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अस्थमा प्रबंधन में इनहेलर की अहम भूमिका : प्रो.राजेंद्र प्रसाद

लखनऊ : पूर्व निदेशक वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली व केजीएमयू के श्वसन चिकित्सा विभाग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि अस्थमा एक पुरानी श्वसन बीमारी है, जिसमें वायुमार्ग में सूजन और संकुचन होता है, जिससे घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है और अगर इसका ठीक से प्रबंधन न किया जाए तो यह उनके जीवन की गुणवत्ता को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।

विश्व अस्थमा दिवस पर उन्होंने कहा कि अस्थमा के मुख्य कारक पराग, धूल के कण, कीड़े, जानवरों की रूसी, फंगस, दवाएं, खाद्य पदार्थ और पर्यावरणीय कारक जैसे बाहरी और आंतरिक वायु प्रदूषण और तंबाकू का धुआं अस्थमा को बढ़ा सकते हैं। बच्चों में यह सबसे आम पुरानी बीमारी है। दुनिया भर में अनुमानित 300 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं और भारत में अस्थमा के 35 मिलियन रोगी हैं। अस्थमा के कारण दुनिया भर में हर साल 4,61,000 मौतें होती हैं, भारत में लगभग 2,00,000 (46%) मौतें होती हैं, जो कि सबसे अधिक है। अध्ययनों से पता चला है कि मृत्यु का मुख्य कारण अस्थमा का कम निदान और श्वसनी मार्ग की सूजन को नियंत्रित करने के लिए मुख्य उपचार, इनहेल्ड स्टेरॉयड का अपर्याप्त उपयोग है।

प्रोफेसर प्रसाद ने आगे बताया कि अस्थमा एक इलाज योग्य बीमारी है और अस्थमा के मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं, बशर्ते कि सही में निदान हो और डॉक्टरों की सलाह के अनुसार नियमित रूप से दवाएं लें। उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि अस्थमा प्रबंधन में इनहेलर थेरेपी मुख्य आधार है लेकिन अस्थमा के प्रबंधन में इनहेलर के उपयोग को लेकर मरीजों में बहुत डर है। डॉक्टरों, रोगियों और उनके परिचारकों को सलाह दी जाती है कि वे प्रत्येक चिकित्सा-जांच के दौरान पर उचित इनहेलर तकनीक सीखें ताकि इनहेलर का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

प्रोफेसर प्रसाद ने कहा कि इन्हेलर के अनुचित उपयोग से बार-बार अस्थमा का दौरा पड़ता है और यहां तक कि मृत्यु भी हो जाती है। विश्व अस्थमा दिवस अस्थमा के बारे में जागरूकता और समझ बढ़ाकर इस स्थिति से जुड़ी भ्रांतियों को कम करने में मदद करता है। यह अस्थमा के बारे में खुली चर्चा को प्रोत्साहित करता है और अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए स्वीकृति और समर्थन को बढ़ावा देता है।

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