पनामा के होटल में फंसे 300 लोग, खिड़की से मांग रहे मदद, जानें किस देश के…

पनामा सिटी. अमेरिका (America) से निर्वासन (Exile) और घर न पहुंच पाने की अनिश्चितता के साथ-साथ तमाम दिक्कतों से जूझ रहे 300 लोग पनामा (Panama) के एक होटल (hotel) में फंसे हुए हैं। इन 300 लोगों में सबसे ज्यादा भारतीय (Indian) और नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन नागरिक हैं। ये सभी वहां तब तक रहेंगे, जब तक उनकी वापसी की व्यवस्था नहीं हो जाती, इसके साथ ही उन्हें होटल से बाहर जाने की अनुमति नहीं मिली है। अधिकारियों के अनुसार, 40% से ज्यादा प्रवासी अपने देश लौटने के लिए तैयार नहीं हैं।
होटल में बंद सभी प्रवासियों की हालत काफी दयनीय है, इसका पता इससे चलता है कि होटल में फंसे लोग खिड़कियों पर संदेश लिखकर मदद की गुहार लगा रहे हैं। पनामा के होटल से कई तस्वीरें सामने आई है, जिसमें लोग हाथों में सादे कागज पर- मदद करें और हम अपने देश में सुरक्षित नहीं हैं, लिख कर खड़े हैं।
इन 10 एशियाई देशों के हैं 300 प्रवासी
जानकारी के मुताबिक, सभी प्रवासी 10 एशियाई देशों से आए हैं, जिसमें ईरान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के लोग शामिल हैं। अमेरिका के लिए इन देशों में सीधा निर्वासन करना मुश्किल है, इसलिए पनामा को एक ठहराव के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रवासियों को दी जा रही बुनियादी सुविधाएं
इधर पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक एब्रेगो ने दावा किया है कि, सभी प्रवासियों चिकित्सा सुविधा और खाना मिल रहा है। यह पूरी व्यवस्था अमेरिका और पनामा के बीच हुए एक समझौते के तहत हो रही है। अमेरिका इस पूरे ऑपरेशन का खर्च उठा रहा है। वहीं पनामा के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो, जो ट्रंप की पनामा नहर पर नियंत्रण को लेकर दी गई धमकियों के कारण राजनीतिक दबाव में हैं, ने पिछले गुरुवार को पहली डिपोर्टेशन फ्लाइट के आने की घोषणा की थी।
अपने देशों को लौटने के लिए तैयार प्रवासी
रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 300 लोगों में से 171 प्रवासी अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मदद से अपने-अपने देशों को लौटने के लिए तैयार हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचआरसी) और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) बाकी 128 लोगों के लिए विकल्प की तलाश कर रहे हैं, ताकि वे किसी तीसरे देश में बस सकें। वहीं जो प्रवासी अपने देश वापस जाने के लिए तैयार नहीं हैं, उन्हें पनामा के दारिएन प्रांत के एक विशेष केंद्र में रखा जाएगा।