पीयूष गोयल ने भारत में मल्टी-ब्रांड रिटेलिंग के प्रवेश की संभावना को किया खारिज, बतायी ये वजह
नई दिल्ली : केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को भारत में मल्टी-ब्रांड रिटेलिंग के प्रवेश की संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि शायद ऐसा करने से अमेरिका की तरह पॉप-एंड-मॉम स्टोर्स खत्म हो जाएंगे। इसके अलावा भारत देश को तेजी से विकास की ओर ले जाने के लिए सभी प्रकार के जरूरी आर्थिक सुधारों के लिए तैयार है।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज थिंक टैंक में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम इनमें से किसी नीति पर फिर से विचार कर सकते हैं। सरकार के पास कैबिनेट की मंजूरी के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी हिस्सेदारी को बढ़ाने की अनुमति देने का अधिकार है। हम संसद में जाकर इसमें बदलाव भी कर सकते हैं। इसमें कोई समस्या नहीं है, हालांकि मुझे नहीं लगता कि इनमें से किसी के लिए संसदीय बदलाव की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे देशों में मुझे एक चीज अक्सर सुनने को मिलती है और वह है- मल्टी-ब्रांड रिटेल। ऐसी आवाजें अमेरिका के अलावा कई जगहों पर सुनाई देती हैं। यह बिल्कुल भी उचित नहीं है। मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि मल्टी-ब्रांड रिटेल पर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं होगा। अमेरिका को बड़ी तकनीक और बड़े रिटेल के दुष्परिणाम भुगतने पड़े हैं। इन दोनों के परस्पर प्रभाव के कारण देश भर में छोटे-मोटे स्टोर लगभग खत्म हो गए हैं।
गोयल ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ऐसा कर भी सकता है, क्योंकि यहां की जनसंख्या भारत की तुलना में बहुत कम है। इसके साथ ही लोगों के लिए नौकरी करने के लिए वैकल्पिक रास्ते भी मौजूद हैं। शायद आपने इस बात को भी स्वीकार कर लिया है कि बाकी युवा अब सिर्फ बिक्री डिलीवरी बॉय या डिलीवरी गर्ल बनने के लिए ही रह गए हैं। यह हर देश का अपना खुद का फैसला और चुनाव हो सकता है।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में लगभग 100 बिलियन छोटे-छोटे स्टोर हैं। आप जिस भी गांव में जाएंगे, वहां आपको अलग-अलग तरह के उत्पाद बेचने वाली 10 या 12 छोटी दुकानें मिलेंगी। अलग-अलग सेवाएं देने वाली 10 या 12 छोटी दुकानें होंगी। लगभग हर कोने में एक फार्मेसी होगी। हमारा मानना है कि वे सभी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। हम चाहते हैं कि वे प्रौद्योगिकी के साथ आगे बढ़ते रहें। अगर वे ई-कॉमर्स के साथ एकीकृत हो जाते हैं या उन्हें ई-कॉमर्स कंपनियों की व्यावसायिक प्रथाओं का सामना करने का मौका मिलता है तो हम खुश हैं, लेकिन हम ई-कॉमर्स के नियमों को बदलने पर विचार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा क्षेत्र में भी भारत में 100 प्रतिशत विदेशी स्वामित्व की अनुमति है।