हाथों को हमेशा स्वच्छ रखें, बीमारियों से बचें

विश्व हाथ स्वच्छता दिवस (05 मई) पर विशेष
मुकेश शर्मा
संक्रामक बीमारियों से बचने और स्वस्थ रहने का सबसे आसान तरीका है कि हाथों को साबुन-पानी से अच्छी तरह से नियमित रूप से जरूर धुलें। सर्दी, जुकाम, फ्लू ही नहीं बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियाँ ऐसी हैं जो हाथों के जरिए खुद के साथ एक-दूसरे में फ़ैल सकती हैं। इसलिए हाथों को सही तरीके से धुलने की आदत बचपन से ही डालने की जरूरत है। इसी बारे में जागरूकता लाने और हाथ धुलने का सही तरीका जन-जन को समझाने के लिए ही हर साल पांच मई को विश्व हाथ स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2009 में इस दिवस की शुरुआत “जीवन बचाएं- अपने हाथ साफ़ करें” के नारे के साथ की थी, जिसका मकसद हाथों की स्वच्छता के बारे में वैश्विक स्तर पर जागरूकता लाना था।
इस साल इस खास दिवस की थीम है-“आपके पास दस्ताने हो सकते हैं, फिर भी हमेशा हाथ की स्वच्छता जरूरी” (इट माईट बी ग्लव्स, इट्स आलवेज हैण्ड हाइजीन) । इस थीम का मूल मकसद दस्तानों के अनावश्यक उपयोग के बारे में सचेत करना भी है क्योंकि यह हाथों की सही स्वच्छता के विकल्प कदापि नहीं हो सकते। इनका उपयोग स्वास्थ्य देखभाल के दौरान करना तो आवश्यक है लेकिन हाथों की सही स्वच्छता के लिए हाथों को साबुन-पानी से धुलना जरूरी है। इसके अलावा इनके अनावश्यक उपयोग से पर्यावरणीय असर भी पड़ता है। इस तरह लोगों में यह जागरूकता लाना भी जरूरी हो जाता है कि वह अच्छी तरह समझ विकसित कर सकें कि दस्तानों का उपयोग कब और किन परिस्थितियों में जरूरी है।
सही तरीके से साबुन-पानी से हाथ धोने से संक्रमण से होता है बचाव
बच्चों को भी डायरिया समेत कई अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए भी हाथों की स्वच्छता बहुत जरूरी है। इसीलिए चिकित्सक माता-पिता व देखभाल करने वालों को सलाह देते हैं कि छोटे बच्चों को कुछ भी खिलाने- पिलाने और गोद लेने से पहले अपने हाथों को जरूर अच्छी तरह से धुल लें। इसके साथ ही बच्चों के भी हाथों को साफ़ रखना चाहिए। हाथों की सही स्वच्छता को एक स्थायी आदत के रूप में सभी में विकसित करने के लिए हर किसी को प्रोत्साहित करना भी जरूरी है। साबुन-पानी की उपलब्धता न होने पर ही हैण्ड सेनेटाइजर को प्राथमिकता देनी चाहिए। हैण्ड सेनेटाइजर भी 60 फीसद से अधिक अल्कोहल वाला ही हाथों को साफ़ रखने में सक्षम है। लोगों में एक मिथक यह भी है कि हाथों को धुलने के बजाय सेनेटाइज करना ज्यादा फायदेमंद रहता है कि जबकि सही बात यह है कि सेनेटाइजर से केवल कीटाणु या वायरस ख़त्म होते हैं लेकिन हाथों की गंदगी और चिकनाई को दूर करने के लिए साबुन-पानी से हाथ धुलना ही बेहतर विकल्प है।
सही तरीके से हाथ धोने के चरण के बारे में भी हर किसी को जानना जरूरी होता है जैसे- हाथों को पानी से गीला करना, साबुन लगाना, झाग बनाना, रगड़ना, धुलना और सुखाना। इस बारे में समुदाय को भलीभांति समझाने के लिए सुमन-के (SUMAN –K) विधि के बारे में आसान तरीके से समझाया जाता है, इसके अंतर्गत “एस” का मतलब है पहले सीधा हाथ (हथेली और उँगलियाँ), “यू” यानि हाथ का पिछला हिस्सा (उल्टा), “एम” मतलब मुठ्ठी (उँगलियाँ और पोर), “ए” मतलब अंगूठा, “एन” मतलब नाखून (उँगलियों के सिरे) और “के” मतलब कलाई को साबुन पानी से कम से कम 20 सेकेण्ड तक धुलें और अपने हाथों को सही मायने में स्वच्छ रखें। इस विधि के माध्यम से छोटे बच्चों और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी आसानी के साथ समझाया जा सकता है। हाथों को देर तक साबुन-पानी से रगड़ने का भी भ्रम नहीं होना चाहिए क्योंकि कीटाणु और गंदगी 20 सेकेण्ड तक सही तरीके से हाथ धुलने से ख़त्म हो जाते हैं। लोगों में यह भी भ्रान्ति रहती है कि गर्म पानी से ही हाथों को अच्छी तरह से साफ़ रखा जा सकता है जबकि कीटाणु और गंदगी को ख़त्म करने के लिए नार्मल पानी ही पर्याप्त है। खाना खाने से पहले और बाद में, शौचालय के बाद, खांसने-छींकने के बाद, कचरे के निस्तारण के बाद, जानवरों की देखभाल के बाद और बीमार व्यक्ति से सम्पर्क व देखभाल से पहले और बाद में हाथों की स्वच्छता का खास ख्याल जरूर रखना चाहिए ताकि किसी भी तरह के संक्रमण से सुरक्षित रहा जा सके।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इण्डिया के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर हैं)