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IPS Officer Y Puran Kumar: सुसाइड करने से 1 घंटा पहले IPS और पत्नी में हुई थी बात, 8 पन्नों का लिखा सुसाइड नोट

नई दिल्ली: हरियाणा पुलिस सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी, वाई पूरन कुमार, की आत्महत्या ने पूरे राज्य के प्रशासनिक ढांचे को हिला कर रख दिया है। 52 वर्षीय अधिकारी ने अपने चंडीगढ़ स्थित आवास पर कथित रूप से खुद को गोली मार ली। लेकिन यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि जातीय भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और नौकरशाही की चुप्पी पर गंभीर सवाल खड़े करने वाला मामला बन चुका है। इस मामले में सामने आया 8 पन्नों का सुसाइड नोट, नौकरशाही के भीतर चल रहे अंदरूनी तंत्र की चौंकाने वाली परतें खोलता है।

पूरन कुमार ने अपने अंतिम पत्र में नौ से अधिक वरिष्ठ सेवारत IPS अधिकारियों, एक पूर्व IPS और तीन पूर्व IAS अधिकारियों के नाम लेकर जातिगत भेदभाव, लगातार अपमान और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। यह दस्तावेज़ न केवल उनकी आत्महत्या के कारणों को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि उन्होंने कई बार औपचारिक रूप से शिकायतें कीं लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया।

जातीय भेदभाव का आरोप और प्रशासनिक उपेक्षा
सुसाइड नोट का शीर्षक ही अपने आप में भारी है – “अगस्त 2020 से हरियाणा के संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार घोर जाति-आधारित भेदभाव, लक्षित मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और अत्याचार, जो अब असहनीय है।”

अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले पूरन कुमार ने अपने पत्र में विस्तार से लिखा कि उन्हें जानबूझकर अस्तित्वहीन पदों पर भेजा गया, पूजा स्थलों में जाने पर भी सवाल उठाए गए, अर्जित अवकाश देने से इनकार किया गया और झूठे आरोपों में फंसाने की साजिशें रची गईं। उन्होंने उल्लेख किया कि अपने पिता के अंतिम समय में अवकाश न मिलने के कारण वह उनसे विदा नहीं ले सके – एक त्रासदी जिसने उन्हें अंदर से तोड़ दिया।

पत्नी ने FIR की मांग की, किया बड़ा खुलासा
इस मामले ने और भी गंभीर मोड़ तब लिया जब पूरन कुमार की पत्नी आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार, जो उस समय जापान में आधिकारिक यात्रा पर थीं, वापस लौटकर सामने आईं और हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (DGP) शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ सीधी शिकायत दर्ज कराई।

उनका दावा है कि उनके पति को योजनाबद्ध तरीके से “झूठे सबूतों के ज़रिए एक फर्जी और दुर्भावनापूर्ण शिकायत में फंसाने की साजिश” रची गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सुसाइड से एक दिन पहले उनके पति के स्टाफ सदस्य पर BNS की धारा 308(3) के तहत झूठा केस दर्ज किया गया था, जिससे पूरन कुमार मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुके थे।

DGP और SP पर गंभीर आरोप, चुप्पी छाई
जहां इस पूरे मामले में आरोप सीधे शीर्ष अधिकारियों पर हैं, वहीं डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एसपी नरेंद्र बिजारनिया ने अब तक मीडिया या जांच एजेंसियों को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इसे “भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का प्रतिशोध” करार दिया है, लेकिन इस वक्तव्य से सवाल और गहरे हो गए हैं।

अंतिम बातचीत और टूटे हुए मन का दस्तावेज़
सूत्रों के मुताबिक, आत्महत्या से लगभग एक घंटा पहले पूरन कुमार की पत्नी और बेटी से वीडियो कॉल पर बात हुई थी। उस बातचीत में किसी तरह की निराशा या असामान्यता नजर नहीं आई थी। यह बताता है कि मानसिक पीड़ा काफी समय से चल रही थी और उन्होंने यह कदम एक सुनियोजित सोच के तहत उठाया।

पोस्टमार्टम से इनकार, न्याय की माँग
अमनीत ने साफ शब्दों में कहा है कि जब तक उनके पति की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ SC/ST एक्ट और BNS की धारा 108 (पूर्व में IPC 306) के तहत कार्रवाई नहीं होती, वे पोस्टमार्टम नहीं कराएंगी। उन्होंने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से भी इस मामले में हस्तक्षेप कर न्याय की माँग की है।

सबूत, सीसीटीवी फुटेज, और ज़ब्त दस्तावेज़
चंडीगढ़ पुलिस ने घटना स्थल से एक वसीयत, आठ पन्नों का अंतिम नोट, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, और सीसीटीवी फुटेज जब्त किए हैं। अतिरिक्त कमरों की तलाशी भी ली गई है, जिनसे और दस्तावेज़ बरामद किए गए हैं। फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद से जांच जारी है।

राजनीतिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि भी चर्चा में
गौरतलब है कि अमनीत के भाई अमित रतन आप पार्टी से पंजाब विधानसभा में विधायक रह चुके हैं। वे पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं, लेकिन मूल मुद्दा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की आत्महत्या और उसके पीछे के कारणों पर केंद्रित है।

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