कप्तान को बेंच पर बैठा बोर्ड ने बोझ बन चुके सीनियर खिलाड़ियों को दे दिया बड़ा इशारा

क्रिकेट समीक्षा/संजीव मिश्र: बीजीटी (बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी) के लिए घोषित कप्तान रोहित शर्मा शुक्रवार को सिडनी टेस्ट के दौरान बेंच पर खामोश बैठे थे। यानि स्टम्प विकेट से अगले चार दिन उनकी टीम मेट्स को दिशा निर्देश देने वाली आवाज नहीं सुनाई देगी। अपने कप्तान की यह स्थिति विराट कोहली, केएल राहुल और मोहम्मद सिराज उन सीनियर खिलाड़ियों के लिए सीधी चेतावनी है जो अक्सर आउट ऑफ फॉर्म होने के बावजूद अपने रसूख या किसी खास चयनकर्ता के प्रिय होने की वजह से टीम में बने रहते हैं।
क्रिकेट से बहुत कमा रहे हैं पर दे क्या रहे
क्रिकेट आपको बहुत पैसा दे रहा है। गरीब खिलाड़ियों की रातों रात किस्मत बदल दे रहा है। जो ट्रेन का टिकट नहीं खरीद पाते थे और मामूली घरों में रहते थे, उन्हें हवाई यात्रा और लग्जरी सुईट में रहने का मौका दे रहा है। क्रिकेट करोड़ों का वार्षिक कॉट्रेक्ट, भारी भरकम टेस्ट फीस, आईपीएल व विज्ञापनों के जरिए अकूत धन आपको दिलवा रहा है। लेकिन इन सबके बावजूद यदि आपका आउटपुट किसी साधारण खिलाड़ी से भी कमतर है तो आपको अब अपने बारे में खुद ही सम्मान के साथ खेल से विदा होने का फैसला ले लेना चाहिए, क्योंकि क्रिकेट अब आगे बढ़ चुका है। भविष्य में आपको करंट फॉर्म ही टीम में जगह दिला पाएगी।
कप्तान को ही बैठाकर गौतम गंभीर ने पेश किया अनोखा उदाहरण
सिडनी टेस्ट से एक दिन पहले ही यह लगभग तय हो गया था कि हेड कोच गौतम गंभीर पहली बार किसी कप्तान को खराब प्रदर्शन पर किसी मैच से ड्रॉप करने की नजीर पेश करने जा रहे हैं। कमेंट्री के दौरान सुनील गावस्कर और उससे पहले टॉस के समय कार्यवाहक कप्तान जसप्रीत बुमराह ने कहा कि रोहित शर्मा ने अपनी खराब फॉर्म को देखते हुए खुद ही टीम से बाहर रहने का फैसला लिया है। लेकिन यह गले नहीं उतर रहा, क्योंकि मैच के पहले के अंतिम नेट्स के दौरान रोहित शर्मा और गौतम गंभीर के बीच की दूरियां और नेट्स सेशन के बाद कप्तान का सबसे अंत में टीम बस में चढ़ना यह बताने के लिए काफी था कि कुछ बड़ा होने जा रहा है।
रोहित शर्मा मेलबर्न में अंतिम टेस्ट मैच खेल चुके?
प्लेइंग इलेवन क्या शेप लेने जा रही है यह अंतिम अभ्यास सत्र से काफी कुछ साफ हो जाता है। रोहित ने अंतिम अभ्यास सत्र में नाम मात्र की शिरकत की थी। रेगुलर स्लिप फील्डर रोहित शर्मा आस-पास होते हुए भी सक्रिय नहीं थे, जबकि बल्लेबाजी और कैचिंग प्रैक्टिस के दौरान उनकी जगह लेने वाले शुभमन गिल काफी मुस्तैद नजर आ रहे थे। एक दिन पहले ही संकेत मिल चुके थे कि 5 पारियों में 6.20 के औसत से 31 रन बनाने वाले कप्तान के लिए सिडनी टेस्ट में जगह नहीं है और वह बीजीटी में अपना अंतिम टेस्ट मेलबर्न में ही खेल चुके हैं। देखने में कुछ भी लग रहा हो या समझा जा रहा हो लेकिन यह अकेले गौतम गंभीर का नहीं बल्कि बीसीसीआई से मिले इशारे के बाद चीफ सलेक्टर और हेड कोच का आम सहमति के बाद लिया गया फैसला नजर आ रहा है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने शुरू कर दी है सर्जरी
सुबह प्लेइंग इलेवन जब सामने आई तो इसकी पुष्टि भी हो गई कि बीसीसीआई भारतीय सीनियर क्रिकेटरों की शल्य क्रिया करने के लिए ऑपरेशन टेबल तैयार कर चुका है। रोहित शर्मा सीधे तौर पर भले ही पहली छंटनी दिख रही हो लेकिन टीम इंडिया में इसका सिलसिला तो ब्रिस्बेन टेस्ट से ही शुरू हो चुका था। यह दीगर है कि रवि चन्द्रन अश्विन को सम्मान से स्वयं संन्यास घोषित करने का अवसर मिल गया। याद कीजिए, अश्विन के संन्यास के बाद उनके पिता की तीखी प्रतिक्रिया को। यह आम संन्यास के बाद किसी खिलाड़ी के परिवार से तो कभी नहीं आ सकती। कोई सीनियर खिलाड़ी विदेशी दौरे से बीच सीरीज संन्यास लेकर अपने देश लौट आता है तो यह साधारण संन्यास नहीं हो सकता। इसलिए अब उन खिलाड़ियों को समझ में जाना चाहिए जो खराब खेलने के बावजूद टैलेंटेड खिलाड़ियों की जगह घेरे हैं।
सीरीज के बाद लिए जा सकते बड़े और कड़े फैसले
पांचवें टेस्ट का रिजल्ट कुछ भी हो लेकिन यह तय हो चुका है कि इस सीरीज के बाद कई कड़े फैसले होंगे। यह देखते हुए कि टीम इंडिया को अगली सीरीज इंग्लैंड के खिलाफ पांच महीने बाद खेलनी है कुछ सीनियर खिलाड़ियों को उनके भविष्य के बारे में चयनकर्ताओं के जरिए इत्तला करवा दी जाएगी। बोर्ड यदि सम्मानित तरीके से इन्हें फेयरवेल मैच बख्शता है तब भी जरूरी नहीं है कि ये अपने कॅरिअर को जून तक खींच सकें। जून से पहले किसी वन डे टूर्नामेंट या सीरीज के दौरान भी इनसे संन्यास की घोषणा करवाई जा सकती है।
कप्तान के ड्रॉप होने पर भी टीम का प्रदर्शन नहीं सुधरा
कप्तान को ड्रॉप कर देने या उनके खुद बाहर बैठने के फैसले के बावजूद टीम इंडिया के प्रदर्शन पर कोई तब्दीली नजर नहीं आई। सीरीज के पांचवें व अंतिम टेस्ट मैच की पहली पारी में भी वो ही गल्तियां ही दोहराई गईं जो पहले चार टेस्ट में की गईं थीं। विराट कोहली जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी बार-बार एक गल्ती को दोहरा रहे हैं। वह इस पारी में भी बाहर जाती गेंद को छेड़ने से बाज नहीं आए। रिषभ पंत लगातार तीसरी पारी में सेट होने के बाद लापरवाह शॉट खेलकर आउट हुए। शुभमन गिल जिन्हें भविष्य के कप्तान के तौर पर माना जा रहा है, इस सीरीज में चार पारियों में सिर्फ 80 रन बना पाए हैं।
सिडनी में पहला दिन आस्ट्रेलिया के नाम रहा
पहला दिन आस्ट्रेलिया के नाम ही रहा। टीम इंडिया के 185 रनों के मामूली से दिखने वाले स्कोर के सामने मेजबान पारी को दिन की अंतिम गेंद पर कप्तान बुमराह ने उस्मान ख्वाजा के रूप में सिर्फ नौ रनों पर तगड़ा डेंट लगा दिया है। इस विकेट पर तेज गेंदबाजों के लिए काफी संभावनाएं दिख रही हैं। पर्थ में अटाप्स के तेज विकेट पर भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी, जब टीम इंडिया डेढ़ सौ के मामूली स्कोर पर आउट होने के बावजूद बुमराह की गेंदबाजी से मैच में लौटी थी। लेकिन यह तब संभव हुआ था जब दूसरी पारी में यशस्वी जयसवाल, विराट कोहली के शतक आए थे और और केएल राहुल ने पहले विकेट पर दोहरी शतकीय साझेदारी निभाई थी, इसलिए अभी से कुछ भी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। भारत को इस मैच में अपने पक्ष में रिजल्ट चाहिए तो गेंदबाजी और बल्लेबाजी में पर्थ जैसा प्रदर्शन तो दोहराना ही होगा।