उत्तर प्रदेशराज्य

सौर परियोजनाएं कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था का देती हैं अवसर : डॉ.भरत राज सिंह

इंस्टीटूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) द्वारा सौर परियोजनाओं में वित्तीय निहितार्थ सेमिनार

लखनऊ : इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), यूपी स्टेट सेंटर द्वारा मंगलवार, 10 दिसंबर को ‘सौर परियोजनाओं में वित्तीय निहितार्थ’ विषय पर इंजीनियर्स भवन, रिवर बैंक कॉलोनी, लखनऊ में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वी.बी.सिंह, निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स ने बताया कि सौर ऊर्जा वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण घटक बनकर उभरी है। जैसे-जैसे दुनिया निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रही है, सौर परियोजनाएं निवेशकों, सरकारों और निगमों के लिए तेजी से आकर्षक हो गई हैं। हालांकि, किसी भी अन्य बुनियादी ढांचा परियोजना की तरह सौर परियोजनाएं महत्वपूर्ण वित्तीय निहितार्थ के साथ आती हैं। उन्होंने प्रारंभिक निवेश लागत के बारे में बताया किपूंजीगत व्यय : सौर परियोजना के लिए प्रारंभिक निवेश लागत में सौर पैनल, इनवर्टर, बढ़ते ढांचे, भूमि अधिग्रहण और स्थापना की लागत शामिल है। उन्होंने बताया कि सौर परियोजना डेवलपर्स एक निश्चित मूल्य पर बिजली बेचने के लिए उपयोगिताओं, निगमों या सरकारों के साथ दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौते (पीपीए) में प्रवेश कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होने मौसम जोखिम, नियामक जोखिम, वित्तीय जोखिम आदि चर्चा करते हुए सौर परियोजनाओं के बीमा कवरेज पर बल दिया।

सेमिनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ.भरत राज सिंह ने बताया कि सौर परियोजनाएं निवेशकों, सरकारों और निगमों को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने का एक आशाजनक अवसर प्रदान करती हैं। साथ ही उन्होने सोलर पावर प्रोजेक्ट के कास्ट बेनिफिट एनालिसिस पर विस्तार से चर्चा की और बताया कि 2050 तक 500 गीगावाट सोलर पावर से पावर लाइन से जोड़ दिया जायेगा जिससे भारत विश्व में सोलर पावर का सबसे बड़ा देश बन जायेगा। जीएम पाण्डे ने सोलर परियोजनाओं के विभिन्न लाभों पर चर्चा करते हुए बताया कि धीरे—धीरे सोलर पैनल की लागत कम होने के कारण और सरकार द्वारा अनुदान एवं अन्य सुविधाये प्रदान किये जाने के कारण अब सौर परियोजनाओं की प्रभावी लागत कम हो रही है।

पूर्व प्रबन्ध निदेशक दक्षिणान्चल वितरण निगम एसके वर्मा ने बताया कि समुदायों में सोलर प्लान्ट लगाए जाने से समाज में जागरूकता बढ़ेगी और प्रभावी लागत भी कम आयेगी। उन्होंने अपने प्रस्तुतीकरण में विशेषकर सोलर रूफ टॉप परियोजनाओं को मिशन लाइफ से जोड़ते हुए पर्यावरणीय लाभ पर विस्तार से चर्चा की और यह बताया कि एक किलोवाट सोलर रूफ टॉप प्लान्ट स्थापित करने से वार्षिक आधार पर 1000 किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकता है जो लगभग 50 वृक्षों द्वारा अवशोषित कार्बन डाईऑक्साइडके समतुल्य है। कार्यक्रम की शुरुआत में संस्था के अध्यक्ष सत्य प्रकाश ने अतिथियों का स्वागत किया और विषय वस्तु पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि सोलर ऊर्जा सस्ती है आसानी से सुलभ है तथा सभी जगह पर उपलब्ध है। अंत में संस्था के मानद सचिव विजय प्रताप सिंह ने सभी उपस्थित सदस्यों एवं वक्ताओं एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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