ट्रंप की बढ़ी टेंशन! पीएम मोदी ने भारत में बुलाया ऐसा शख्स, व्हाइट हाउस में मचा हड़कंप!

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ जारी व्यापारिक खींचतान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसे भारत के रणनीतिक मोर्चे पर बड़ा मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है। रूस से कच्चे तेल की खरीद पर ट्रंप की चेतावनियों और भारी टैरिफ के जवाब में भारत ने अमेरिका को आर्थिक रूप से बड़ा झटका दे डाला है।
राष्ट्रहित के आगे नहीं झुका भारत
बीते कुछ समय से अमेरिका, भारत पर दबाव बना रहा है कि वह रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना बंद कर दे। ट्रंप प्रशासन ने धमकी दी कि अगर भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखा, तो उस पर 50% तक का आयात शुल्क (टैरिफ) लगाया जाएगा। लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वह राष्ट्रहित से कोई समझौता नहीं करेगा और रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा, क्योंकि यह देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।
बोइंग के 31 हज़ार करोड़ रुपये के सौदे पर लगा ब्रेक
इस कूटनीतिक तनाव के बीच भारत ने अमेरिका की दिग्गज विमान निर्माता कंपनी बोइंग को दिया गया करीब ₹31,000 करोड़ का यात्री विमानों का ऑर्डर फिलहाल रोक दिया है। यह डील भारत की बड़ी एयरलाइनों द्वारा की गई थी, लेकिन अब इसे होल्ड पर रखकर भारत ने अमेरिका को एक कड़ा संदेश दिया है।
यह फैसला सिर्फ बोइंग को ही नहीं, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी गहरा धक्का देने वाला है, क्योंकि इतनी बड़ी डील पर ब्रेक लगने से अमेरिका में रोजगार और रक्षा-व्यापार संतुलन पर भी असर पड़ेगा।
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भारत को मिला रूस और चीन का समर्थन
-भारत के इस साहसिक कदम को रूस और चीन जैसे वैश्विक महाशक्तियों का समर्थन मिला है।
-रूस ने कहा कि भारत को यह अधिकार है कि वह किस देश से व्यापार करे।
-चीन ने भी ट्रंप की चेतावनियों को अनुचित बताते हुए भारत के फैसले का समर्थन किया है।
इन दोनों देशों ने साफ कर दिया है कि अमेरिका की धमकियों का कोई अंतरराष्ट्रीय वैध आधार नहीं है, और भारत स्वतंत्र रूप से अपनी विदेश नीति को आगे बढ़ा सकता है।
तीन देशों की तिकड़ी: अमेरिका के लिए बढ़ती चुनौती?
-भारत, रूस और चीन की नजदीकियां अमेरिका की चिंता बढ़ा रही हैं।
-पीएम मोदी 31 अगस्त को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के लिए बीजिंग जाएंगे।
-रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी जल्द भारत दौरे पर आ सकते हैं।
-वहीं, चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी इसी महीने भारत पहुंचेंगे।
-तीनों देशों की इस बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता ने वैश्विक मंच पर अमेरिका को अलग-थलग करने की संभावनाएं बढ़ा दी हैं।