भारत सरकार सैटेलाइट इंटरनेट के आवदेन की जांच कर रही: केंद्रीय मंत्री सिंधिया
नई दिल्ली : सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को भारत में लॉन्च करने की दौड़ में कई सारी कंपनियां शामिल हैं, लेकिन एलन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि आखिर इस सर्विस को भारत में क्यों लॉन्च नहीं किया जा रहा है? इस मामले में मिनिस्टर ऑफ कम्यूनिकेशन ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि सरकार की ओर से स्टारलिंक, अमेजन ओन्ड प्रोजेक्ट Kuiper जैसे सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के आवेदन की समीक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि यूजर्स को ज्यादा से ज्यादा संख्या में सैटेलाइट नेटवर्क का ऑप्शन मिले, जिससे सैटैलाइट इंटरनेट सेक्टर में किसी एक या दो कंपनियों का कब्जा न होकर रह जाए।
पिछले साल सितंबर में टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI की ओर से स्पेक्ट्रम आवंटन के मामले में कंसल्टेशन पेपर जारी किया था। ट्राई ने अपने स्टैंड में बदलाव करते हुए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम नीलामी की जगह प्रशासनिक आवंटन का रास्ता चुना है। सिंधिया ने कहा था कि प्रशासनिक तरीके से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए ग्लोबल ट्रेंड को फॉलो किया गया है। इससे जियो को जोरदार झटका लगा था, क्योंकि जियो को उम्मीद थी कि सरकार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए नालामी प्रक्रिया को चुनेगी।
इस मामले में रिलायंस के सीनियर पॉलिसी एक्जीक्यूटिव रवि गांधी ने सरकार की आलोचना की थी। गांधी ने कहा था कि प्रशासनिक सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन खतरनाक भेदभाव वाला तरीका है। हालांकि सरकार ने जियो के सभी मांगों को दरकिनाक करके सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए प्रशासनिक आवंटन का रास्ता चुना है।
मौजूदा वक्त में भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा मार्केट है, जहां करीब 42 मिलियन ब्रॉडबैंड इंटरनेट यूजर हैं। साथ ही 904 मिलियन 4G और 5G नेटवर्क यूजर हैं। भारतीय टेलिकॉम मार्केट में जियो का दबदबा जारी है। जियो के सबसे ज्यादा एक्टिव इंटरनेट यूजर हैं। जियो की ओर से शुरुआती दौर में फ्री डेटा और कॉलिंग सर्विस दी गई थी, जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा संख्या जियो नेटवर्क पर शिफ्ट हुये थे।
न्यूज एंजेंसी रायटर्स की मानें, तो जियो को Starlink की एंट्री से भारत में अपनी ब्रॉडबैंड यूजरबेस खोने का खतरा है। एलन मस्क को सस्ती कीमत में हाई-स्पीड इंटरनेट सर्विस पेश करने के लिए जाना जाता है। स्टारलिंक की मौजूदा वक्त में हजारों की संख्या में ऑपरेशन सैटेलाइट हैं, जो इंटरनेट सर्विस ऑफर करती हैं।