्थईस्ट पैसेज कहा जाता है, जो कनाडा के नॉर्थवेस्ट पैसेज के समान है। उत्तरी समुद्री मार्ग में बैरेंट्स सागर शामिल नहीं है, और इसलिए यह अटलांटिक तक नहीं पहुंचता है।

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