4-ग्रेड पदों की नियुक्ति पर रोक, वित्त मंत्री की मांग के बाद CM सोरेन ने दिया आदेश

रांची: झारखंड के पलामू जिले में 585 चतुर्थवर्गीय पद पर नियुक्ति के लिए प्रारंभ की गई प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को रोक लगा दी। शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने पलामू जिले में होने वाले चतुर्थवर्गीय पदों की नियुक्ति प्रक्रिया में विसंगति को लेकर प्रमुखता से विषय रखा था।
वित्त मंत्री ने बताया कि उन्होंने शनिवार को मुख्य सचिव अलका तिवारी से फोन पर बात की और पुन: मुख्यमंत्री के आवास पर जाकर वार्ता की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारी को निर्देश दिया कि तत्काल प्रभाव से पलामू में होने वाले चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया को रोका जाए। सरकार यह तय करेगी कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे राज्य के हर जिलों के स्थानीय युवाओं को चतुर्थवर्गीय पदों पर रोजगार का अवसर मिल सके।वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री को बताया कि एकमात्र चतुर्थ श्रेणी का ही पद है जिसपर झारखंड राज्य के विभिन्न जिलों के नौजवानों को रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया जा सकता है। वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया कि झारखंड राज्य में चतुर्थवर्गीय पद पर नियुक्ति के लिए अभी कोई नियमावली नहीं बनी है।
इन पदों पर जो भी नियुक्तियां की गई है वह बिहार सरकार में बनायी गई नियमावली के आधार पर ही की जा रही है। बिहार की नियमावली से झारखंड राज्य के लोगों का भला नहीं होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि आवश्यकता यह है कि चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के लिए नियमावली बनाकर ही नियुक्ति की जाए। वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री को यह भी जानकारी दी कि इसके पूर्व पलामू जिला में चतुर्थवर्गीय पदों पर जो बहाली हुई थी वो लिखित परीक्षा के आधार पर की गई थी। परंतु इस बार परीक्षा को आधार न बनाकर एकेडमिक सटिफिकेट के अंकों के आधार पर नियुक्ति के लिए शर्त निर्धारित किया गया है। गत दिनों लिखित परीक्षा के आधार पर चौकीदार पद पर नियुक्ति की गई है।
रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है
वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि यह सर्वविदित है कि प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में राज्य के युवक-युवतियों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। इस दृष्टिकोण से भी यह उचित होगा कि कम से कम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के पद पर जिलों के लोगों को रोजगार मिले। उल्लेखनीय है कि पलामू जिले में चतुर्थवर्गीय पदों पर बहाली की प्रक्रिया 2010 में शुरू हुई थी। इसके तहत करीब दस वर्ष पहले एक बार नियुक्ति हुई थी परंतु सुप्रीम कोर्ट ने उस बहाली को रद्द कर दिया है।