पहले साल ही टूट जाती है 80 हजार शिशुओं की जीवन डोर

एजेन्सी/ जयपुर।राज्य में हर साल जन्म लेने वाले करीब 18 लाख शिशुओं में से पहले ही साल 80 हजार की जीवन डोर टूट जाती है। इसके पीछे मुख्य कारण उचित पोषण और स्वास्थ्य की सही देखरेख नहीं होना बताया है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) के अनुसार अभी प्रदेश में प्रति हजार जीवित जन्म पर 47 बच्चे दम तोड़ देते हैं।हालात माताओं की मौत के मामले में भी कुछ अच्छे नहीं हैं। अभी प्रदेश में हर साल करीब 4300 महिलाएं प्रसव के दौरान या उसके बाद दम तोड़ देती हैं। फिलहाल प्रदेश में यह अनुपात प्रति एक लाख पर 244 महिलाओं की मौत का है। नवजात मौत के कारणों में जिला अस्पतालों में नर्सरी, एनआईसीयू न होना व स्वास्थ्य केन्द्रों पर बीमारियों से निपटने की व्यवस्था न होना भी बताए हैं।
38 फीसदी नवजात शिशु कमजोर
स्वास्थ्य विभाग के पास मौजूद वार्षिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक मां को उचित पोषण नहीं मिलने के कारण बच्चे कमजोर पैदा हो रहे हैं। जन्म के समय बच्चे का औसत वजन 2.5 किलो होना चाहिए लेकिन 38 फीसदी बच्चों का वजन जन्म के समय इससे काफी कम होता है।
प्रदेश में शिशु और मातृ मृत्यु दर के ग्राफ में लगातार कमी आ रही है। अभी एसआरएस के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हर साल करीब 80 हजार शिशुओं और 4 हजार से ज्यादा माताओं की मौत हो जाती है। अगले साल तक यह दर और कम हो जाएगी। डॉ.वीके माथुर, निदेशक, परिवार कल्याण, चिकित्सा विभाग
जनाना का ओटी तीन दिन बंद
जनाना अस्पताल के प्रशासन ने ऑपरेशन थिएटर शनिवार को अचानक 19 से 21 मार्च तक के लिए बंद कर दिया है। इसके पीछे फ्यूमिगेशन करना बताया जा रहा है। प्रसूताओं को अब गणगौरी और महिला चिकित्सालय में भेजा जा रहा है। वहीं, पिछले दिनों हुई कई प्रसूताओं की मौत से भी इस मामले को जोड़ कर देखा जा रहा है।
हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह एक नियमित तौर पर की जाने वाली प्रक्रिया है। वहीं जानकारी में सामने आया कि 17 मार्च को हरियाणा की एक प्रसूता की मौत के बाद कॉलेज और अस्पताल के अधिकारियों की एक बैठक हुई। जिसमें यह बात सामने आई कि ओटी में इन्फेक्शन हो सकता है और इसी कारण यहां तीन दिनों तक फ्यूमिगेशन किया जाए।
साथ ही यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले ग्लूकोज की बोतल में फंगस मिली थी, जिसके बाद कई प्रसूताओं की मौत हो गई थी। सूत्रों के अनुसार मामले की जांच के लिए समिति का गठन भी कर दिया गया है और ग्लूकोज आपूर्ति करने वाली कंपनी पर भी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह में दो प्रसूताओं की मौत हो गई थी। जिसमें से एक प्रसूता के परिजनों ने काफी हंगामा किया था। बाद में स्टोर व ओटी से जांच के लिए दवाइयों के सैंपल भी लिए थे।
ऑपरेशन थिएटर को नियमित तौर पर फ्यूमिगेट किया जाता है। कोई शंका नहीं रहे इसलिए एहतियात के तौर पर ओटी को बंद किया है। ग्लुकोज की बोतल में फंगस की बात की जांच करवाई जा रही है।डॉ.यूएस अग्रवाल, प्राचार्य, एसएमएस मेडिकल कॉलेज
जिले में नवजात मौत की स्थिति
गंगानगर 57
हनुमानगढ़ 45
चूरू 48
झुंझुनूं 48
बीकानेर 47
सीकर 50
अलवर 52
भरतपुर 49
धौलपुर 58
दौसा 53
करौली 69
बूंदी 65
कोटा 36
बारां 55
झालावाड़ 63
चित्तौडग़ढ़ 63
भीलवाड़ा 64
प्रतापगढ़ 63
डूंगरपुर 63
बांसवाड़ा 57
उदयपुर 63
राजसमंद 59
पाली 54
अजमेर 50
सवाई
माधोपुर 67
नागौर 52
जोधपुर 46
जैसलमेर 50
जालोर 72
बाड़मेर 70
सिरोही 65
टोंक 57
विकास जैन