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धर्म जांचने के लिए उतरवाई पैंटें, चेक किया खतना, फिर आतंकियों ने बेरहमी से की निर्दोषों की हत्या

नई दिल्ली: पहलगाम की घाटी में आतंकियों ने मानवता को शर्मसार करने वाली बर्बरता को अंजाम दिया, जिसमें कम से कम 27 लोगों की जान चली गई। आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाने से पहले उनसे कलमा पढ़ने को कहा। जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई। इसी के साथ एक चौंकाने वाले खुलासे ने इस घटना की क्रूरता की सारी हदें पार कर दी हैं।

मुस्लिम होने का सबूत मांगा, खतना जांचा-

आतंकियों ने पर्यटकों की पहचान सिर्फ कलमा पढ़वाकर ही नहीं की, बल्कि उन्होंने मुस्लिम होने का और भी घिनौना सबूत मांगा। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने पीड़ितों की पैंट उतरवाकर उनके खतने की जांच की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे मुस्लिम हैं या नहीं। इसके बाद ही उन्हें गोली मारी गई।

जांच में खुली पैंट और अंडरवियर दिखे-

घटनास्थल पर पहुंची जांच टीम ने आतंकियों की गोलियों से छलनी शवों का मुआयना किया। टीम ने पाया कि पहलगाम हमले के लगभग 20 पीड़ितों की पैंट या तो खुली हुई थी या नीचे खींची हुई थी। इससे साफ जाहिर होता है कि आतंकवादियों ने कई लोगों को मौत के घाट उतारने से पहले उनकी धार्मिक पहचान की पुष्टि की थी। मुस्लिम समुदाय में खतना एक आम प्रथा है, जिसे आतंकियों ने पहचान का आधार बनाया।

जबरन उतारे गए कपड़े-

भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 27 मृतकों में से 20 के शरीर के निचले हिस्से से कपड़े जबरन हटाए गए थे। उनकी पैंट की जिप खुली हुई थी और पैंट नीचे खींची गई थी, जिससे उनके अंडरवियर या निजी अंग दिखाई दे रहे थे। मृतकों के परिजन शायद इस भयावह त्रासदी के सदमे में थे, जिसके कारण उन्होंने शवों की इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि घटनास्थल पर मौजूद कर्मचारियों ने भी शवों को उसी हालत में उठाया और केवल उन्हें कफन से ढक दिया।

पुराने समय की तरह धर्म की पहचान-

शवों की बारीकी से जांच करने वाली अधिकारियों की टीम ने इस अमानवीय कृत्य पर ध्यान दिया। माना जा रहा है कि एफआईआर में शवों की स्थिति का विस्तृत विवरण दर्ज करने की प्रक्रिया के दौरान जांच टीम की नजर इस पर गई होगी। आतंकवादियों ने पुरुषों की धार्मिक पहचान स्थापित करने के लिए बर्बरता के पुराने तरीकों का इस्तेमाल किया। उन्होंने पीड़ितों के निचले वस्त्र उतरवाकर उनकी आस्था का परीक्षण किया।

प्रत्यक्षदर्शियों के बयान-

प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से भी इस बात की पुष्टि होती है कि आतंकवादियों ने प्रत्येक पीड़ित की धार्मिक पहचान सुनिश्चित की थी। उन्होंने पीड़ितों से उनके पहचान प्रमाण, जैसे आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस, मांगे और उन्हें कलमा पढ़ने का आदेश दिया। इसके बाद, उन्हें अपने निचले वस्त्र उतारने के लिए कहा गया ताकि खतने की जांच की जा सके। इन तीन चरणों की जांच के बाद उनकी हिंदू पहचान सुनिश्चित हुई, जिसके बाद आतंकवादियों ने पीड़ितों को करीब से गोली मार दी। मंगलवार को हुए इस हमले में मारे गए 27 लोगों में से 25 हिंदू थे, और वे सभी पुरुष थे।

70 ओवरग्राउंड वर्कर्स से पूछताछ-

इस जघन्य हत्याकांड की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुलिस, खुफिया ब्यूरो और रॉ के अधिकारियों की एक संयुक्त टीम त्राल, पुलवामा,अनंतनाग और कुलगाम जैसे विभिन्न स्थानों से लगभग 70 ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGW) और ज्ञात आतंकी समर्थकों से गहन पूछताछ कर रही है।

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