देहरादून: सीएम धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड ने ऊर्जा क्षेत्र में पारदर्शिता, स्थिरता और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को प्राथमिकता देते हुए सौर ऊर्जा को रणनीतिक रूप से अपनाया है। राज्य सरकार ने 1000 गांवों को सोलर ग्राम के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जिससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की सुलभ आपूर्ति सुनिश्चित होगी, बल्कि हरित ऊर्जा के माध्यम से प्रदूषण रहित विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भी सरकार ने ठोस लक्ष्य तय किए हैं वर्ष 2025 तक 2000 मेगावाट और वर्ष 2027 तक 4000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का रोडमैप तैयार किया गया है। इस दिशा में ग्रिड और ऑफ-ग्रिड दोनों विकल्पों पर काम चल रहा है, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में भी ऊर्जा की उपलब्धता सशक्त बन सके।
राज्य सरकार द्वारा सोलर प्रोजेक्ट्स पर 70% तक की सब्सिडी दी जा रही है, ताकि आम नागरिक और किसान भी सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें। इससे न केवल ऊर्जा लागत में कमी आएगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और उद्यमिता को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त, सौभाग्य योजना के तहत 2.5 लाख से अधिक परिवारों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन प्रदान किए गए हैं, जिससे गरीब और दूरस्थ इलाकों में रहने वाले परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। यह ऊर्जा की सुचिता, समावेशिता और सतत विकास की दिशा में उत्तराखण्ड सरकार का एक सशक्त और दूरदर्शी प्रयास है।