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जवानों की बड़ी राहत, ऑपरेशन में घायलों को भी मिलेगी फुल सैलरी, प्रमोशन भी पा सकेंगे, गृह सचिव का ऐलान

नई दिल्ली: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों के लिए अहम खबर है. केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने कल रविवार को ऐलान करते हुए कहा कि सीएपीएफ के जो जवान किसी ऑपरेशन के दौरान गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं, अपने शरीर का कोई अंग गंवा देते हैं या फिर किसी स्थायी दिव्यांगता का शिकार हो जाते हैं, वे रिटायर होने तक सर्विस में बने रहेंगे. उन्हें उचित प्रमोशन भी मिलेगा. साथ ही उन्हें एकमुश्त मूल मौद्रिक पैकेज (One-Time Basic Monetary Package) भी दिया जाएगा.

मोहन ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार सीएपीएफ अधिकारियों और जवानों के लिए “लिंब रिप्लेसमेंट सर्जरी” (Limb Replacement Surgery) के लिए दुनिया में उपलब्ध बेस्ट मेडिकल फैसिलिटिज और तकनीक को सुनिश्चित करेगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अंगों की क्षति को यथासंभव ठीक किया जाए.

कुछ महीनों में समिति करेगी सिफारिश
सीआरपीएफ के 87वें स्थापना दिवस पर अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय गृह सचिव मोहन ने कहा, “सरकार ऐसे कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वित्तीय पैकेज (Minimum Financial Package) भी सुनिश्चित करेगी और संगठन में उन्हें समायोजित भी किया जाएगा.” सीएपीएफ के कर्मचारियों को समय पर प्रमोशन और सर्विस के लिए कुछ शारीरिक मानकों यानी फिजिकल स्टैंडर्ड का पालन करना होगा.

दूसरी ओर, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सीआरपीएफ के महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह की अगुवाई में अधिकारियों की एक समिति का गठन किया गया है, और उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में समिति अपनी सिफारिशों तथा योजना को लागू करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दे देगी.

‘शारीरिक रूप से अक्षम लोग सर्विस में बने रहेंगे’
अधिकारी का कहना है कि पिछले दशकों में कई ऑपरेशनों के दौरान आईईडी धमाके या इसी तरह की कई अन्य घटनाओं में सीएपीएफ के सैकड़ों कर्मी अपने पैर, हाथ या आंखें गंवा चुके हैं और स्थायी दिव्यांगता का शिकार हो चुके हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मामले बहुत कम हैं, जहां किसी जवान या अधिकारी को ऐसी किसी चोट की वजह से नौकरी से हटाया गया हो, लेकिन कई जवानों को प्रमोशन नहीं मिलने की वजह से उन्हें खासी परेशानी उठानी पड़ती है, क्योंकि वे फिटनेस संबंधित कई मानदंडों को पूरा कर पाने में नाकाम रहते हैं.

गृह सचिव ने कहा कि समिति अपने मानदंडों में ढील देने के लिए काम करेगी और यह तय करेगी कि अंग-भंग या किसी अन्य स्थायी दिव्यांगता से पीड़ित अफसरों और जवानों को उनके प्रमोशन और अन्य तरह की सुविधाएं भी मिलती रहें, जो उन्हें अन्यथा मिलतीं. उन्होंने कहा, “अब गृह मंत्रालय ने फैसला लिया है कि जो जवान और अधिकारी ऑपरेशन के दौरान अपने अंग खो देते हैं या शारीरिक रूप से अक्षम हो जाते हैं, उन्हें सर्विस से नहीं हटाया जाएगा.”

करीब 3 महीने पहले छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर 11 मई को खत्म हुए 21 दिनों के माओवाद विरोधी ऑपरेशन के दौरान सीआरपीएफ के कम से कम 5 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए. ‘ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट’ नाम से एक सर्च ऑपरेशन करेगुट्टा हिल्स (केजीएच) में चलाया गया था.

ड्यूटी के दौरान जवानों को हो रही दिक्कत
गृह सचिव मोहन ने कहा कि मई 2023 में मणिपुर में जातीय संघर्ष छिड़ने के बाद, वहां पर कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए महिलाओं सहित बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि राज्य के अपने हालिया दौरे के दौरान, उन्होंने पाया कि कर्मियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना पड़ता है और पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

मोहन ने यह भी कहा, “सीआरपीएफ के महानिदेशक को जवानों, खासकर महिलाओं के लिए आवश्यक सुविधाओं पर एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. गृह मंत्रालय सर्वोत्तम सुविधाएं सुनिश्चित करेगा.” उन्होंने यह भी कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (Left-Wing Extremism, LWE) में कैंप में रहने की स्थिति में सुधार की भी कोशिशें की जा रही हैं.

नक्सल को खत्म करने की मुहिम का जिक्र करते केंद्रीय गृह सचिव ने कहा, “सीआरपीएफ मार्च 2026 से पहले नक्सल उग्रवाद के खतरे को खत्म करने को लेकर अपनी अहम भूमिका निभा रहा है.” उन्होंने आगे कहा कि वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 149 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस जोड़े गए हैं, जिससे माओवादियों को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है. उन्होंने कहा कि बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में वामपंथी उग्रवाद अब खत्म होने की कगार पर है.

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