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CJI पर जूता उछालने वाले वकील का सनसनीखेज खुलासा, नूपुर शर्मा का नाम लेकर बताई हमले की असली सच्चाई

CJI BR Gavai Shoe Thrown Reason: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता उछालने की कोशिश करने वाले वकील राकेश किशोर ने इस घटना के पीछे की वजह का खुलकर खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि वह अदालत द्वारा सनातन धर्म से जुड़े मामलों में की जाने वाली टिप्पणियों और फैसलों से बेहद आहत थे। किशोर ने दावा किया कि यह कोई अचानक उठाया गया कदम नहीं, बल्कि लंबे समय से मन में दबे दर्द का नतीजा था। इस पूरे घटनाक्रम ने सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

राकेश किशोर ने विशेष रूप से उस दिन का जिक्र किया जब भगवान विष्णु की प्रतिमा से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सीजेआई गवई ने याचिकाकर्ता का मजाक उड़ाते हुए कहा कि ‘मूर्ति से जाकर प्रार्थना करो कि वह अपना सिर खुद बना ले।’ किशोर के अनुसार, किसी की आस्था का इस तरह मजाक उड़ाना और फिर याचिका खारिज कर देना उनके लिए असहनीय था। इसी बात से दुखी होकर उन्होंने यह कदम उठाने का फैसला किया, जिसे वे अपना ‘रिएक्शन’ बताते हैं।

सनातन धर्म से जुड़े फैसलों पर नाराजगी
किशोर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जब दूसरे समुदायों से जुड़े मामले अदालत में आते हैं तो बड़े कदम उठाए जाते हैं, लेकिन सनातन धर्म की बात आने पर अदालत आहत करने वाले आदेश पास करती है। उन्होंने हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए कब्जे का उदाहरण दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले स्टे लगा दिया था। उन्होंने नूपुर शर्मा मामले का भी जिक्र करते हुए कहा कि तब कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि ‘आपने माहौल खराब कर दिया’, लेकिन जब जल्लीकट्टू या दही हांडी की ऊंचाई तय करने जैसे मामले आते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले उन्हें हमेशा दुखी करते हैं।

न कोई डर, न कोई अफसोस
मयूर विहार निवासी राकेश किशोर ने साफ किया कि वह हिंसा के खिलाफ हैं, लेकिन एक सीधे-सादे और पढ़े-लिखे व्यक्ति को ऐसा क्यों करना पड़ा, यह सोचने वाली बात है। उन्होंने कहा, ‘मैं भी गोल्ड मेडलिस्ट हूं। मैंने कोई नशा नहीं किया था। यह उनके एक्शन पर मेरा रिएक्शन था।’ दिल्ली पुलिस ने किशोर से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की, लेकिन कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न होने के कारण उन्हें छोड़ दिया गया और उनके जूते भी वापस कर दिए गए। किशोर ने कहा कि उन्हें अपने किए पर न तो कोई डर है और न ही किसी तरह का अफसोस है।

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