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चांदी की कीमत में आयी रिकार्ड तेजी, भारत में बढ़ी मांग तो लंदन में सप्लाई में हुई कमी

नई दिल्‍ली : चांदी की कीमतें एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। लंदन बाजार में सप्लाई की कमी और निवेशकों के सुरक्षित संपत्ति की ओर रुझान ने इस रैली को बढ़ावा दिया है। चांदी की कीमतें लंदन में 52.5868 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गईं, जो 1980 में बनी पिछली रिकॉर्ड ऊंचाई से भी अधिक है। सोने की कीमतें भी लगातार आठ सप्ताह से बढ़ रही हैं और एक नया रिकॉर्ड बना रही हैं।

ब्लूमबर्ग के मुताबिक मुख्य वजह लंदन के ग्लोबल ट्रेड सेंटर में चांदी की फिजिकल सप्लाई में कमी बताई जा रही है। बाजार में तरलता (लिक्विडिटी) लगभग खत्म हो गई है, यानी खरीदने के लिए पर्याप्त चांदी उपलब्ध नहीं है। स्पॉट कीमतें जनवरी 1980 के उस रिकॉर्ड को पार कर गईं, जब हंट ब्रदर्स ने बाजार पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

लंदन में तरलता की कमी ने दुनिया भर में चांदी की खोज को तेज कर दिया है। न्यूयॉर्क की तुलना में लंदन में बेंचमार्क कीमतें लगभग अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गईं। इसका फायदा लेने के लिए कुछ ट्रेडर महंगे हवाई मार्ग से, जिसे सामान्यतः सोने के लिए प्रयोग किया जाता है, चांदी के बार शिप करा रहे हैं। मंगलवार सुबह के शुरुआती व्यापार में लंदन में प्रीमियम 1.55 डॉलर प्रति औंस था, जो पिछले सप्ताह के 3 डॉलर के स्प्रेड से कम है।

चांदी की लीज रेट यानी लंदन बाजार में मेटल उधार लेने की वार्षिक लागत इस साल लगातार ऊंची रही, लेकिन शुक्रवार को एक माह के आधार पर यह 30% से ऊपर चली गई। इससे शॉर्ट पोजीशन को बढ़ाने वालों के लिए लागत असाधारण रूप से महंगी हो गई है। हाल ही में भारत से बढ़ी मांग ने लंदन में उपलब्ध बार की सप्लाई को घटा दिया, जबकि इस साल की शुरुआत में अमेरिकी टैरिफ की आशंका के चलते बड़ी मात्रा में चांदी न्यूयॉर्क भेजी गई थी।

अप्रैल में कीमती धातुओं को औपचारिक रूप से शुल्क से मुक्त कर दिया गया था, लेकिन अमेरिकी प्रशासन की सेक्शन 232 जांच अभी भी जारी है, जिसमें चांदी, प्लैटिनम और पैलेडियम शामिल हैं। इस जांच ने आशंका बढ़ा दी है कि नए शुल्क लागू हो सकते हैं, जिससे बाजार में और कमी आ सकती है।

गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, चांदी का बाजार सोने की तुलना में कम तरल और लगभग नौ गुना छोटा है, जिसके कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव अधिक तीव्र होता है। चांदी की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए कोई केंद्रीय बैंक सक्रिय नहीं है, इसलिए निवेश प्रवाह में हल्की गिरावट भी तेजी को पलट सकती है।

इस साल चार प्रमुख कीमती धातुओं की कीमतों में 56% से 81% तक की वृद्धि हुई है। सोने की बढ़त को केंद्रीय बैंक की खरीद, ईटीएफ में बढ़ते निवेश और अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती ने सहारा दिया है। सुरक्षित निवेश की चाह को अमेरिका-चीन व्यापार तनाव, फेड की स्वतंत्रता पर खतरे और अमेरिकी सरकारी शटडाउन ने भी बढ़ाया है।

सोमवार को बैंक ऑफ अमेरिका ने 2026 के अंत तक चांदी का अनुमानित भाव 44 डॉलर से बढ़ाकर 65 डॉलर प्रति औंस कर दिया। इसके पीछे स्थायी बाजार घाटा, बढ़ते राजकोषीय अंतर और कम ब्याज दरें वजह हैं। निवेशक इस महीने होने वाले फेडरल रिजर्व के अगली ब्याज दर बैठक को लेकर अनुमान लगा रहे हैं। फिलाडेल्फिया फेड बैंक की अध्यक्ष अन्ना पॉलसन ने सोमवार को संकेत दिया कि वे इस साल दो और चौथाई प्रतिशत की कटौती के पक्ष में हैं, ताकि नीति टैरिफ के असर को नजरअंदाज कर सके। कम ब्याज दरें कीमती धातुओं के लिए लाभकारी होती हैं, क्योंकि वे ब्याज नहीं देतीं।

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