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सुरक्षा बलों को और सशक्त बनाने की तैयारी

विवेक ओझा

भारत एक लोककल्याणकारी देश है जहां आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इस दिशा में सीमा सुरक्षा और गैर सीमा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत के अर्ध सैनिक बलों को समय समय पर आवश्यकता के अनुसार मजबूती देने की कोशिश की जाती है। अर्ध सैनिक बलों की संरचना और कार्यपद्धति का आधुनिकीकरण, संसाधन प्रबंधन, नई बटालियनों का सृजन, आपसी समन्वय, वेतन और पेंशन संबंधी शर्तों में सुधार, जवानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के उपाय जरूरी हैं और गृह मंत्रालय को इस पर निर्णय लेना होता है। इसी कड़ी में हाल ही में देश के सबसे बड़े केन्द्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ और फस्र्ट लाइन ऑफ डिफेंस सीमा सुरक्षा बल ( बीएसएफ ) में 57 नई बटालियनों के सृजन को मंजूरी दी गई है। इससे बॉर्डर और आंतरिक सुरक्षा को नई ताकत मिलेगी। साथ ही दोनों बलों में पदोन्नति की समस्या से जूझ रहे कैडर अधिकारी एवं निचला स्टाफ भी राहत महसूस करेगा। दोनों ही बलों में इंस्पेक्टर से लेकर कमांडेंट और डीआईजी रैंक तक में नए पद सृजित होंगे। गौरतलब है कि लंबे समय से सीआरपीएफ में 35 और बीएसएफ में 22 बटालियनों के सृजन की फाइल गृह मंत्रालय में विचाराधीन थी। बीएसएफ, दुनिया का सबसे बड़ा सीमा सुरक्षा बल है जो पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ 6386.36 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करता है। सूत्रों के मुताबिक नए बटालियन के सृजन से जुड़ी फाइल को शीर्ष नेतृत्व की मंजूरी मिल गई है। हालांकि अभी आधिकारिक आदेश आना बाकी है।

ऐसे निर्णय लिए जाने इसलिए भी जरूरी हैं क्योंकि कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां नए सिरे से शुरू हो चुकी हैं। आतंकवादी कश्मीर के घने जंगलों में छिपकर आतंकी हिंसा को अंजाम देने लगे हैं , नार्को आतंकवाद (टेरर फंडिंग के लिए ड्रग्स तस्करी) के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ बांग्लादेश बॉर्डर भी अस्थिर और अशांत हो गया है जिसके चलते अवैध तरीके से शरणार्थियों का आगमन हो रहा है और तस्कर भी सक्रिय हो रहे हैं। ऐसे में भारत पाकिस्तान और भारत बांग्लादेश बॉर्डर पर निगरानी को बढ़ाना, कांबेटिंग स्किल्स को बढ़ाना जरूरी है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर सीआरपीएफ और बीएसएफ के स्तर पर जरूरी सुधार करने की योजना भारत सरकार बना रही है। सीआरपीएफ की बटालियंस भी बढ़ाने की जरूरत को ध्यान में रखा जा रहा है। जिस तरह से भीड़ हिंसा, नक्सली गतिविधियां, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने वाले अराजक तत्वों का प्रसार हुआ है,उसे नियंत्रित करने के लिए सीआरपीएफ के पास ह्यूमन रिसोर्स होना आवश्यक है।

पंजाब बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल की तैनाती में आयी तेजी

पंजाब में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की एक और बटालियन तैनात करने का निर्णय लिया गया है। बटालियन को भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया जाएगा। पंजाब में पाकिस्तान बॉर्डर पार से नशा तस्करी और हथियार (गोला-बारूद) की खूब तस्करी होती है। ड्रोन से नशा और हथियारों की सप्लाई को रोकने और घुसपैठ पर अंकुश लगाने के लिए एक अतिरिक्त बटालियन की तैनाती की मांग की गई थी जिसे मान लिया गया है। इसके अलावा सीमा सुरक्षा बल पुरुष जवानों की तरह मोर्चे पर गश्त करने के लिए घुड़सवार महिला जवानों की एक घुड़सवार इकाई भी बना रहा है। बीएसएफ ने हाल ही में जम्मू से सटे गुरदासपुर में अधिक सैनिकों को तैनात करके पंजाब-जम्मू सीमा पर अपनी ताकत बढ़ाई है। ऐसा भारत-पाकिस्तान सीमा से पंजाब के रास्ते जम्मू तक होने वाली आतंकवादियों की घुसपैठ को रोकने के लिए किया गया है। इस समय पंजाब में बीएसएफ के पास 500 किलोमीटर से अधिक लंबे बॉर्डर एरिया पर मोर्चे की सुरक्षा का जिम्मा है। इसके लिए लगभग बीएसएफ की 20 बटालियन पंजाब में सक्रिय हैं। इनमें से 18 सीमा पर तैनात हैं, जबकि बाकी को अमृतसर में अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट और गुरदासपुर जिले के करतारपुर कॉरिडोर डेरा बाबा नानक में जरूरत के अनुसार तैनात किया गया है। पंजाब के अमृतसर और तरनतारन के सीमावर्ती जिलों में वर्ष 2019-20 के आसपास से ड्रोन खतरा ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए ऐसा जरूरी भी था। पाकिस्तान सीमा पार से ड्रग्स की तस्करी पहले भूमि मार्ग से होती थी, लेकिन अब ड्रोन के माध्यम से हवाई मार्ग से पंजाब में ड्रग्स की सप्लाई आ रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सुरक्षा एजेंसियों ने इस साल अब तक 120 से अधिक ड्रोन बरामद किए हैं, जबकि 2023 के दौरान 107 ड्रोन सुरक्षा बल ने मार गिराए थे।

सीआरपीएफ के कार्मिकों के मनोबल को बढ़ाने हेतु भारत सरकार के प्रयास

सीआरपीएफ की बात करें तो करीब पौने तीन सौ इंस्पेक्टरों को फायदा हो सकता है। लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे निरीक्षकों को राहत मिल सकती है। उन्हें सहायक कमांडेंट के पद पर पदोन्नति दे दी जाएगी। 35 बटालियनों के सृजन केहिसाब से लगभग पौने दो सौ सहायक कमांडेंट डीसी बन जाएंगे। इसी तरह सौ से अधिक डिप्टी कमांडेंट, टूआईसी बन सकते हैं। 35 टूआईसी, कमांडेंट बन जाएंगे। अगर नए सेक्टर या रेंज बनती हैं तो डीआईजी के पद भी सृजित होंगे। इसी तरह बीएसएफ में भी 150 से अधिक सहायक कमांडेंट, डिप्टी कमांडेंट बन जाएंगे। 22 कमांडेंट भी बनेंगे। इनके अलावा साठ से ज्यादा टूआईसी भी बनेंगे। केन्द्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ में सवा तीन सौ के करीब इंस्पेक्टरों को भी एक रैंक आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। बीएसएफ के लिए दो नए सेक्टर/21 यूनिटों की बात कही जा रही है। इनमें से मिजोरम के लिए एक सेक्टर व तीन यूनिट खड़ी की जा सकती हैं। आईसीपी के लिए पांच यूनिट, सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए 2 यूनिट तैयार करने की बात है। जलपाईगुड़ी में एक यूनिट और पांच यूनिट, रिजर्व बटालियन की सृजित की जा सकती हैं। इनके अलावा जम्मू से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़ रहे घुसपैठ के मामलों को देखते हुए वहां भी नई यूनिटें प्रदान की जा सकती हैं। घुसपैठ रोकने के मकसद से वहां एक सेक्टर व पांच यूनिट ‘2 टीयर’ को मंजूरी मिल सकती है।

सीआरपीएफ की भूमिका

केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का गठन 27 जुलाई 1939 को किया गया था। यह 28 दिसंबर 1949 को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल अधिनियम लागू होने पर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल नाम से जाना जाने लगा। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र की बदलती जरूरतों के अनुसार इस बल के लिए एक बहुआयामी भूमिका की कल्पना की थी। जब 1939 में अंग्रेजों ने इसे बनाया था तब इसका मूल नाम क्राउन्स पुलिस रिप्रेजेंटेटिव था। अब इसके गौरवशाली इतिहास के 83 वर्ष पूरे हो चुके हैं। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की संरचना की बात करें तो इसमें 243 बटालियन (210 विशेष बटालियन, 6 महिला बटालियन, 15 आरएएफ बटालियन, 10 कोबरा बटालियन, 5 सिग्नल बटालियन और 1 विशेष ड्यूटी ग्रुप और 1 पीडीजी सहित) हैं। सीआरपीएफ 43 समूह केन्द्रों, 20 प्रशिक्षण संस्थाओं, 3 सीडब्ल्यूएस, 7 एडब्ल्यूएस, 3 एसडब्ल्यूएस और 100 बिस्तरों वाले 4 कम्पोजिट अस्पतालों और 50 बिस्तरों वाले 17 कम्पोजिट अस्पतालों के गठन से बना हुआ एक बड़ा संगठन है। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा मुख्यत: भीड़ को नियंत्रित करने, दंगों पर नियंत्रण करने, आंतकियों को मार गिराने या उन्हे हटाने का ऑपरेशन करने का दायित्व निभाया जाता है। यह वामपंथी उग्रवाद से निपटने और हिंसक क्षेत्रों में चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था को बनाने के लिए राज्य पुलिस के साथ समन्वय करने का भी काम करता है। इसे अति विशिष्ट व्यक्तियों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की भी जिम्मेदारी दी गई है। यह पर्यावरण विनाश को रोकने पर निगरानी और स्थानीय वनस्पतियों और जीवों का संरक्षण करने के लिए भी अपनी निगाह लगाए रखता है।

बीएसएफ की भूमिका

भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1 दिसंबर 1965 को बीएसएफ का गठन किया गया था। यह गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्य करता है और भारत के सात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है। अन्य केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल हैं। असम राइफल्स (एआर), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर बीएसएफ के 2.65 लाख सैनिक तैनात हैं। यह भारतीय सेना के साथ भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा, भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर और नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात है। इसमें एक एयर विंग, मरीन विंग, एक आर्टिलरी रेजिमेंट और कमांडो यूनिट है। बीएसएफ अरब सागर में सर क्रीक और बंगाल की खाड़ी में सुंदरबन डेल्टा जैसी भौगोलिक स्थितियों में भी सुरक्षा प्रदान कर रही है। कानून और व्यवस्था बनाए रखने तथा शांतिपूर्ण चुनाव कराने में राज्य प्रशासन की मदद करने में बीएसएफ की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। बीएसएफ प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी सुरक्षा प्रदान करती है ताकि ज़रूरत पड़ने पर मानव जीवन को बचाया जा सके।

बीएसएफ सिविक ऐक्शन प्रोग्राम के माध्यम से स्थानीय लोगों के साथ संवाद को बढ़ावा देता है, उन्हें मानवीय सहायता प्रदान करता है और भारत सरकार के पक्ष में उनके दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव लाने पर बल देता है। यह यूएन पीस कीपिंग मिशन में भाग लेता रहा है। नक्सल विरोधी अभियानों में भी इसने अपनी भूमिका निभाई है। भारत पाकिस्तान और भारत बांग्लादेश सीमा को हर तरह के अपराधों, अवैधानिक गतिविधियों और सीमा पार आतंकी कार्यवाहियों से बचाना इसका प्रमुख उद्देश्य है। उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर तक ज़ब्ती, तलाशी और गिरफ्तारी हेतु ‘सीमा सुरक्षा बल’ (बीएसएफ) के क्षेत्राधिकार का विस्तार करने के लिए एक अधिसूचना भी जारी कर चुका है।

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