ऐसे सुधरेंगे चीन और भारत के बीच संबंध, पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने दिया सुझाव
कजान/बीजिंग/नई दिल्ली: ब्रिक्स समिट के पहले भारत और चीन सीमा एलएसी पेट्रोलिंग को भारत और चीन के बीच समझौता हुआ तो दोनों देशों के बीच संबंध मधुर होने की उम्मीद जग गई। तमाम विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि इसे पहल मान सकते हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं। फिर सवाल उठा कि आखिर संबंध कैसे सुधरेंगे। फिलहाल ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस के कजान पहुंचे पीएम मोदी ने इस पर खुलकर बात की।
रूस के कजान शहर में दो दिवसीय 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इस समूह का भारत प्रमुख हिस्सा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां पहुंचे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बुधवार को यहां पीएम मोदी के साथ बैठक हुई। इस दौरान शी ने भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए दिए गए सुझावों पर ‘सैद्धांतिक रूप’ से सहमति व्यक्त की।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ खबर के मुताबिक, रूसी शहर कजान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बैठक में शी जिनपिंग की बैठक हुई। इसमें उन्होंने कहा कि चीन-भारत संबंध मूलतः इस बात को लेकर हैं कि 1.4 अरब की आबादी वाले दो बड़े विकासशील और पड़ोसी देश एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।
सीमा क्षेत्रों में मुद्दों पर हुआ गहन संवाद
शी ने कहा कि चीन और भारत को एक-दूसरे के प्रति ठोस रणनीतिक धारणा बनाए रखनी चाहिए तथा दोनों बड़े पड़ोसी देशों को सद्भावनापूर्ण तरीके से रहने और साथ-साथ विकास करने के लिए ‘सही और उज्ज्वल मार्ग’ खोजने के वास्ते मिलकर काम करना चाहिए। दोनों नेताओं ने सीमा क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए गहन संवाद के माध्यम से दोनों पक्षों द्वारा हाल ही में की गई महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना की।
प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि सहयोगी हैं भारत और चीन
समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया, मोदी ने संबंधों को सुधारने और विकसित करने के लिए सुझाव दिए। जिन पर शी ने सैद्धांतिक रूप से सहमति जताई। शी ने कहा कि विकास अब चीन और भारत का सबसे बड़ा साझा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को अपनी महत्वपूर्ण सहमतियों को कायम रखना चाहिए, जिसमें यह भी शामिल है कि चीन और भारत एक दूसरे के लिए खतरा नहीं बल्कि विकास का अवसर है। साथ ही प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि सहयोगी हैं।
पीएम मोदी ने क्या कहा
‘रूस के कजान में ब्रिक्स समिट से अलग राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई। दोनों देशों के लोगों के अलावा क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के साथ स्थिरता के लिए भारत-चीन संबंध अहम हैं। आपसी भरोसा, आदर और संवेदनशीलता ही दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को राह दिखाएंगे।’ बता दें कि दोनों नेताओं के बीच यह पांच सालों में पहली बैठक है।
शी जिनपिंग और मोदी की मुलाकात रचनात्मक रही
चीनी समाचार एजेंसी ने दावा किया कि दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि विशिष्ट असहमतियों से समग्र संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। दोनों नेताओं का मानना है कि उनकी मुलाकात रचनात्मक रही। साथ ही इसका बहुत महत्व है। समाचार एजेंसी ने कहा कि वे चीन-भारत संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से देखने और संभालने, क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि को बनाए रखने और दुनिया में बहुलता को आगे बढ़ाने में योगदान देने पर सहमत हुए।
इससे पहले सरकारी चैनल सीजीटीएन ने शी के हवाले से बताया कि उन्होंने मोदी से कहा कि भारत और चीन को संवाद और सहयोग को मजबूत करना चाहिए तथा अपने मतभेदों और असहमतियों को उचित तरीके से सुलझाना चाहिए। शी ने कहा कि चीन और भारत को एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करनी चाहिए।