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GST राहत का असर… दाल-सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट, टूटी महंगाई की कमर!

नई दिल्ली : पहले महंगाई लोगों की कमर तोड़ती थी। इस बार महंगाई की ही कमर टूट रही है। जीएसटी राहत का असर अब दिखने लगा है। सब्जियों और दालों की कीमतों में भारी गिरावट के कारण सितंबर में खुदरा महंगाई दर 99 महीने के निचले स्तर पर आ गई। उपभोक्ता मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 1.54 प्रतिशत रह गई, जो पिछले महीने 2.07 प्रतिशत थी। महंगाई का यह स्तर जून 2017 के बाद सबसे कम है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने सोमवार को महंगाई के आंकड़े जारी किए।

एनएसओ के अनुसार, सितंबर 2025 के दौरान अनुकूल आधार प्रभाव के साथ ही सब्जियों, तेल तथा वसा, फल, दाल, अनाज, अंडे, ईंधन और ऊर्जा की कीमतों में कमी के कारण मुख्य मुद्रास्फीति और खाद्य महंगाई में गिरावट हुई। पिछले साल सितंबर में खुदरा महंगाई दर 9.24 प्रतिशत पर थी। इस दौरान खाद्य मुद्रास्फीति शून्य से 2.28 प्रतिशत नीचे रही जो दिसंबर 2018 के बाद सबसे कम है। अगस्त में यह शून्य से 0.64 प्रतिशत नीचे रही थी। आंकड़ों के अनुसार, एक साल पहले की तुलना में सितंबर में सब्जियों के दाम 21.38 प्रतिशत और दालों एवं उनके उत्पादों के दाम 15.32 प्रतिशत कम हुए।

हालांकि खाद्य तेलों एवं वसायुक्त पदार्थों की महंगाई दर 18.34 प्रतिशत और फलों की 9.93 प्रतिशत रही। अन्य खाद्य पदार्थों की महंगाई दर नियंत्रण में रही। गौरतलब है कि खाद्य मुद्रास्फीति की गणना में लगभग 40 फीसदी हिस्सा खाद्य पदार्थों का होता है और मुख्य महंगाई दर पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। महंगाई के नए आंकड़े बताते हैं कि 22 सितंबर से लागू हुई जीएसटी राहत के बाद कीमतों पर दबाव कम हुआ है और आने वाले महीनों में इसका व्यापक असर दिख सकता है। आगे भी कीमतें नियंत्रण में रहने की संभावना है। आरबीआई के मुताबिक, युक्तिसंगत जीएसटी दरों से मुद्रास्फीति पर नरमी का प्रभाव पड़ने की संभावना है। साथ ही उपभोग और वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा।

अक्तूबर में हुई मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.6 प्रतिशत किया था, जबकि इसके पूर्व में 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। वहीं, इसके दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 1.8 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया था। सितंबर की महंगाई दर इस अनुमान से भी नीचे है। आरबीआई के मुताबिक, अच्छे मानसून के साथ आर्थिक वृद्धि दर पहली तिमाही में बेहतर रही और कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन मजबूत रहा। साथ ही खुदरा मुद्रास्फीति में भी उल्लेखनीय कमी आई है।

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