
भ्रांतियां मिटाएं, यौन व प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता लाएं
विश्व गर्भनिरोधक दिवस पर विशेष मनचाहे गर्भ निरोधक साधनों की मौजूदगी के बाद भी अनचाहा गर्भधारण करना जोखिम भरा
–मुकेश शर्मा
यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर आज भी समाज के कुछ वर्गों में तरह-तरह की भ्रांतियां व्याप्त हैं। यह भ्रांतियां खासकर किशोरों और युवाओं में ज्यादा देखने को मिलती हैं। इन्हीं भ्रांतियों को जड़ से मिटाने और समुदाय में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता लाने के लिए ही हर साल 26 सितम्बर को विश्व गर्भ निरोधक दिवस मनाया जाता है। अनचाहे गर्भ धारण से बचने और महिलाओं को असुरक्षित गर्भपात जैसे जोखिम से सुरक्षित बनाने के लिए ही सरकार द्वारा कई तरह के गर्भ निरोधक साधन मुहैया कराये गए हैं। इन साधनों के फायदे को जन-जन तक पहुंचाने से ही बड़ी तादाद में लोग अब इसे अपनाने को खुद से आगे आ रहे हैं। इसका परिणाम शत-प्रतिशत मिले, इसके लिए अभी हर स्तर पर एक और गंभीर प्रयास की जरूरत है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए भी यह जरूरी है।
नव दम्पति को इन गर्भ निरोधक साधनों से जोड़ने के लिए ही फ्रंटलाइन वर्कर की एक बड़ी फ़ौज ग्राम स्तर पर मौजूद है। यह फ्रंट लाइन वर्कर यानि आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम और महिला आरोग्य समितियों की सदस्य गर्भ निरोधक साधनों के बारे में परामर्श देने से लेकर उनको आसानी से सेवा सुलभ कराने का भी मार्ग प्रशस्त करती हैं। उनका उद्देश्य रहता है कि नव दम्पति को इस योग्य बनाया जाए कि वह खुद से निर्णय ले सकें कि उन्हें कब और कितने बच्चे चाहिए और उसके लिए उन्हें किन मनचाहे गर्भ निरोधक साधनों का उपयोग करना बेहतर रहेगा। यह समझ विकसित होने से ऐसे दम्पति के लिए शिक्षा के साथ ही सामाजिक और आर्थिक आजादी के द्वार भी अपने आप खुल जाते हैं।
नव दम्पति के साथ-साथ सभी दम्पति को सरकार बास्केट ऑफ़ च्वाइस की एक ऐसी अनमोल सुविधा मुहैया कराती है, जिसमें से अपना मनपसन्द गर्भ निरोधक साधन अपनाकर शादी के बाद कम से कम दो साल बाद ही वह बच्चे की योजना आसानी से बना सकते हैं। शादी के पहले दो साल एक-दूसरे को समझने और भविष्य के लिए कुछ जमा पूँजी जुटाने का समय होता है, उसके बाद ही आपस में बात कर बच्चे का प्लान बनाना चाहिए। इसके अलावा बास्केट ऑफ़ च्वाइस में दो बच्चों के जन्म में भी पर्याप्त अंतर रखने के सुरक्षित और आसान साधन उपलब्ध हैं। दो बच्चों के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर रखना बहुत जरूरी होता है ताकि पहले बच्चे की सही देखभाल और पोषण का ख्याल रखा जा सके। महिला का शरीर भी बच्चे के जन्म के तीन साल बाद ही दूसरे गर्भ धारण के योग्य बन पाता है। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी नियंत्रित करने के लिए यह बहुत जरूरी है। परिवार नियोजन के स्थायी साधन के रूप में जहाँ पुरुष व महिला नसबंदी की सेवा प्रदान की जाती है वहीँ अस्थायी साधन के रूप में ओरल पिल्स, कंडोम, आईयूसीडी प्रसव पश्चात व गर्भ समापन पश्चात आईयूसीडी, त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा और हार्मोनल गोली छाया (सैंटोक्रोमान) की सुविधा उपलब्ध है।
बास्केट ऑफ़ च्वाइस में मौजूद गर्भ निरोधक साधनों के प्रति समुदाय में जन जागरूकता के लिए ही छाया ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस का आयोजन कर नवीन गर्भ निरोधक छाया और त्रैमासिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा सहित अन्य सभी परिवार नियोजन साधनों के बारे में विस्तार से बताया जाता है। खुशहाल परिवार दिवस और अंतराल दिवस के जरिए भी जागरूकता की अलख जगाई जाती है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत भी जांच के लिए आने वाली गर्भवती व उनके साथ आने वाली महिलाओं को भी परिवार नियोजन साधनों के बारे में विशेष रूप से जानकारी दी जाती है। स्वास्थ्य मेलों में भी बास्केट ऑफ़ च्वाइस का विकल्प देकर छोटे परिवार के बड़े फायदे समझाए जाते हैं। सास बेटा बहू सम्मेलन और मिस्टर स्मार्ट जैसे सम्मेलन के जरिये भी परिवार नियोजन के फायदे बताए जाते हैं। परिवार नियोजन किट के साथ कंडोम बॉक्स की व्यवस्था भी की गयी है।
(लेखक पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं)