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पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट सुधार का काम शुरू, ECI ने शुरू की SIR प्रक्रिया

पटना: बिहार के बाद अब ECI ने पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट को ठीक करने के लिए SIR की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए आयोग का यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस प्रक्रिया का लगातार विरोध करती रही हैं और आरोप लगाती रही हैं कि जानबूझकर वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं। इन आरोपों के बीच आयोग ने आज से इस प्रक्रिया के लिए चुनाव अधिकारियों की ट्रेनिंग शुरू कर दी है।

ट्रेनिंग का उद्देश्य और प्रक्रिया
एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कोलकाता में आज से शुरू हुई ट्रेनिंग में बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य BLO को SIR प्रक्रिया को सही और सुचारू तरीके से पूरा करने के लिए मार्गदर्शन देना है। आने वाले दिनों में राज्यभर के ADM और निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों (ERO) को भी ट्रेनिंग दी जाएगी। ये अधिकारी फिर जमीनी स्तर पर काम करने वाले बीएलओ को ट्रेन करेंगे, जो घर-घर जाकर वोटरों के विवरणों की पुष्टि करेंगे।

वोटर मैपिंग और पुरानी लिस्ट से होगा मिलान
अधिकारी ने बताया कि इस हफ्ते के आखिर में डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश भारती कोलकाता का दौरा करेंगे और तैयारियों का जायजा लेंगे। इस बीच जिला स्तर पर वोटर मैपिंग का काम भी शुरू कर दिया गया है। इस प्रक्रिया में एक अहम निर्देश यह है कि 2002 की वोटर लिस्ट का मिलान जनवरी 2025 में प्रकाशित होने वाली नई वोटर लिस्ट से किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि 2002 के वोटरों का क्रॉस-वेरिफिकेशन करने से बुजुर्ग मतदाताओं को विशेष राहत मिलेगी, जिन्हें अपनी पात्रता साबित करने में दिक्कतें आ सकती हैं।

2002 की SIR लिस्ट का महत्व
बता दें कि ECI ने इस साल जुलाई में 2002 की SIR वोटर लिस्ट को प्रकाशित किया था, जिसके बाद यह तय हो गया था कि आयोग बंगाल में नई SIR प्रक्रिया शुरू करने वाला है। कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, मालदा, हावड़ा और हुगली समेत 11 जिलों की 100 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों की 2002 की वोटर लिस्ट मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर जारी की गई थी। बीरभूम और दक्षिण 24 परगना जिलों के कुछ विधानसभा क्षेत्रों की लिस्ट उस समय उपलब्ध नहीं थी। 2002 की SIR वोटर लिस्ट को नई प्रक्रिया का आधार माना जा रहा है, क्योंकि यह पिछले दो दशकों में हुई आखिरी SIR थी।

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