नई दिल्ली : शरीर को स्वस्थ रहने में विटामिन डी अहम भूमिका निभाता है। अगर आप लंबे समय तक बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं तो दूसरे जरूरी विटमिन्स और पोषक तत्वों (nutrients) की तरह ही आपको विटमिन डी को भी अपने आहार में शामिल करना चाहिए। विटामिन डी का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत सूरज की रौशनी है इसलिए विटमिन डी को सनशाइन विटमिन भी कहते हैं। हड्डियों, मासंपेशियों और दांत को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए विटमिन डी की जरूरत होती है। शरीर में कैल्शियम को हड्डियों तक पहुंचाने का काम भी विटामिन डी करता है।
हालांकि आजकल शहरों में लोग जिस तरह की लाइफस्टाइल जी रहे हैं, उससे शरीर में विटामिन डी की कमी ज्यादा होने लगी है। लोग धूप में निकलने से बचते हैं, ऐसी स्थिति में शरीर को प्राकृतिक रुप से विटामिन डी नहीं मिल पाता है। आंकड़ों की मानें तो भारत में 70 से 90 प्रतिशत लोग विटमिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। बहुत सारे लोगों को विटामिन डी की कमी के लक्षण भी पता नहीं होते हैं।
विटामिन डी की कमी के लक्षण
शरीर में विटमिन डी की कमी होने पर आपको हर वक्त थकान महसूस होती है। विटामिन डी की कमी का ये सबसे बड़ा संकेत है। अगर आपकी डाइट सही है और नींद पूरी हो रही है, इसके बाद भी कमजोरी और थकान रहती है तो ये विटमिन डी की कमी की वजह से है। आप ब्लड टेस्ट करवाने के बाद ये जान सकते हैं कि शरीर में विटमिन की कमी है या नहीं।
हड्डियों और पीठ में दर्द-
हड्डियों, मांसपेशियों और दांत को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है। लेकिन अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हो रही है तो इससे कैल्शियम शरीर में अब्जॉर्ब नहीं होगा। शरीर में कैल्शियम को अच्छी तरह से अवशोषित करने के लिए विटमिन डी की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में आप कितना भी कैल्शियम का सेवन कर लें आपकी हड्डियों और पीठ में दर्द रहेगा। हड्डियों में दर्द विटमिन डी की कमी का संकेत है।
चोट और घाव जल्दी ठीक नहीं होना-
शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर अगर आपको कहीं चोट लग जाए तो जल्दी ठीक नहीं होती है। अगर घाव देरी से भर रहा है या चोट ठीक नहीं हो रही है तो ये भी शरीर में विटमिन डी की कमी का संकेत हो सकता है। विटामिन डी शरीर में सूजन, जलन और इंफेक्शन को रोकने में मदद करता है।
डिप्रेशन और मूड खराब-
अगर आपको ऐंग्जाइटी महसूस होती है या हर वक्त डिप्रेशन फील होता है तो ये विटामिन डी की कमी के संकेत हो सकते हैं। अगर आप मूड बात-बात पर खराब होता है तो खून में विटमिन डी की कमी हो सकती है। कई बार घर में सनलाइट नहीं आने पर भी डिप्रेशन रहता है। मूड को फ्रश और हैपी बनाने के लिए नियमित रुप से थोड़ी देर धूप में बिताएं, सुबह की गुनगुनी धूप में खुलकर सांस लें।
बालों का झड़ना-
कई बार विटामिन डी की कमी से बहुत ज्यादा बाल झड़ने लगते हैं। कई बार हमें लगता है कि हेयर फॉल या हेयर लॉस केमिकल वाले प्रॉडक्ट्स के इस्तेमाल की वजह से हो रहा है, लेकिन ये विटामिन्स की कमी की वजह से भी हो सकता है। विटामिन डी की कमी होने पर बहुत ज्यादा बाल गिरने लगते हैं। विटामिन डी वो न्यूट्रिएंट है जो हेयर फॉलिकल्स को बढ़ाता है। अगर शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाए तो बहुत ज्यादा बाल गिरने झड़ने लगते हैं।
इन चीजों का करें सेवन
साल्मन फिश-
साल्मन फिश विटमिन डी का बेहतरीन सोर्स है। इसमें ओमेगा 3 फैटी ऐसिड से भरपूर मात्रा में पाया जाता है। करीब 100 ग्राम साल्मन फिश में 66 प्रतिशत विटमिन डी पाया जाता है। अगर आप नॉन वेजिटेरियन हैं तो साल्मन मछली खाकर विटमिन डी की कमी को दूर कर सकते हैं।
अंडा (एग योक)-
अंडे में भरपूर पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो लोग नॉन वेज नहीं खाते हैं उनके लिए अंडा भी विटामिन डी का अच्छा स्रोत है। अंडे के सफेद वाले हिस्से में प्रोटीन होता है और पीले वाले हिस्से यानि योक में फैट, विटमिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। 1 अंडा खाने से आपको 5 प्रतिशत विटमिन डी मिलता है।
संतरे का जूस-
संतरे का जूस पीने के कई फायदे मिलते हैं। ऑरेंज जूस में विटमिन सी काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा ऑरेंज जूस को विटमिन डी का अच्छा सोर्स माना जाता है। नियमित रुस से ऑरेंज जूस पीने से शरीर में विटामिन डी की कमी को दूर किया जा सकता है। कोशिश करें कि पैक्ड जूस की जगह घर पर बना फ्रेश संतरे का जूस पिएं।
गाय का दूध-
दूध में भी विटामिन डी पाया जाता है, लेकिन अगर आप गाय का दूध पीते हैं तो इससे शरीर को ज्यादा मात्रा में विटमिन डी मिलता है। हालांकि आपको गाय का लो फैट मिल्क की जगह फुल क्रीम दूध पीना चाहिए। दूध से शरीर को कैल्शियम और विटमिन डी दोनों एक साथ मिलते हैं।
दही खाएं-
कुछ लोग दूध नहीं पीते ऐसी स्थिति में आप दही का सेवन कर विटमिन डी की कमी को पूरा कर सकते हैं। दही में से भरपूर विटामिन डी पाया जाता है। रोज दही खाना अगर पसंद नहीं है तो आप लस्सी या छाछ भी पी सकते हैं। दही खाने से पेट और आंत दोनों स्वस्थ रहती हैं।