
जयपुर: राजस्थान सरकार ने राजस्थान उच्च न्यायालय में स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में छात्रसंघ चुनाव करवाना संभव नहीं है। यह निर्णय कई सार्वजनिक और विधिक कारकों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
सरकार का पक्ष और आंकलन
सरकार ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का हवाला देते हुए बताया कि चुनाव शैक्षणिक सत्र शुरू होने के 6 से 8 हफ्तों के भीतर करवाने चाहिए थे, परंतु अब वह समय पहले से ही समाप्त हो चुका है; इसलिए चुनाव करवाना व्यावहारिक नहीं है।
साथ ही सरकार ने हाल ही में लागू हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने में समय की व्यस्तता और शैक्षणिक गतिविधियाँ बाधित होने जैसी कारणों को उठाया है।
सरकार ने उल्लेख किया कि 9 विश्वविद्यालयों के कुलगुरुओं ने भी लिखित रूप से सुझाव दिया है कि इस सत्र में चुनाव शैक्षणिक कार्यक्रम में व्यवधान न हो इसलिए न करवाया जाए।
हाईकोर्ट में मामला और कानूनी पृष्ठभूमि
राजस्थान विश्वविद्यालय के एमए प्रथम वर्ष के छात्र जय राव ने 24 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि पिछले तीन शैक्षणिक सत्रों से चुनाव नहीं कराए गए, जिससे छात्रों का मौलिक अधिकार — प्रतिनिधि चुनने का अधिकार — प्रभावित हुआ है।
इसमें यह भी बताया गया कि 2023‑24 सत्र में सरकार ने चुनाव न करवाने का कारण NEP और लिंगदोह सिफारिशों को लागू नहीं कर पाने को बताया था। लेकिन सत्र 2024‑25 व 2025‑26 के लिए ऐसा कोई कारण नहीं दिया गया था, इसलिए कोर्ट ने इस पर कारण बताने को कहा।
29 जुलाई की सुनवाई में राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी दोनों को 10 दिन के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश कोर्ट ने दिया; इस बीच अगली सुनवाई टाली गई।
छात्रों का विरोध और राजनीतिक प्रभाव
छात्र संगठनों, विशेषकर NSUI ने जयपुर में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कुछ छात्र नेताओं ने उग्र रवैया अपनाया, और पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया तथा कुछ गिरफ्तारियाँ भी हुईं। इस घटना में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी शामिल थे।
इससे पहले अजमेर समेत अन्य जिलों में भी छात्र विरोध प्रदर्शन हुए, छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि चुनाव नहीं हुए तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।