घर में बेटा नहीं होने पर कौन कर सकता है पितरों का श्राद्ध, जानिए गरुड़ पुराण के अनुसार नियम
नई दिल्ली: पितृ पक्ष का समय इन दिनों चल रहा है जिसका महत्व हिंदू धर्म में बेहद खास होता है। हर साल की तरह इस पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है जो परिवार के वशंजों द्वारा अपने पितरों के लिए किया जाता है। वैसे तो पितृ पक्ष में इस अनुष्ठान का महत्व होता है लेकिन इससे जुड़े कई नियम भी खास होते है।
वैसे तो पितरों का श्राद्ध करने का कार्य बेटे द्वारा किया जाता है लेकिन यदि घर में बेटा नहीं है तो इसकी जगह पर कौन इस नियम को पूरा करेगा। इसे लेकर गरुड़ पुराण में बताया गया है तो वहीं पर कई नियम दिए गए है।
बेटा ना होने पर कौन करता है श्राद्ध
आपको बताते चलें कि, हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के कई नियम और परंपराओं के बारे में बताया गया है।
1- हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध करने का पहला अधिकार बड़े पुत्र को होता है यदि वह नहीं है घर का दूसरा पुत्र यह नियम कर सकता है।
2- अगर घर का बड़ा बेटा नहीं है या उनका निधन हो गया है तो इसकी जगह पर बेटे की पत्नि यानि बहू यह नियम कर सकती है। इसके अलावा भाई का पुत्र यानि भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है।
3- परिवार में केवल पुत्री है तो पुत्री का बेटा यानि नाती भी श्राद्ध कर सकता है. इससे आत्मा को शांति मिलती है और वह मुक्त हो जाती है।
इन नियमों को याद रख लें आप
श्राद्ध करने के दौरान कई जरूरी नियमों का पालन भी आपको कर लेना चाहिए।
पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना जरुरी माना जाता है।
पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करने के दौरान यदि आप जनेऊधारी हैं तो पिंडदान के दौरान उसे बाएं की जगह दाएं कंधे पर रखें.
ध्यान रखें कि पिंडदान सदैव चढ़ते सूर्य के समय में करें, सुबह या अंधेरे में पिंडदान नहीं किया जाता.
पिंडदान कांसे या तांबे या चांदी के बर्तन, प्लेट या पत्तल में करें।
इन नियमों को आपने पिंडदान करते समय याद रखना चाहिए, यह बेहद जरूरी होता है अगर आप इसमें गलती करते है तो अनुष्ठान पूरा नहीं होता है।