संघ, भाजपा की मानसिकता दलित-पिछड़ा विरोधी : मायावती
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी राजनीतिक विंग भाजपा की मानसिकता दलित एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विरोधी है। केंद्र में इनकी सरकार की कथनी व करनी में बड़ा अंतर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार सफाई दे रहे हैं कि दलितों से आरक्षण कोई छीन नहीं सकता, लेकिन उनकी बात पर विश्वास करना मुश्किल ही नहीं, असंभव लग रहा है।
बसपा सुप्रीमो ने सवाल उठाया कि उनका बयान वैसी ही जुमलेबाजी तो नहीं है जिसमें विदेशों से काला धन लाकर हर भारतीय के खाते में 20-20 लाख रुपये जमा करने का वादा किया गया था।
मायावती ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा, सदियों से गुलामी व अपमान झेल रहे दलितों के लिए आरक्षण कोई मामूली हक नहीं है, बल्कि डॉ. अंबेडकर के संघर्ष से प्राप्त संवैधानिक हक है। पहले कांग्रेस और अब भाजपा सरकार ने साजिश करके इसे निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाकर रख दिया है।
इसमें आरएसएस व भाजपा की कट्टर हिंदूवादी विचारधारा साफ झलकती है। ऐसे लोगों को दलितों व अन्य पिछड़ों से मांगनी चाहिए कि वे शर्मिंदा हैं कि 68 साल में आरक्षण का 50 प्रतिशत लाभ भी उपेक्षित व शोषितों तक नहीं पहुंचा पाए हैं।
सावधान रहें यूपी, उत्तराखंड व पंजाब के लोग
मायावती ने कहा, संघ व भाजपा में जातिवादी मानसिकता रखने वाले लोगों ने कभी भी दलितों का भला नहीं होने दिया। अब अपनी सरकार की घोर विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए साम, दाम, दंड, भेद के हथकंडों को अपनाया जा रहा है।
इन हथकंडों में बाबा साहेब के नाम पर स्मारक व संग्रहालय बनाने की घोषणाएं भी शामिल हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व पंजाब के लोगों से इस साजिश से सावधान रहने की अपील की।
प्राइवेट सेक्टर व न्यायपालिका में आरक्षण सुनिश्चित करना चाहिए। सरकारी नौकरियों व शिक्षा के क्षेत्र में खाली पड़े हजारों आरक्षित पदों के बैकलॉग को भरना चाहिए।
जुमलेबाजी से उपेक्षितों का भला नहीं
मायावती ने कहा, आरक्षण पर सफाई देने के बजाय प्रधानमंत्री को पहले अपनी पार्टी, सरकार व आरएसएस के उन लोगों पर सख्ती से अंकुश लगाना चाहिए जो आरक्षण को लेकर अक्सर व्यर्थ की बयानबाजी करते रहते हैं।
सरकारी स्तर पर पहल करके आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए। तभी देश को लगेगा कि सरकार दलितों को आत्मसम्मान व स्वाभिमान देने के मामले में थोड़ी गंभीर है। केवल जुमलेबाजी से उपेक्षित समाज का भला होने वाला नहीं है।