यूएन से पाकिस्तान को झटका, भारत के खिलाफ धरी रह गई सारी कूटनीति

नई दिल्ली : जैसे-जैसे पाकिस्तान पर भारत का शिकंजा कसता जा रहा है पाकिस्तान की छटपटाहट साफ दिखाई दे रही है. भारत के संभावित सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान कभी संयुक्त राष्ट्र तो कभी दूसरे देशों के दरवाजे पर मत्था मार रहा है लेकिन कहीं से भी पाकिस्तान को मदद नहीं मिल रही. इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान की कोशिश नाकाम रही. क्लोज डोर मीटिंग में उसने भारत के खिलाफ किसी प्रस्ताव या बयान को पारित करवाने की कोशिश की, लेकिन कोई सदस्य देश उसके साथ नहीं खड़ा हुआ. UNSC ने भारत पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की कूटनीतिक जमीन दरक चुकी है. पाकिस्तान लगातार संयुक्त राष्ट्र को ढाल बनाकर अपनी आतंकी नीतियों को जायज ठहराने की कोशिश करता रहा है, लेकिन इस बार UNSC की चुप्पी और भारत के मजबूत रुख ने उसकी चाल नाकाम कर दी है.
जानकारों के मुताबिक, चीन तक ने पाकिस्तान के पक्ष में खुलकर कुछ नहीं कहा, जो इस्लामाबाद की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय अलगाव की स्थिति को दर्शाता है. अब यह स्पष्ट हो चुका है कि पाकिस्तान को भविष्य में अपने हर कदम का हिसाब देना ही होगा. भारत के गृह मंत्रालय ने किसी भी तरह के हमले से निपटने के लिए देशव्यापी मॉक ड्रिल के निर्देश दिए हैं. इसके बाद अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों में इस बात को लेकर ख़ासी उत्सुकता दिख रही है कि आखिर भारत किस बड़े ऑपरेशन की तैयारी कर रहा है.
दुनिया भर के रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि भारत की इन तैयारियों का मतलब है कि भारत ना केवल पाकिस्तान को पहलगाम हमले का दंड देने के लिए बड़ी सैन्य कार्रवाई कर सकता है बल्कि उसके बाद पाकिस्तान के किसी भी जवाबी दुस्साहस पर उसे और कड़ा दंड देने के लिए आगे कदम उठा सकता है. कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित नहीं है. यह हमला पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा अंजाम दिया गया था, और इसकी जांच में पुख्ता सबूत मिले हैं. भारत अब कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने और सैन्य स्तर पर रणनीतिक दंड देने की ओर बढ़ रहा है. सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, यह डिप्लोमैटिक आइसोलेशन + मिलिटरी डिटरेंस का नया फार्मूला है.