
हुनर से भरा यूपी, दुनिया को दिखा रहा ओडीओपी : योगी
सीएम ने 49वें इंडिया कारपेट एक्सपो का किया शुभारंभ
योगी बोले, चुनौतियां ही बनती हैं अवसर, हम व्यापारियों के साथ खड़े हैं, भदोही की बुनाई में बुना आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी, देश के सबसे बड़े कारपेट क्लस्टर, भदोही की कालीन हुई विश्व विख्यात, 88 देशों के बायर्स पहुंचे कालीन नगरी, हर पंजीकृत बुनकर को 5 लाख रुपये की सुरक्षा गारंटी दी गई
–सुरेश गांधी
भदोही : कालीनों की धरती, भदोही वह नगरी जहां हर धागे में परिश्रम, परंपरा और प्रतिष्ठा का संगम है। यह नगरी एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। विश्व स्तर पर भारतीय हैंडमेड कालीन की पहचान को सशक्त बनाने वाले 49वें इंडिया कारपेट एक्सपो/चौथे अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले का शुभारंभ शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिव्यता और भव्यता के साथ फीता काटकर किया। चार दिवसीय यह आयोजन कारपेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (सीईपीसी) के तत्वावधान में इंडिया एक्सपो मार्ट परिसर में शुरू हुआ है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बुनकरों और उद्यमियों से संवाद किया, उनकी समस्याएं जानीं और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के लाभ से उन्हें अवगत कराया।
थीम पवेलियन का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री ने न केवल प्रदेश के हुनरमंद बुनकरों की सराहना की, बल्कि यह भी कहा, “उत्तर प्रदेश के परंपरागत शिल्पकार हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। 96 लाख एमएसएमई इकाइयां आज प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार हैं, और ओडीओपी ने इन्हें वैश्विक पहचान दी है।” मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी देश के प्रमुख कारपेट क्लस्टर हैं, जिन्होंने न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश को वैश्विक पहचान दिलाई है। यह उद्योग लाखों परिवारों की आजीविका का आधार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे प्रोत्साहित करने के लिए ‘इंडिया एक्सपो मार्ट’ की स्थापना कराई। इसका उद्देश्य था कि यहां के बुनकरों को विश्व बाजार से सीधा जोड़ने का अवसर मिले।”
उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्षों से लगातार आयोजित हो रहे इस आयोजन ने हैंडमेड कालीनों के वैश्विक व्यापार में उत्तर प्रदेश को नई पहचान दिलाई है। “अब विदेशी खरीदार सीधे भदोही आते हैं, यहीं के बुनकरों से संवाद करते हैं और यहीं से निर्यात के अनुबंध संपन्न होते हैं, यह भदोही के गौरव की बात है.” मेले में उपस्थित बुनकरों और निर्यातकों ने भी अमेरिकी टैरिफ जैसी चुनौतियों पर चर्चा की, जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर आर्थिक पैकेज व जीएसटी सुधारों के माध्यम से निर्यातकों को राहत प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा, “कठिनाई ही वह कक्षा है, जहाँ से नवाचार और नई राहें निकलती हैं।”

खास यह है कि यह केवल एक व्यापारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह उत्सव था “हुनर, आशा और आत्मनिर्भरता” का। विदेशी बायर्स, महिला उद्यमी, युवा कारीगर और स्थानीय बुनकर कृ सब एक सूत्र में बंधे थे, मानो भदोही की बुनाई ने फिर से अपनी मिट्टी से उठकर विश्व मंच पर ‘भारत’ का नाम सुनहरा लिख दिया हो। इस अवसर पर कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के अध्यक्ष कुलदीप राज वाटल, राजा शर्मा, वासिफ अंसारी, उमेश गुप्ता मुन्ना, रवि पाटौदिया, राजेन्द्र मिश्रा, घनश्याम शुक्ला, ओंकारनाथ मिश्रा बच्चा, अनिल सिंह, रोहित गुप्ता, असलम महबूब, पीयूष बरनवाल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।
परंपरागत उद्योगों को मिला नई ऊर्जा का संबल
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार परंपरागत उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। वर्ष 2018 में शुरू हुई वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना इसी दिशा का बड़ा कदम थी। उन्होंने बताया कि भदोही के कालीन उद्योग को ओडीओपी योजना में शामिल कर विशेष सुविधाएं दी गईं। उन्होंने कहा कि “प्रदेश में जो भी पारंपरिक शिल्पकार या बुनकर कार्य कर रहे हैं, सरकार उन्हें सामाजिक सुरक्षा, प्रशिक्षण, डिज़ाइन और ब्रांडिंग में सहयोग दे रही है। हर पंजीकृत बुनकर को 5 लाख रुपये की सुरक्षा गारंटी दी गई है,” उन्होंने बताया कि सरकार लगातार तकनीक और बाजार की माँग के अनुसार डिज़ाइन नवाचार पर बल दे रही है ताकि उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़े।
जीएसटी सुधारों से बुनकरों को बड़ी राहत
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के हालिया जीएसटी सुधारों को व्यापार और उद्योग जगत के लिए ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि “अब केवल दो जीएसटी स्लैब रह गई हैं, 5 फीसदी और 18 फीसदी। पहले जहां हैंडमेड कारपेट पर 5 फीसदी टैक्स था, वहीं रॉ मैटेरियल पर 12 से 18 फीसदी तक जीएसटी देना पड़ता था। इस असमानता को समाप्त कर दिया गया है। इसका सीधा लाभ हमारे बुनकरों, उद्यमियों और एक्सपोर्टर्स को मिलेगा.” योगी ने कहा कि यह सुधार न केवल व्यापार को सरल बनाएगा बल्कि छोटे कारीगरों की आय भी बढ़ाएगा।

विदेशी खरीदारों की ऐतिहासिक भागीदारी
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बार के इंडिया कारपेट एक्सपो में 88 देशों से 300 से अधिक विदेशी खरीदार शामिल हुए हैं। यह अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी है। “आज जो दृश्य भदोही में है, वह दस वर्ष पहले कोई सोच भी नहीं सकता था। विदेशी खरीदार अब सीधे भदोही आकर स्थानीय बुनकरों से व्यापार कर रहे हैं। यह आत्मनिर्भर भारत की भावना का जीवंत उदाहरण है. ”उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों ने भारत को वैश्विक व्यापार के लिए आकर्षक गंतव्य बनाया है। भारत सरकार ने हाल के वर्षों में यूएई और यूके सहित कई देशों से व्यापारिक समझौते (ट्रेड एग्रीमेंट्स) कर निर्यात संभावनाओं को और मजबूत किया है।
भदोही को मिलेगा विश्वविद्यालय, बढ़ेगा कौशल विकास
मुख्यमंत्री ने भदोही के शैक्षणिक विकास का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि काशी नरेश कॉलेज को विश्वविद्यालय के रूप में विकसित करने की दिशा में काम शुरू हो चुका है। इससे क्षेत्र के युवाओं को उच्च शिक्षा के साथ-साथ रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण भी मिलेगा। यह विश्वविद्यालय कारपेट क्लस्टर को कुशल जनशक्ति उपलब्ध कराएगा।” उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि भदोही न केवल कालीन उद्योग का केंद्र बने, बल्कि कौशल और तकनीकी नवाचार का भी हब बने।
भदोही की कालीन, भारत की सांस्कृतिक पहचान
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भदोही की कालीन केवल एक उत्पाद नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। “यह उद्योग सदियों पुरानी विरासत का संवाहक है। यहां के बुनकरों की मेहनत, कौशल और कला ही भदोही की पहचान है। एक्सपो जैसे आयोजन इस विरासत को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिला रहे हैं.” मुख्यमंत्री ने सभी विदेशी प्रतिनिधियों, बुनकरों और आयोजकों का स्वागत करते हुए कहा कि यह आयोजन उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर और सशक्त बनाएगा।
परंपरा, परिश्रम और परिवर्तन का संगम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि “चुनौतियाँ नए अवसर प्रदान करती हैं”। उन्होंने बताया कि जब से प्रदेश में ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ (ओडीओपी) योजना लागू हुई है, तब से स्थानीय शिल्प और पारंपरिक उत्पादों को विश्व बाजार में नया जीवन मिला है। उन्होंने कहा, “आज अकेला उत्तर प्रदेश दो लाख करोड़ रुपये का निर्यात कर रहा है। यह उस नई आर्थिक शक्ति का संकेत है जो हमारे कारीगरों और उद्यमियों ने अपने पसीने से गढ़ी है।”

कालीनों के रंग में रची संस्कृति की सुगंध
एक्सपो मार्ट में सजी हस्तनिर्मित कालीनों की दुनिया मानो भारत की आत्मा का चित्र थी, राम मंदिर की सीनरी, जय श्रीराम अंकित डिज़ाइन, बुलडोज़र प्रतीक वाले आधुनिक पैटर्न, और जूट से बने प्राकृतिक उत्पाद…मुख्यमंत्री योगी हर स्टॉल पर रुकते, संवाद करते, बुनाई की तकनीक समझते और बुनकरों को प्रोत्साहित करते दिखे। ‘ताने-बाने’ नामक जेल स्टॉल पर उन्होंने विशेष रूप से उन बंदियों की प्रशंसा की जिन्होंने प्रशिक्षण लेकर मिशन शक्ति, सीता समाहित स्थल जैसी सीनरी कालीनें तैयार कीं। उन्होंने कहा, “यह पुनर्वास का नहीं, आत्मनिर्भरता का सशक्त उदाहरण है।”
वैश्विक मंच पर ‘भदोही ब्रांड’ की गूंज
सीईपीसी द्वारा आयोजित इस मेले में 88 देशों के 400 से अधिक विदेशी बायर्स शामिल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि “यूपी सरकार अपने हर व्यापारी और उद्यमी के साथ मजबूती से खड़ी है। यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो और ओडीओपी जैसी पहलें हमारे लोकउद्योगों को विश्व मंच दे रही हैं।” उन्होंने ब्रिटिश काल से पहले भारत की गौरवशाली हस्तशिल्प परंपरा का स्मरण करते हुए कहा, “हमारे पूर्वजों की विरासत ने ही हमें यह बुनियादी समझ दी है कि ‘हाथ से बना हर उत्पाद, आत्मा से जुड़ा होता है।’
हितलाभ वितरण और बुनकर सम्मान
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने 10 लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सहायता राशि और उपकरण वितरित किए। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना और विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत लाभार्थियों को आर्थिक सहायता व टूलकिट दी गई। इस अवसर पर सीईपीसी चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल, सांसद डॉ. विनोद बिंद, विधायक दीनानाथ भाष्कर और विपुल दुबे, पूर्व सांसद गोरखनाथ पांडेय, पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्र, पूर्व विधायक रवीन्द्रनाथ त्रिपाठी, मण्डलायुक्त बालकृष्ण त्रिपाठी और जिलाधिकारी शैलेष कुमार सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
‘ओडीओपी’ बना नए भारत का विकास सूत्र
मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडीओपी योजना अब सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि “जनभागीदारी से जनकल्याण का अभियान” बन चुकी है। आज 96 लाख एमएसएमई इकाइयों से 10 करोड़ से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका पा रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारे शिल्पी, कारीगर और उद्यमी भारत के ‘सोने की चिड़िया’ युग की पुनरावृत्ति कर रहे हैं।”