बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवात से निपटने की तैयारियों की हुई समीक्षा
( समीक्षा के लिए राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति की बैठक हुई संपन्न)
नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो ) : कैबिनेट सचिव डॉ. टी. वी. सोमनाथन ने बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवात से निपटने की तैयारियों की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति की एक बैठक की अध्यक्षता की है। बैठक में भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक ने समिति को पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर अच्छी तरह से चिन्हित कम दबाव वाले क्षेत्र की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। इसके पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और 22 अक्टूबर की सुबह तक एक दबाव के तीव्र हो जाने और 23 अक्टूबर, 2024 तक पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक चक्रवाती तूफान में बदलने की बहुत अधिक संभावना है। उसके बाद, इसके उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और 24 अक्टूबर की सुबह तक उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी के ओडिशा-पश्चिम बंगाल तटों पर पहुंचने की संभावना है। उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ते हुए, 24 अक्टूबर की रात और 25 अक्टूबर, 2024 की सुबह के दौरान इसके 100-110 किलोमीटर प्रति घंटे की गति वाली हवा के साथ एक भीषण चक्रवाती तूफान, जिसकी गति बढ़कर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की हो सकती है, के रूप में पुरी और सागर द्वीप के बीच उत्तरी ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटों को पार करने की संभावना है।
मछुआरों को किया गया सतर्क:
ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिवों ने समिति को चक्रवाती तूफान के संभावित रास्ते में पड़ने वाली आबादी की सुरक्षा के लिए किए जा रहे प्रारंभिक उपायों और स्थानीय प्रशासन द्वारा उठाये जा रहे विभिन्न कदमों से अवगत कराया। मछुआरों को समुद्र में न जाने के लिए कहा गया है और जो लोग समुद्र में हैं उन्हें सुरक्षित स्थान पर वापस बुलाया गया है। नियंत्रण कक्ष भी सक्रिय कर दिए गए हैं और वे स्थिति पर नजर रख रहे हैं। पर्याप्त मात्रा में आश्रय स्थल, बिजली आपूर्ति, दवा और आपातकालीन सेवाएं तैयार रखी गई हैं। असुरक्षित इलाकों में रहने वाले लोगों की निकासी के लिए पहचान कर ली गई है।
एनडीआरएफ की भूमिका रहेगी महत्वपूर्ण:
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने पश्चिम बंगाल में 14 टीमों और ओडिशा में 11 टीमों को तैनाती के लिए तैयार रखा है। जहाजों तथा विमानों के साथ सेना, नौसेना और तटरक्षक बल की बचाव एवं राहत टीमों को तैयार रखा गया है। पारादीप और हल्दिया के बंदरगाहों पर नियमित चेतावनियां और सलाह भेजी जा रही हैं। सेवाओं की तत्काल बहाली के लिए विद्युत मंत्रालय तथा दूरसंचार विभाग द्वारा आपातकालीन टीमों को तैनात किया गया है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
केंद्र और राज्यों में चक्रवात से निपटने के लिए समन्वय जरूरी:
केन्द्रीय एजेंसियों और ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल सरकार की तैयारी के उपायों की समीक्षा करते हुए, कैबिनेट सचिव ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकारों और केन्द्रीय एजेंसियों द्वारा सभी आवश्यक निवारक एवं एहतियाती उपाय किए जायें। इसका उद्देश्य जीवन की हानि को शून्य रखना और संपत्ति एवं बुनियादी ढांचे को कम से कम नुकसान पहुंचने देना होना चाहिए। क्षति की स्थिति में, आवश्यक सेवाओं को कम से कम समय में बहाल किया जाना चाहिए।कैबिनेट सचिव ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि समुद्र में गए मछुआरों को वापस बुला लिया जाए और असुरक्षित इलाकों से लोगों को समय रहते निकाल लिया जाए। उन्होंने ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकार को आश्वासन दिया कि सभी केन्द्रीय एजेंसियां पूरी तरह तैयार हैं और वे सहायता के लिए उपलब्ध रहेंगी। उन्होंने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्यों को भी भारी बारिश के कारण उत्पन्न किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने की सलाह दी। कैबिनेट सचिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि बाढ़ की किसी भी स्थिति से बचने के लिए संभावित प्रभावित क्षेत्र में बांध स्थलों से पानी को छोड़ने की प्रकिया को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
इस बैठक में ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, केन्द्रीय गृह सचिव, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, मत्स्यपालन, विद्युत, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग विभाग के सचिव, आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव, दूरसंचार विभाग के सदस्य (तकनीकी) के अलावा एकीकृत रक्षा स्टाफ के प्रमुख से लेकर चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सचिव, भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के महानिदेशक, भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।