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एम्स की पायोधि मिल्क बैंक की कहानी, जिसने कई नन्हीं जिंदगियों को बचाया; लेकिन एक परेशानी भी

नई दिल्‍ली । दिल्ली(Delhi) के एम्स अस्पताल(AIIMS Hospital) में पिछले साल शुरू हुआ ‘पायोधि’ मिल्क बैंक(‘Payodhi’ Milk Bank) अपनी पहली सालगिरह मना चुका है, लेकिन कहानी उतनी चमकदार नहीं, जितनी उम्मीद थी। छोटी-छोटी बूंदों से शुरुआत करने वाला यह दूध बैंक अब भी अपनी पूरी रफ्तार पकड़ने की जद्दोजहद में है।

दूध की बूंदें, जिंदगी की आस

पिछले महीने, आठ माताओं ने मिलकर 25 लीटर दूध दान किया। यह आंकड़ा छोटा लग सकता है, लेकिन इसके पीछे की मेहनत और मकसद बड़ा है। एम्स के नवजात शिशु विभाग के प्रोफेसर डॉ. रमेश अग्रवाल कहते हैं, ‘मां के दूध की हर बूंद कीमती है। खासकर उन नन्हे शिशुओं के लिए, जो 32 हफ्तों से पहले जन्म लेते हैं या जिनका वजन 1.5 किलो से कम होता है।’ दान किया गया दूध इन बच्चों के लिए संजीवनी का काम करता है, खासकर तब जब मां अपनी सेहत की वजह से दूध नहीं पिला पाती।

शुरुआत से अब तक का सफर

सितंबर 2024 में ‘पायोधि’ ने 22 लीटर दूध जमा किया था, लेकिन नवंबर में यह मात्रा घटकर 7.6 लीटर रह गई। इस साल फरवरी और मार्च में 28 लीटर तक पहुंची, जून में 32 लीटर के साथ चरम पर थी, और अब 25 लीटर के आसपास स्थिर है। औसतन, हर महीने तीन माताएं इस नेक काम में योगदान दे रही हैं। लेकिन, छोटा सा कमरा और दो फ्रीजर की सीमित क्षमता इस पहल को बड़ा होने से रोक रही है।

तकनीक है, पर जगह की तंगी

‘पायोधि’ में दो फ्रीजर, एक पाश्चराइजर और बोतल स्टरलाइज करने की मशीन मौजूद है। दान किया गया दूध पाश्चराइज कर सुरक्षित रखा जाता है, ताकि यह नन्हे बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित हो। लेकिन, स्टाफ की मानें तो जगह की कमी बड़ा रोड़ा है। एक कर्मचारी ने बताया, ‘हमारे पास सिर्फ दो फ्रीजर हैं और कमरे का तापमान पाश्चराइजर के लिए सही रखना पड़ता है। और फ्रीजर लगाने की जगह ही नहीं है।’ इस वजह से दान की मात्रा बढ़ाने में दिक्कत हो रही है।

जागरूकता की कोशिशें

एम्स की टीम गर्भवती महिलाओं को नियमित काउंसलिंग देती है और कई माताएं दान के लिए तैयार भी होती हैं। लेकिन, स्टोरेज की कमी के चलते ज्यादा दान स्वीकार नहीं हो पाता। संस्थान ने कर्मचारियों के लिए एक खास कार्यक्रम शुरू करने की सोची थी, जिसमें मातृत्व अवकाश से लौटने वाली माताएं अपने दूध को स्टोर या दान कर सकें। लेकिन, जगह की कमी ने इस सपने को भी पंख नहीं लगने दिए।

माताओं के लिए भी फायदेमंद

डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि दूध दान करना सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, माताओं के लिए भी फायदेमंद है। उन्होंने कहा, ‘अगर मां नियमित रूप से दूध न निकाले, तो दूध का उत्पादन कम हो सकता है। दान करने से दूध का प्रवाह बना रहता है। यह न सिर्फ मां की सेहत के लिए अच्छा है, बल्कि दूसरों के बच्चों को भी जीवनदान देता है।’

एम्स प्रशासन अब मिल्क बैंक का विस्तार करने की योजना बना रहा है। ज्यादा फ्रीजर, बड़ा कमरा, और बेहतर सुविधाओं के साथ ‘पायोधि’ को और प्रभावी बनाने की कोशिशें चल रही हैं। साथ ही, जागरूकता बढ़ाने के लिए नए कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा माताएं इस पुण्य कार्य से जुड़ सकें।

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