युवाशक्ति ही रख सकती है आत्मनिर्भर और विकसित भारत की आधारशिला : डॉ.रजनीकांत

‘मोदी महोत्सव 2025 : मोदी @75’ के अंतर्गत युवा एवं संकाय जनसंपर्क कार्यक्रम का समापन
वाराणसी : राजर्षि स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, वाराणसी में ‘मोदी महोत्सव 2025 : मोदी @75’ के अंतर्गत आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय युवा एवं संकाय जनसंपर्क कार्यक्रम का बुधवार को भव्य समापन हुआ। यह आयोजन सेण्टर फॉर नरेंद्र मोदी स्टडीज़ (CNMS), नई दिल्ली के तत्वावधान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के 75वें जन्मोत्सव को समर्पित रहा। “विकसित भारत 2047 : विश्वगुरु भारत” की संकल्पना इस महोत्सव की मूल प्रेरणा रही।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ.रजनीकांत ने अपने प्रेरक वक्तव्य में कहा— आज का युवा ही भारत की वास्तविक शक्ति है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने जिस आत्मनिर्भर और विकसित भारत का स्वप्न देखा है, उसकी आधारशिला युवाशक्ति ही रख सकती है। अपनी ऊर्जा, नवाचार और बौद्धिक संपदा को ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना से जोड़कर युवा वर्ग भारत को विश्वगुरु बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।
विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ.) श्रद्धा सिंह, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने कहा- युवाओं को केवल रोजगारपरक नहीं बल्कि राष्ट्रपरक शिक्षा की दिशा में अग्रसर करना आवश्यक है- अंग्रेज़ी के साथ-साथ मातृभाषा और राजभाषा हिन्दी में भी। मोदी महोत्सव जैसे आयोजन बौद्धिक व सांस्कृतिक चेतना को जागृत कर युवाओं को भारतीय मूल्यों का वैश्विक वाहक बनाते हैं।

विशिष्ट अतिथि प्रो. गोरखनाथ, हिन्दी विभाग, उदय प्रताप कॉलेज ने वाद-विवाद प्रतियोगिता का निर्णय करते हुए हिन्दी और संस्कृत के महत्व को रेखांकित किया। समारोह में ए.आई. डिजिटल आर्ट प्रतियोगिता में पीयूष को प्रथम स्थान, वाद-विवाद प्रतियोगिता में अंजलि श्रीवास्तव को प्रथम स्थान तथा पॉलिसी पेपर लेखन प्रतियोगिता में डॉ. विनीता कालरा को ‘ग्लोबल गुरु सम्मान’ से पुरस्कृत किया गया।
सनातन संस्थान के निदेशक प्रो. अमन गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. जसीम मोहम्मद, अध्यक्ष – नरेंद्र मोदी अध्ययन केन्द्र, वाराणसी ने अपने वर्चुअल संदेश में कहा- प्रधानमंत्री मोदी जी का जीवन युवाओं के लिए सतत प्रेरणा है। उनके कठोर परिश्रम और दूरदृष्टि ने भारत को नई दिशा दी है। मोदी महोत्सव उसी जीवन-दृष्टि और आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास है।
सी.एन.एम.एस. की ग्लोबल एडवाइजरी काउंसिल की सदस्य डॉ.अपर्णा सिंह ने कहा— इस महोत्सव का उद्देश्य केवल उत्सव मनाना नहीं बल्कि युवाशक्ति को राष्ट्रनिर्माण में सहभागी बनाना है। पॉलिसी पेपर लेखन, वाद-विवाद और डिजिटल आर्ट जैसी प्रतियोगिताएँ युवाओं की सोच को राष्ट्रीय आवश्यकताओं से जोड़ने का माध्यम बनीं। यह पहल नेतृत्व, वैचारिक स्पष्टता और सृजनात्मकता को एक साथ विकसित करती है।

समापन सत्र में विशेष रूप से उल्लेख किया गया कि महोत्सव की अवधि में आयोजित सभी प्रतियोगिताओं की प्रविष्टियाँ केवल हिन्दी भाषा में आमंत्रित की गईं। इससे प्रतिभागियों को शुद्ध मानक हिन्दी में सोचने, लिखने और बोलने का अभ्यास हुआ तथा राष्ट्रभाषा के प्रति गर्व और आत्मीयता का भाव सशक्त हुआ।देशभर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से सैकड़ों विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने इन प्रतियोगिताओं में सक्रिय भागीदारी की। विजेताओं को स्मृति-चिह्न, प्रमाणपत्र और नगद पुरस्कार प्रदान किए गए।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. विनीता कालरा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अनुराग सिंह, डॉ. प्रीति, डॉ. गरिमा, डॉ. सी.पी. सिंह, रामेश्वरी सोनकर, हिमांशु गुप्ता, विकास शुक्ला सहित अनेक शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। समापन अवसर पर सभी अतिथियों ने एक स्वर में कहा— मोदी महोत्सव 2025 केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत के भविष्य का सामूहिक संकल्प है। यह हमें स्मरण कराता है कि राष्ट्रप्रथम की भावना से प्रेरित युवा ही विकसित भारत @2047 के वास्तविक शिल्पकार होंगे।