अपने दोस्त की शवयात्रा पर खुलकर झूमा शख्स! इसके पिछे की वजह कर देगी आपको हैरान और भावुक, वीडियो हो रहा वायरल

नई दिल्ली: कहते हैं, असली दोस्त वही होता है जो हर परिस्थिति में साथ निभाए — चाहे वो जीवन की खुशी हो या मृत्यु की घड़ी। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले से ऐसी ही एक मार्मिक कहानी सामने आई है, जिसने दोस्ती की गहराई और सच्चे रिश्ते का असली मतलब दुनिया को फिर से समझा दिया है।
जिले के जवासिया गांव में एक व्यक्ति ने अपने सबसे अच्छे दोस्त की अंतिम यात्रा में, आंखों में आंसू लिए, ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते हुए उसे विदाई दी। यह दृश्य देखने वालों को हैरान कर सकता है, लेकिन इसके पीछे छिपी है एक भावुक कहानी एक वादा, जो मरने से पहले एक दोस्त ने अपने सबसे करीबी मित्र से किया था।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे देखकर लोग पहले तो हैरान रह जाते हैं, लेकिन जब इसके पीछे की सच्चाई सामने आती है, तो हर आंख नम हो उठती है। वीडियो में एक शख्स अपने दोस्त की शवयात्रा के दौरान गाने की धुन पर नाचते हुए नजर आ रहा है। यह दृश्य देखने में भले ही असामान्य लगे, लेकिन इसके पीछे छिपी है एक सच्चे दोस्त की भावनात्मक मजबूरी और वादा, जिसे निभाने के लिए उसने खुद को भी तोड़ डाला।
दरअसल, यह मामला मंदसौर जिले के जवासिया गांव का है। जब शवयात्रा में डांस करता यह शख्स दिखा, तो लोगों ने पहले हैरानी जताई। लेकिन जब असली वजह सामने आई, तो हर कोई स्तब्ध रह गया। यह कोई आम नृत्य नहीं था, बल्कि एक आखिरी वादा निभाने की कोशिश थी — उस दोस्त के लिए जो अब इस दुनिया में नहीं रहा।
वीडियो में दिख रहे शख्स ने यह डांस अपने दिवंगत मित्र की अंतिम इच्छा के अनुसार किया। यह दोस्ती, प्रेम और भावनाओं का वो अद्भुत उदाहरण है, जिसमें मृत्यु के बाद भी एक मित्र ने अपने यार के वचन को पूरा किया। शवयात्रा में नाचने की ऐसी वजह शायद ही किसी ने पहले देखी हो, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया है।
वजह कर देगी रोने पर मजबूर
मंदसौर जिले के जवासिया गांव से एक ऐसा ही मार्मिक मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने अपने सबसे करीबी दोस्त की अंतिम इच्छा को निभाते हुए उसकी शवयात्रा में नाचकर विदाई दी। यह घटना अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और लोगों को भावुक कर रही है।
जवासिया गांव निवासी अंबालाल प्रजापत के सबसे घनिष्ठ मित्र थे सोहनलाल जैन। तीन साल पहले सोहनलाल को कैंसर हो गया था। बीमारी के दौरान उन्होंने अपने दोस्त अंबालाल को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में सोहनलाल ने स्पष्ट शब्दों में लिखा था कि उनकी मृत्यु के बाद कोई रोए नहीं, कोई चुप न रहे, बल्कि ढोल-नगाड़ों के साथ खुशी के माहौल में उन्हें अंतिम विदाई दी जाए। उन्होंने यह भी लिखा कि उनकी अर्थी नाचते-गाते विदा की जाए। इस चिट्ठी पर उनके हस्ताक्षर भी मौजूद थे।
सोहनलाल के निधन के बाद जब यह चिट्ठी सामने आई, तो अंबालाल ने अपने मित्र की अंतिम इच्छा को पूरी श्रद्धा के साथ निभाया। गांव में जब शवयात्रा निकाली गई, तो ढोल-नगाड़ों की धुन पर अंबालाल आंखों में आंसू लिए नाचते हुए चल रहे थे। यह दृश्य देखकर गांववाले पहले चकित रह गए, लेकिन जब इसकी सच्चाई सामने आई, तो हर कोई भावुक हो गया।