धनवान और सुंदर होते हैं इस तिथि में जन्मे लोग
30 मार्च 2016 को बुधवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: उत्तर, शाके: 1938, हिजरी: 1437, मु.मास: जमादि-उलसानि-20, ऋ तु: बसंत, मास: चैत्र, पक्ष: कृष्ण है।
शुभ तिथि
षष्ठी नन्दा संज्ञक तिथि प्रात: 7.22 तक, तदन्तर सप्तमी भद्रा संज्ञक तिथि रहेगी। षष्ठी तिथि की वृद्धि हुई है। सप्तमी तिथि में यथाआवश्यक यदि समयादि शुद्ध हो तो विवाहादि समस्त मांगलिक कार्य, नृत्य-संगीत, वस्त्रालंकार, यात्रा, सवारी और प्रवेश आदि विषयक कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। पर अभी मलमास में विवाहादि मांगलिक कार्य वर्जित हैं।
सप्तमी तिथि में जन्मा जातक सामान्यत: धनवान, प्रतिभावान, सुंदर, कलाकार, मान-सम्मान पाने वाला और सभी भौतिक सुख सुविधाओं का भोक्ता होता है।
नक्षत्र
ज्येष्ठा नक्षत्र पूर्वाह्न 11.49 तक, इसके बाद मूल नक्षत्र रहेगा। ज्येष्ठा नक्षत्र में लोहा, कारीगरी, तेलादि बनाना आदि कार्य सिद्ध होते हैं। मुण्डन, जड़ूला, चित्रकारी और अक्षरारम्भ आदि कार्य शुभ होते हैं।
इसी प्रकार मूल नक्षत्र में कुआं, बावड़ी, तालाबादि बनवाना, कृषि, पुंसवन, विद्यारम्भ, वास्तुशान्ति, द्विरागमन, वधू-प्रवेश, हलप्रवहण, बीजोप्ति और यदि समयादि शुद्ध हो तो विवाहादि मांगलिक कार्यादि शुभ होते हैं।
ज्येष्ठा व मूल दोनों गण्डान्त संज्ञक नक्षत्रों में जन्मे जातकों की 27 दिन बाद जब इन नक्षत्रों की पुनरावृत्ति हो, उस दिन मूल शान्ति करा देना हितकर होगा। ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मा जातक सामान्यत: बुद्धिमान, चतुर, होशियार, कलहप्रद, छिद्रान्वेषी और अच्छा आलोचक होता है।
योग
व्यतिपात नामक अत्यंत उपद्रवकारी योग दोपहर 1.12 तक, तदन्तर वरियान नामक नैसर्गिक शुभ योग रहेगा। व्यतिपात नामक योग की समस्त घटियां शुभ कार्यों में वर्जित हैं।
विशिष्ट योग
दोष समूह नाशक रवियोग नामक शक्तिशाली शुभ योग पूर्वाह्न 11.49 तक, तदन्तर सूर्योदय तक यमघंट नामक अशुभ योग रहेगा।
करण
वणिज नामकरण प्रात: 7.22 तक, तदन्तर रात्रि 8.00 बजे तक भद्रा, इसके बाद बवादि करण रहेंगे। भद्रा में शुभ कार्य यथासंभव त्याग देने चाहिए।
चंद्रमा
पूर्वाह्न 11.49 तक वृश्चिक राशि में इसके बाद धनु राशि में रहेगा।
व्रतोत्सव
बुधवार को व्यतिपात पुण्यं, रांधापुआ तथा राजस्थान स्थापना दिवस है।
शुभ मुहूर्त
उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार बुधवार को किसी शुभ व मंगल कृत्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं हैं।
वारकृत्य कार्य
बुधवार को सामान्यत: कला, चतुरता, व्यापार, मिलाप, व्यायाम, वेदाध्ययन, लेखन, प्रकाशन व भण्डार करना आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।
दिशाशूल
बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता में कुछ तिल खाकर शूल दिशा की अनिवार्य यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। वैसे चन्द्र स्थिति के अनुसार कल उत्तर-पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।