कहीं आप की आइसक्रीम में तो जानलेवा संक्रमण नहीं है??
गर्मी की दस्तक के साथ ही आइसक्रीम और बर्फ का उपयोग भी तेजी से बढ़ गया है। इन ठंडे खाद्य पदार्थों का उपयोग करने से पहले न तो कोई सोचता है और नहीं उपयोग से कतराता है। लेकिन अब इसके उपयोग से पहले एेहतियात जरूर बरतें। कहीं ये खाद्य पदार्थ आप को तकलीफ में न डाले दें। क्योंकि इन खाद्य पदार्थों के सेवन से आप जानलेवा संक्रमण को न्योता दे रहे हैं। इतना ही नहीं ये संक्रमण आप के बच्चों और घर के बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं। अगर इनका समय से पता नहीं चले और दुरुस्त उपचार न मिले तो ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
गोले से लेकर ज्यूस तक उपयोग
बर्फ का उपयोग गन्ने के रस, ज्यूस सेन्टरों तथा पानी ठंडा करने सहित अनेक कार्यों में किया जा रहा है। फैक्ट्री वालों ने अपनी फैक्ट्रियों के बाहर केवल व्यवसायिक उपयोग लिख दिया है। खाद्य पदार्थो में उपयोग किया जाने वाला, गन्ने के रस, जूस आदि में मिलाया जाने वाला बर्फ कहां से आ रहा है, इसका जवाब कोई नहीं देता।
ये हो सकती है बीमारियां
दूषित पानी और जंग लगे कंटेनर से बनने वाली बर्फ खाने से पेट पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। पेट में संक्रमण, उल्टी, दस्त, सर्दी, जुखाम और गले संबंधी बीमारियां होती हैं। सर्वाधिक असर बच्चों और बुजुर्गो पर पड़ता है। उपचार न मिल पाने के कारण ये बीमारियां आप के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।
इसलिए आप को कर सकतें है बीमार
अधिकांश बर्फ फैक्ट्रियों में जंग लगे कंटेनरों में बर्फ जमाई जा रही है। जंग इतना कि लोहे की पत्तियां और लोहे के टुकड़े बर्फ जमाने के लिए भरे गए पानी में मिलकर बर्फ में समा रहे हैं। इतना ही नहीं बाजार में बिने वाली बर्फ में उपयोग में लाया जाना वाला पानी भी पूर्ण रूप से शुद्ध न होने के कारण बीमारी का कारण बन सकता है। इसी प्रकार बाजार की बर्फ से बनाई जाने वाली आइसक्रीम भी संक्रमण को न्योता देती है।
ये हैं मानक
बर्फ का सीधा संबंध स्वास्थ्य से होने के कारण इसके निर्माण के लिए विशेष मानक हैं। बर्फ निर्माण के लिए न सिर्फ पानी शुद्ध होना चाहिए, बल्कि उसमें क्लोरीन होना भी जरूरी है। इसके अलावा बिना जंग लगे सांचे व साफ. सुथरे बर्फ जमाने के हौज आदि जरूरी हैं। इसी प्रकार आइसक्रीम फैक्ट्रियों में भी शुद्ध खाद्य सामग्री के इस्तेमाल के अलावा पानी आदि की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए।