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मनी लॉन्ड्रिंग केस में छगन भुजबल को SC से बड़ी राहत, जेल जाने से बचे

मुंबई : सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल को बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया,जिसमें धनशोधन के एक मामले में भुजबल को दी गयी जमानत को चुनौती दी गयी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की उस कोशिश को नाकाम कर दिया, जिससे छगन भुजबल पर जेल जाने का खतरा मंडरा रहा था।

हालांकि, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली भुजबल की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता को 2018 में जमानत पर रिहा किया गया था और वर्तमान चरण में उनकी गिरफ्तारी की अवैधता के सवाल पर विचार करना आवश्यक नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘जमानत देने संबंधी आदेश वर्ष 2018 में पारित किए गए थे। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत इस स्तर पर हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है। एसएलपी खारिज की जाती है।’’

बंबई हाई कोर्ट ने धनशोधन मामले में भुजबल को चार मई 2018 को जमानत दे दी थी। महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री भुजबल को तब गिरफ्तार किया गया था, जब ईडी की जांच में यह सामने आया था कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने कथित तौर पर अपने पद का दुरुपयोग किया और सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाया। ईडी के अनुसार भुजबल ने नयी दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण सहित निर्माण और विकास कार्यों से संबंधित ठेके एक विशेष फर्म को दिए और बदले में उन्होंने अपने और अपने परिवार के लिए रिश्वत ली थी। केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया था कि भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल इस तरह के पैसे को अपने स्वामित्व वाली अवैध कंपनियों में भेजते थे।

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